Showing posts with label दक्षिणमार्गी पारद शिवलिंग साधना. Show all posts
Showing posts with label दक्षिणमार्गी पारद शिवलिंग साधना. Show all posts

Monday, March 2, 2015

दक्षिणमार्गी पारद शिवलिंग साधना Parad Shivling Dkshinmargi Silence


प्रस्तुत विधान एक दक्षिणमार्गी लेकिन तीव्र विधान है जिसे व्यक्ति सहज ही सम्प्पन कर सकता है तथा अपने और अपने घर परिवार के सभी सदस्यों को इस प्रकार की समस्या से मुक्ति दिला सकता है तथा अगर समस्या न भी हो तो भी उससे सुरक्षा प्रदान कर सकता है. यह पारदशिवलिंग से सबंधित भगवान रूद्र का साधना प्रयोग है. मूलतः इसमें पारद शिवलिंग ही आधार है पुरे प्रयोग का, इस लिए पारद शिवलिंग विशुद्ध पारद से निर्मित हो तथा उस पर पूर्ण तंत्रोक्त प्रक्रिया से प्राणप्रतिष्ठा और चैतन्यकरण प्रक्रिया की गई हो यह नितांत आवश्यक है. अशुद्ध और अचेतन पारद शिवलिंग पर किसी भी प्रकार की कोई भी साधना सफलता नहीं दे सकती है.
यह प्रयोग साधक किसी भी सोमवार को कर सकता है.
साधक रात्रीकाल में यह प्रयोग करे तो ज्यादा उत्तम है, वैसे अगर रात्री में करना संभव न हो तो इस प्रयोग को दिन में भी किया जा सकता है.
साधक स्नान आदि से निवृत हो कर लाल वस्त्रों को धारण करे तथा लाल आसान पर बैठ जाए. साधक का मुख उत्तर की तरफ हो.
साधक अपने सामने पारदशिवलिंग को स्थापित करे. साधक गुरु तथा पारद शिवलिंग का पूजन करे तथा गुरुमंत्र का जाप करे और फिरं निम्न मंत्र की ११ माला मंत्र जाप पारदशिवलिंग के सामने करे. यह जाप रुद्राक्ष माला से करना चाहिए.
ॐ नमो भगवते रुद्राय भूत वेताल त्रासनाय फट्
(OM NAMO BHAGAWATE RUDRAAY BHOOT VETAAL TRAASANAAY PHAT)
मंत्र जाप के बाद साधक पारद शिवलिंग को किसी पात्र में रख कर उस पर पानी का अभिषेक उपरोक्त मंत्र को बोलते हुवे करे. यह क्रिया अंदाज़े से १० मिनिट करनी चाहिए. इसके बाद साधक उस पानी को अपने पुरे घर परिवार के सदस्यों पर तथा पुरे घर में छिड़क दे.
इस प्रकार यह क्रिया साधक मात्र ३ दिन करे.
अगर साधक को कोई समस्या नहीं हो तथा मात्र उपरी बाधा से तथा तंत्र प्रयोग से सुरक्षा प्राप्ति के लिए भी अगर यह प्रयोग करना चाहे तो भी यह प्रयोग किया जा सकता है. माला का विसर्जन करने की आवश्यकता नहीं है, साधक इसका उपयोग कई बार कर सकता है.