Sunday, December 10, 2017

shree Shani and Shani Bharya Stotra श्रीशनि एवं शनिभार्या स्तोत्र

राज्य भी पुन: प्राप्त किया जा सकता है. राजा नल ने इस श्रीशनि एवं शनिभार्या स्तोत्र का नियमित रुप से पाठ किया और अपना छीना हुआ साम्राज्य पुन: पा लिया, इस तरह से उसके राज्य में राजलक्ष्मी ने फिर से कदम रखा.
स्तोत्र –
य: पुरा राज्यभ्रष्टाय नलाय प्रददो किल ।
स्वप्ने सौरि: स्वयं मन्त्रं सर्वकामफलप्रदम्।।1।।
क्रोडं नीलांजनप्रख्यं नीलजीमूत सन्निभम्।
छायामार्तण्ड-संभूतं नमस्यामि शनैश्चरम्।।2।।
ऊँ नमोSर्कपुत्रायशनैश्चराय नीहार वर्णांजननीलकाय ।
स्मृत्वा रहस्यं भुवि मानुषत्वे फलप्रदो मे भव सूर्यपुत्र ।।3।।
नमोSस्तु प्रेतराजाय कृष्ण वर्णाय ते नम: । शनैश्चराय क्रूराय सिद्धि बुद्धि प्रदायिने ।।4।।
य एभिर्नामभि: स्तौति तस्य तुष्टो भवाम्यहम्
मामकानां भयं तस्य स्वप्नेष्वपि न जायते ।।5।।
गार्गेय कौशिकस्यापि पिप्पलादो महामुनि: ।
शनैश्चर कृता पीड़ा न भवति कदाचन:।।6।।
क्रोडस्तु पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोSन्तको यम: ।
शौरि: शनैश्चरो मन्द: पिप्पलादेन संयुत:।।7।।
एतानि शनि नामानि प्रातरुत्थाय य: पठेत्।
तस्य शौरे: कृता पीड़ा न भवति कदाचन ।।8।।
।।शनिभार्या नमामि-Shanibharya Namami।।
(शनि पत्नी के दस नाम-Ten Names Of Shani Wife)
ध्वजनी धामनी चैव कंकाली कलहप्रिया ।
क्लही कण्टकी चापि अजा महिषी तुरंगमा ।।9।।
नामानि शनि-भार्याया: नित्यं जपति य: पुमान्।
तस्य दु:खा: विनश्यन्ति सुखसौभाग्यं वर्द्धते ।।10।।
जो व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ करता है वह जीवन में सुख तथा शांति पाता है. शनि देव की पत्नी के नाम – ध्वजनी, धामनी, कंकाली, कलहप्रिया, कलही, कण्टकी, चापि, अजा, महिषी व तुरंगमा हैं. जो व्यक्ति शनिदेव जी की विस्तार से पूजा अर्चना नहीं कर पाता है वह शनिदेव के दस नामों के साथ शनि पत्नी के भी दस नामों का उच्चारण प्रतिदिन करे. सभी जानते हैं कि पत्नी के प्रसन्न होने पर पति भी खुश रहते हैं इसी प्रकार शनिदेव भी अपनी पत्नी के दस नामों का उच्चारण करने वाले व्यक्ति पर कृपादृष्टि रखते हैं. ऎसे व्यक्ति के निकट ना तो दुख ही आता है और ना ही दरिद्रता ही पास फटकती है.

Saturday, December 9, 2017

Nikhileshwaranand Panchak सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंद पंचक


NIKHILESHWARANAND PANCHAK



Nikhileshwaranand Panchak is composed by Paramhans Swami Kinker-ji of Siddhashram, praising 21 divine qualities of Parampoojya Gurudev Nikhileshwaranandji Maharaj.When Dada Gurudev Sachichidanandji gave orders to Nikhil Gurudev to go to earth and spread the message of spirituality , it was known to the yogis of Siddhashram that Gurudev will take birth on earth on the 21st day of April. The panchak has got five shlokas pertaining to this 21 divine Qualities and three sholkas explaining the benefits of chanting this panchak.
When the sadhak remembers this panchak of Poojya Gurudev in reverence, then poornna gurutvamay swaroop of Gurudev appears clearly in the mind of the sadhak.
This panchak is taken from the book named " Nikhileshwaranand Rahasya "

OM NAMAH NIKHILESHWARYAYEI KALYANNYEI TE NAMO NAMAH
NAMASTE RUDRA ROOPINNYEI BRAHMA MOORTHYEI NAMO NAMAH

NAMASTE KLESH HAARINNYEI MANGALAAYEI NAMO NAMAH
HARATI SARVA VYAADHINAAM SHRESHTTA RISHYEI NAMO NAMAH

SHISHYATVA VISH NAASHINYEI POORNNATAAYEI NAMOSTU TE
TRIVIDH TAAP SAMHARTRYEI GYAN DATRYEI NAMO NAMAH

SHAANTI SOWBAAGHYA KAARINNYEI SHUDDH MOORTYEI NAMOSTU TE
KSHAMAAVATYEI SUDHAAVATYEI TEJOVATYEI NAMO NAMAH

NAMASTE MANTRA ROOPINNYEI TANTRA ROOPE NAMOSTU TE
JYOTISHAM GYAN VAIRAGYAM POORNNA DIVYEI NAMO NAMAH

YA IDHAM PADATHE STOTRAM SHRENNUYAATH SHRADHAYAANVITHAM
SARVA PAAP VIMUCHYANTE SIDDHA YOGISHCHA JAAYATE

ROGASTHO ROG TAM MUCHYET VIPADA TRAANNAYAADAPI
SARVA SIDDHIM BHAVETTASYA DIVYA DEHASCHA SAMBHAVE

NIKHILESHWARYA PANCHKAM NITYAM YO PADDATHE NARAH
SARVAAN KAAMAAN AVAAPNOTHI SIDDHASHRAMMAVAAPNUYAATH

सिद्धाश्रम सिद्धि दिवस के अवसर पर सदगुरुदेव निखिलेश्वरानंद पंचक का पाठ अवश्य करे।😊  किसी 
🔹निखिलेश्वरानन्द पंचक🔹
ॐ नम: निखिलेश्वर्यायै कल्याण्यै ते नमो नम: |
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै ब्रह्म मूर्त्यै नमो नम: ||१||
नमस्ते क्लेश हारिण्यै मंगलायै नमो नम:|
हरति सर्व व्याधिनां श्रेष्ठ ऋष्यै नमो नम:||२||
शिष्यत्व विष नाशिन्यै पूर्णतायै नमोऽस्तु ते|
त्रिविध ताप संहत्र्यै ज्ञानदात्र्यै नमो नम:||३||
शान्ति सौभाग्य कारिण्यै शुद्ध मूर्त्यै नमोऽस्तु ते|
क्षमावत्यै सुधावत्यै तेजोवत्यै नमो नम:||४||
नमस्ते मंत्र रूपिण्यै तंत्र रूपिण्यै नमोऽस्तु ते|
ज्योतिषं ज्ञान वैराग्यं पूर्ण दिव्यै नमो नम:||५||
य इदं पठते स्तोत्रं श्रृणुयात् श्रद्धयान्वितं|
सर्व पाप विमुच्यन्ते सिद्धयोगिश्च जायते ||६||
रोगस्थो रोग तं मुच्येत् विपदा त्राणयादपि|
सर्व सिद्धिं भवेत्तस्य दिव्य देहस्य संभवे||७||
निखिलेश्वर्य पंचकं नित्य यो पठते नर:|
सर्वानकामानवाप्नोति सिद्धाश्रममवाप्नुयात्||८
"नमामि सदगुरूदेवं निखिलं नमामि"
🌷🌷🌷🌷
🙏जय सदगुरुदेव जी की🙏