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Friday, December 17, 2010

Nikhil Elements Overview

निखिल तत्त्व अवलोकन Nikhil Elements Overview


ल तत्वार्थ - लं बीज पृथ्वी तत्त्व का कारक है एवं उसका स्थान है मूलाधार। इसलिए "ल" अक्षर प्रतिनिधित्व करता है इस संपूर्ण स्थूल चराचर जगत का।

खि तत्वार्थ - खं शब्द का अर्थ संस्कृत में है - आकाश (Ether) और इकार है आद्यशक्ति का द्योतक। जैसे, 'शव' में जब 'इकार' का योग होता है तब ही वह "शिव" मेंपरिवर्तित होता है। इसीलिए "खि" अक्षर प्रतिनिधित्व करता है ब्रम्हाण्ड में स्थित उन सुक्ष्म शक्तियों का जिनकी परिपाटी पर कई अगम्य अगोचर जगत विद्यमान हैं।

नि तत्वार्थ - "नि" उपसर्ग एक "पर (BEYOND)" की स्थिति दर्शाता है। स्वार्थ, 'नि' से युक्त होकर निःस्वार्थ हो जाता है, आकार - निराकार, कलंक - निष्कलंक,आधार - निराधार, विकार - निर्विकार, द्वन्द - निर्द्वंद........."नि" उस शक्ति का प्रतिनिधित्व करती है जो की स्थूल एवं सुक्ष्म दोनों से ही "पर" है।

नि-खि-ल प्रतिक है, इन सभी जगतों का...
स्थूल - ल (GROSS)...आधिभौतिक
सुक्ष्म - खि (SUBTLE)...आधिदैविक
परा - नि (BEYOND)...आध्यात्मिक

और जो सत्ता इन तीनों जगत का संचालक है, पालक-पोषक है, इश्वर है, वही सत्ता है "निखिलेश्वर", वही तत्त्व है - "निखिलेश्वरानंद"।


॥ निखिलं वंदे जगद्गुरुम्||

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