मन्त्र मुलं गुरु वाक्य --
भाई बेला सिंह का नाम सिख धर्म में बड़े सन्मान के साथ लिया जाता है !वोह बहुत ही भोले और सीदे थे !गुरु आश्रम में पशुयो की देख रेख करते थे चारा डालना गोबर उठाना अदि अदि और अपनी ही धुन में रहते थे आश्रम के लोग कई वार उनका मजाक भी उडा दिया करते थे लेकिन भाई बेला अपनी मस्ती में सेवा में मस्त रहते थे !जब गुरु गोबिंद सिंह जी अमृत शका रहे थे मतलव नाम दे रहे थे तो भाई बेला अपनी सेवा में मस्त अपना कार्य करते रहे रात को जब आराम करने कमरे में पुह्चे तो वहाँ कुश और लोग जो नाम लेकर आये थे उन्हों ने कहा भाई बेला आप तो रह गये आज गुरु जी ने सभ को नाम दिया !तो भाई बेला ने कहा नाम से क्या होता है तो उस सिख ने बताया इस से गुरु हमेशा के लिए हमारे हो जाते हैं भाई बेला की समझ में बात आ गई के नाम से मेरे गुरु जी मेरे हो जायेगे पर अब क्या उठे और गुरूजी की तरफ चल पड़े रात के १२ वज रहे थे और भाई बेला जी ने गुरु जी का दरवाजा जा खडकाया अन्दर से गुरु जी की आवाज आये कोन है !तो वोह बोले जी बेला हू !गुरु जी की आवाज आयी क्या काम है !भाई बेला जी ने कहा जी नाम लेना है! अन्दर से गुरु जी बोले बेला सिंह जे ना ओह बेला ना एह बेला एह कोन सा बेला (मतलव ना ओह टाइम है ना एह टाइम है जनि के रात्रि का समय था भई एह नाम लेने का कोन सा टाइम है )तो भाई बेला जी ने नमस्कार किया और वापिस आ गये और हर रोज पशुओ की सेवा करते जपने लगे ,ना एह बेला ना ओह बेला एह कोन सा बेला कई साल गुजर गये भाई बेला अपने नाम में मस्त हो के रमे रहे !एक वार पशुयो के लिए चारा लेकर आ रहे थे !रस्ते में एक आदमी की अर्थी लिए जा रहे थे और भाई बेला जी ने उनको कहा मुझे भी मुख दिखला दो उन लोगो ने सोचा गुरुका सेवक है !चलो दिखा देते हैं !तो अर्थी रख के मुख से कफन उठा दिया कहा भाई बेला लो देह लो भाई बेला ने मुख देखा और उसके मुख से निकला , ना एह बेला ना ओह बेला एह कोन सा बेला ,बस इतना निकलना था वोह मुर्दा आदमी उठके बैठ गया और सभी और बेले की चर्चा होने लगी के भाई बेले ने आदमी जिन्दा कर दिया जो लोग गुरु के सेवा दार थे गुरु जी कोल शक्यत लाने चले गये कहा जी बेले ने आदमी जिन्दा कर दिया क्यों के सिख धर्म में चमत्कार नहीं दिखाए जाते तो गुरु जी ने भाई बेले को बुलाया कहा बेला सिंह बई एह कहंदे ने तू आदमी जिन्दा कर दिया तो बेला जी हाथ जोड़ के कहने लगे गुरु जी एह मैंने नहीं किया एह तो आप के दिए नाम ने किया है मुज में इतनी शक्ति कहा के मैं जे कर सकू तो गुरु जी ने कहा भाई बेला मैंने तो तुमे नाम अभी दिया ही नहीं तो भाई बेला जी ने कहा गुरु जी आपने उस रात कहा था ना एह बेला ना ओह बेला एह कोनसा बेला तो मेरे लिए जही नाम हो गया मैंने इसे ही नाम मान कर जपना शुरू कर दिया इसी ने आज एह आदमी जिन्दा कर दिया तो गुरु जी बहुत पर्सन हुए और भाई बेला को अपने सीने से लगा लिया इसे तरह अगर हर शिष्य गुरु वाकया को नाम जितना दर्जा दे और उसे फिर कही भटकने की जरूरत नहीं वोह सभी कुतर्को से ऊपर उठ कर उस पार ब्रह्म से मिल जाता हैं ! जय गुरुदेव !
भाई बेला सिंह का नाम सिख धर्म में बड़े सन्मान के साथ लिया जाता है !वोह बहुत ही भोले और सीदे थे !गुरु आश्रम में पशुयो की देख रेख करते थे चारा डालना गोबर उठाना अदि अदि और अपनी ही धुन में रहते थे आश्रम के लोग कई वार उनका मजाक भी उडा दिया करते थे लेकिन भाई बेला अपनी मस्ती में सेवा में मस्त रहते थे !जब गुरु गोबिंद सिंह जी अमृत शका रहे थे मतलव नाम दे रहे थे तो भाई बेला अपनी सेवा में मस्त अपना कार्य करते रहे रात को जब आराम करने कमरे में पुह्चे तो वहाँ कुश और लोग जो नाम लेकर आये थे उन्हों ने कहा भाई बेला आप तो रह गये आज गुरु जी ने सभ को नाम दिया !तो भाई बेला ने कहा नाम से क्या होता है तो उस सिख ने बताया इस से गुरु हमेशा के लिए हमारे हो जाते हैं भाई बेला की समझ में बात आ गई के नाम से मेरे गुरु जी मेरे हो जायेगे पर अब क्या उठे और गुरूजी की तरफ चल पड़े रात के १२ वज रहे थे और भाई बेला जी ने गुरु जी का दरवाजा जा खडकाया अन्दर से गुरु जी की आवाज आये कोन है !तो वोह बोले जी बेला हू !गुरु जी की आवाज आयी क्या काम है !भाई बेला जी ने कहा जी नाम लेना है! अन्दर से गुरु जी बोले बेला सिंह जे ना ओह बेला ना एह बेला एह कोन सा बेला (मतलव ना ओह टाइम है ना एह टाइम है जनि के रात्रि का समय था भई एह नाम लेने का कोन सा टाइम है )तो भाई बेला जी ने नमस्कार किया और वापिस आ गये और हर रोज पशुओ की सेवा करते जपने लगे ,ना एह बेला ना ओह बेला एह कोन सा बेला कई साल गुजर गये भाई बेला अपने नाम में मस्त हो के रमे रहे !एक वार पशुयो के लिए चारा लेकर आ रहे थे !रस्ते में एक आदमी की अर्थी लिए जा रहे थे और भाई बेला जी ने उनको कहा मुझे भी मुख दिखला दो उन लोगो ने सोचा गुरुका सेवक है !चलो दिखा देते हैं !तो अर्थी रख के मुख से कफन उठा दिया कहा भाई बेला लो देह लो भाई बेला ने मुख देखा और उसके मुख से निकला , ना एह बेला ना ओह बेला एह कोन सा बेला ,बस इतना निकलना था वोह मुर्दा आदमी उठके बैठ गया और सभी और बेले की चर्चा होने लगी के भाई बेले ने आदमी जिन्दा कर दिया जो लोग गुरु के सेवा दार थे गुरु जी कोल शक्यत लाने चले गये कहा जी बेले ने आदमी जिन्दा कर दिया क्यों के सिख धर्म में चमत्कार नहीं दिखाए जाते तो गुरु जी ने भाई बेले को बुलाया कहा बेला सिंह बई एह कहंदे ने तू आदमी जिन्दा कर दिया तो बेला जी हाथ जोड़ के कहने लगे गुरु जी एह मैंने नहीं किया एह तो आप के दिए नाम ने किया है मुज में इतनी शक्ति कहा के मैं जे कर सकू तो गुरु जी ने कहा भाई बेला मैंने तो तुमे नाम अभी दिया ही नहीं तो भाई बेला जी ने कहा गुरु जी आपने उस रात कहा था ना एह बेला ना ओह बेला एह कोनसा बेला तो मेरे लिए जही नाम हो गया मैंने इसे ही नाम मान कर जपना शुरू कर दिया इसी ने आज एह आदमी जिन्दा कर दिया तो गुरु जी बहुत पर्सन हुए और भाई बेला को अपने सीने से लगा लिया इसे तरह अगर हर शिष्य गुरु वाकया को नाम जितना दर्जा दे और उसे फिर कही भटकने की जरूरत नहीं वोह सभी कुतर्को से ऊपर उठ कर उस पार ब्रह्म से मिल जाता हैं ! जय गुरुदेव !
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