जय गुरुदेव
आज एक भाई की पोस्ट पढ़ी इनका नाम तो मेने बड़े बड़े ज्ञानियों की लिस्ट में देखा था सोचा था ये भी बड़े ज्ञानी पुरुष होंगे पर इन्होने भी अपनी अज्ञानता दिखा दी। कुछ लोगो के सवाल है गुरुदेव के बारेमे उनके जवाब मैं देनेका साहस कर रहा हु। मैं हर पंथ का सन्मान करता हु। क्यों की तंत्र मेरे शिव शम्भू ने बनाया है अगर वो नहीं बनाते तो ये पंथ वैगेरा भी न होते आज .
सबसे पहले ये बताना चाहूँगा की यह लोग नारायण दत्त श्रीमाली जी का इतना विरोध क्यों करते है?
दुनिया में धर्म के नाम पर पाखंड करने वाले बोहोत है पर फिर भी इनका टारगेट श्रीमाली जी ही क्यों?
इसका उत्तर है इनका निजी उदरभरण जो की इनके ज्ञान से होता था वो रुक सा गया। जो कमाई ये अपने दीक्षा से ली हुई ज्ञान से करते थे वो बंद हो गया जैसे वशीकरण, मरण और षट्कर्म जैसे बाते जो सिर्फ पहले इन्हें ही आती है और यही इसके ज्ञाता है ऐसा जाना जाता था। और इसके बल पर भोली भली जनता से रूपया ऐत्हते थे। श्रीमाली जी ने इस गुप्त विद्या का प्रसार किया और इनका हर शिष्य सहजता से षट्कर्म करने लगा। जिससे इनकी कमाई रुक गयी। अब श्रीमाली जी नहीं रहे तो ये उनको पाखंडी बताने में लगे है। श्रीमाली जी के वजह से घर घर में तंत्र को जानने वाला मिलने लगा। जिस छोटे मंत्र पर इनकी कमाई होती थी वो तो श्रीमाली जी के शिष्य टाईमपास में उपयोग में लाते है। अब जब की श्रीमाली जी नहीं रहे तो ये उनपर कीचड़ उचल उछल कर अपनी खोयी हुई इज्ज़त पा रहे है। प्रयत्न करके देखने दो ध्यान मत दो।
अब जरा इनके साईट पर दिए हुए इनके पर्दाफाश पर नजर डालते है।
पहला प्रश्न है की निखिलेश्वरानंद नाम एक मनघडंत नाम है।
तो मैं कहता हु तेरा क्या जा रहा है ? आज इसी नाम से हजारो लोग एक होते है , सबका जीवन सुख शांति से चल रहा है। अध्यात्मिक प्रगति कर रहे है। और देवताओ के फोटो भी कंप्यूटर से ही बनते है गावठी कही के। .... वो फोटो स्टूडियो नहीं आते और अध्यात्म का कोई पंथ नहीं होता न शैव न वैष्णव इतना तो सिख ही होगा तूने। …स्मयिल प्लीज हा हा
दूसरा प्रश्न इसने पूछा है की शिव पूरण में निखिलेश्वर और सच्चिदानंद के नामो का उल्लेख नहीं है।
अब मैं तुझसे पूछता हु की कहते है हमारे तैतीस करोड़ देवता है सबके नाम शिवपुराण में है? क्या आपको सब पेर्सोनाली मिले है। क्या आपकी मीटिंग की एक दो तस्वीरे दिखाएङ्गे प्लीज ?
अब इसने तीसरा सवाल पूछा है की गुरुमंत्र सभा में क्यों देते थे और दीक्षा क्यों बेचते थे ?
तो सुन प्यारे , हमारा गुरुमंत्र अगर सभा में चिल्लाकर भी बोलो न उतना ही पावरफुल है। जरा दिल से ३ बार बोलकर देखना जब भी परेशानी में होगा तू भले ही निखिल विरोधी हो तू उस परेशानी से मुक्त हो जायेगा बस श्रध्हा दिखा। अब रही बात दीक्षा की की क्यों बेचते है ? आज का जमाना हर बात को पैसे में गिनता है फुकट की कोई वैल्यू नहीं है। जब तक १० का वड़ापाव के ऍफ़ सी और एम् सी दी में जाकर न खाओ और १०-२० लोगो को अपना स्टेटस न दिखाओ तबतक इनको चैन नहीं अत। अगर फ्री में दीक्षा देते तो लोग कहते अरे अब तो दीक्षा मिली है भगवन की कृपा हो जाएगी। आलसी लोग है कलियुग के श्रम करना पसंद नहीं। इसलिए उसका कुछ मूल्य लगाया जिससे वो उस मूल्य की वजह से तो इश्वर का नाम लेंगे और उसी वजह से उनका कल्याण होगा।
चौथा सवाल इस ग्यानी ने पूछा क्या दस महाविद्या सिद्ध थी?
मुझे तो नहीं पता मैं तेरे जैसा महँ सिद्ध नहीं हु। तुझे इतना ही सवाल आ रहा है तो तूने सिद्ध की हुए पिरो से पूछ ले न हजरत लगाकर
पाचवे सवाल का उत्तर भी तेरे पिरो से ही पुच और कर्न्पिशाच्निया तो होंगी ही सिद्ध तुझे।
छटवे सवाल है स्वर्ण बनाना जानते थे तो पैसे क्यों वसूलते थे ?
कुछ मेरे जैसे लालची लोग होते है जो स्वर्ण बनाकर पैसा कमाना चाहते है। श्रीमाली जी ने कुछ लोगो को मुफ्त में सिखाया भी स्वर्ण बनाना वो लोग अभी गायब है। मेरे जैसे ही थे हाहा
सातवा सवाल है महाज्ञानी का की श्रीमाली जी त्रिकालदर्शी थे?
तो सुन लल्लू , त्रिकाल दर्शी राम भी थे तो क्यों उन्होंने सीता का अपहरण होनेके बाद भी उन्हें धुंडने की कोशिश की ? १४ साल तक क्यों घूमते रहे वनों में ? चाहते तो एक जगह बैठकर हनुमान का वेट कर सकते थे। पर नहीं उन्होंने ऐसा नहीं किया क्यों की वह उनका मानव अवतार था जो एक सामान्य मानव को दुःख भोगने चाहिए wah उन्होंने भगवान् होकर भी भोगे। चाहे वो खुद जगत के पालन हार विष्णु ही क्यों न हो। और जो भी रेड वैगेरा पड़ी वो भी जरा मत सीताजी के अपहरण के तरह एक म्याटर समझ ले। हाहा अब इन्फोर्मेशन एक्ट के कागज लाना है तो ला बोहोत मिल जायेंगे।
आठवी बात है निखिल शिष्य साधना चुराकर साईट पर डालते है और पैसा कमाते है।
ये बता तू साईट बनाकर क्या अंडे दे रहा है ? तू भी तो धंदा कर रहा है। ….तुम करो तो कुछ नहीं हम करो तो क्यारेक्टर ढीला है हाहा
नौवा प्रश्न पुत्रो को गुरु बनाने के बारेमे
अरे कलियुग में अग्नि प्रज्वलन वरुण देव आवाहन पापियों को कैसे दिखेगा? और ये बता तू जो भी साधनाए करता है उसको तू खुद ही महसूस करता है या दुसरो को भी करवा सकता है ?
१० व प्रश्न है खुद को भगवन से बड़ा बताया
तो यह बात तो तुझे पता होगी वो एक गुरु थे तो वो तो शिव से भी बड़े हुए। उन्होंने वह वाक्य एक गुरु के भाव से कहा ना की साधारण मनुष्य के। तुझे ये भी नहीं पता की गुरु ही ब्रह्मा विष्णु महेश होते है।
और किताबे पढ़ ले अच्छी किताबे है और मित्रो से मांग मांग कर ही पढ़ तू खुद नहीं ले सकता हाहा जरा विचार कर नए नए सवाल बना इनफार्मेशन एक्ट लेकर आ। जो उखड सकता है उखड ले।
निखिल है निखिल था निखिल रहेगा।
तू शेरो के साथ नहीं रहता तू उनमेसे ही एक है पर शेरो का एक भी गुण तुझमे नहीं तू भेडिया है
तुम पूछो और सवाल मैं हु यहाँ उत्तर देने के लिए।
एक डायलोग सुना होगा शूट आउट एट वडाला का
"तुम गलत करोगे हम रोकेंगे तुम गुनाह करोगे हम ठोकेंगे
हम है तो तुम हो और हमारा ये लफड़ा चलता रहेगा चलता रहेगा चलता रहेगा।" ….
पर इसमें हम अपने गुरुओ को बिच में नहीं लाते ना ही किसी और के गुरु का अपमान करते है हमें हमारे गुरुने सिखाया है की हर गुरु को अपना गुरु मानो , गुरु शिव स्वरुप होते है
आपने मेरे गुरु का इतना अपमान किया फिर भी मैंने आपके गुरु के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोला यह है मेरे निखिल के संस्कार
हम है राही प्यार फिर मिलेंगे चलते चलते
ॐ नमः शिवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जय सदगुरुदेव by SHIVAMSH NIKHILAMSH RAJ
आज एक भाई की पोस्ट पढ़ी इनका नाम तो मेने बड़े बड़े ज्ञानियों की लिस्ट में देखा था सोचा था ये भी बड़े ज्ञानी पुरुष होंगे पर इन्होने भी अपनी अज्ञानता दिखा दी। कुछ लोगो के सवाल है गुरुदेव के बारेमे उनके जवाब मैं देनेका साहस कर रहा हु। मैं हर पंथ का सन्मान करता हु। क्यों की तंत्र मेरे शिव शम्भू ने बनाया है अगर वो नहीं बनाते तो ये पंथ वैगेरा भी न होते आज .
सबसे पहले ये बताना चाहूँगा की यह लोग नारायण दत्त श्रीमाली जी का इतना विरोध क्यों करते है?
दुनिया में धर्म के नाम पर पाखंड करने वाले बोहोत है पर फिर भी इनका टारगेट श्रीमाली जी ही क्यों?
इसका उत्तर है इनका निजी उदरभरण जो की इनके ज्ञान से होता था वो रुक सा गया। जो कमाई ये अपने दीक्षा से ली हुई ज्ञान से करते थे वो बंद हो गया जैसे वशीकरण, मरण और षट्कर्म जैसे बाते जो सिर्फ पहले इन्हें ही आती है और यही इसके ज्ञाता है ऐसा जाना जाता था। और इसके बल पर भोली भली जनता से रूपया ऐत्हते थे। श्रीमाली जी ने इस गुप्त विद्या का प्रसार किया और इनका हर शिष्य सहजता से षट्कर्म करने लगा। जिससे इनकी कमाई रुक गयी। अब श्रीमाली जी नहीं रहे तो ये उनको पाखंडी बताने में लगे है। श्रीमाली जी के वजह से घर घर में तंत्र को जानने वाला मिलने लगा। जिस छोटे मंत्र पर इनकी कमाई होती थी वो तो श्रीमाली जी के शिष्य टाईमपास में उपयोग में लाते है। अब जब की श्रीमाली जी नहीं रहे तो ये उनपर कीचड़ उचल उछल कर अपनी खोयी हुई इज्ज़त पा रहे है। प्रयत्न करके देखने दो ध्यान मत दो।
अब जरा इनके साईट पर दिए हुए इनके पर्दाफाश पर नजर डालते है।
पहला प्रश्न है की निखिलेश्वरानंद नाम एक मनघडंत नाम है।
तो मैं कहता हु तेरा क्या जा रहा है ? आज इसी नाम से हजारो लोग एक होते है , सबका जीवन सुख शांति से चल रहा है। अध्यात्मिक प्रगति कर रहे है। और देवताओ के फोटो भी कंप्यूटर से ही बनते है गावठी कही के। .... वो फोटो स्टूडियो नहीं आते और अध्यात्म का कोई पंथ नहीं होता न शैव न वैष्णव इतना तो सिख ही होगा तूने। …स्मयिल प्लीज हा हा
दूसरा प्रश्न इसने पूछा है की शिव पूरण में निखिलेश्वर और सच्चिदानंद के नामो का उल्लेख नहीं है।
अब मैं तुझसे पूछता हु की कहते है हमारे तैतीस करोड़ देवता है सबके नाम शिवपुराण में है? क्या आपको सब पेर्सोनाली मिले है। क्या आपकी मीटिंग की एक दो तस्वीरे दिखाएङ्गे प्लीज ?
अब इसने तीसरा सवाल पूछा है की गुरुमंत्र सभा में क्यों देते थे और दीक्षा क्यों बेचते थे ?
तो सुन प्यारे , हमारा गुरुमंत्र अगर सभा में चिल्लाकर भी बोलो न उतना ही पावरफुल है। जरा दिल से ३ बार बोलकर देखना जब भी परेशानी में होगा तू भले ही निखिल विरोधी हो तू उस परेशानी से मुक्त हो जायेगा बस श्रध्हा दिखा। अब रही बात दीक्षा की की क्यों बेचते है ? आज का जमाना हर बात को पैसे में गिनता है फुकट की कोई वैल्यू नहीं है। जब तक १० का वड़ापाव के ऍफ़ सी और एम् सी दी में जाकर न खाओ और १०-२० लोगो को अपना स्टेटस न दिखाओ तबतक इनको चैन नहीं अत। अगर फ्री में दीक्षा देते तो लोग कहते अरे अब तो दीक्षा मिली है भगवन की कृपा हो जाएगी। आलसी लोग है कलियुग के श्रम करना पसंद नहीं। इसलिए उसका कुछ मूल्य लगाया जिससे वो उस मूल्य की वजह से तो इश्वर का नाम लेंगे और उसी वजह से उनका कल्याण होगा।
चौथा सवाल इस ग्यानी ने पूछा क्या दस महाविद्या सिद्ध थी?
मुझे तो नहीं पता मैं तेरे जैसा महँ सिद्ध नहीं हु। तुझे इतना ही सवाल आ रहा है तो तूने सिद्ध की हुए पिरो से पूछ ले न हजरत लगाकर
पाचवे सवाल का उत्तर भी तेरे पिरो से ही पुच और कर्न्पिशाच्निया तो होंगी ही सिद्ध तुझे।
छटवे सवाल है स्वर्ण बनाना जानते थे तो पैसे क्यों वसूलते थे ?
कुछ मेरे जैसे लालची लोग होते है जो स्वर्ण बनाकर पैसा कमाना चाहते है। श्रीमाली जी ने कुछ लोगो को मुफ्त में सिखाया भी स्वर्ण बनाना वो लोग अभी गायब है। मेरे जैसे ही थे हाहा
सातवा सवाल है महाज्ञानी का की श्रीमाली जी त्रिकालदर्शी थे?
तो सुन लल्लू , त्रिकाल दर्शी राम भी थे तो क्यों उन्होंने सीता का अपहरण होनेके बाद भी उन्हें धुंडने की कोशिश की ? १४ साल तक क्यों घूमते रहे वनों में ? चाहते तो एक जगह बैठकर हनुमान का वेट कर सकते थे। पर नहीं उन्होंने ऐसा नहीं किया क्यों की वह उनका मानव अवतार था जो एक सामान्य मानव को दुःख भोगने चाहिए wah उन्होंने भगवान् होकर भी भोगे। चाहे वो खुद जगत के पालन हार विष्णु ही क्यों न हो। और जो भी रेड वैगेरा पड़ी वो भी जरा मत सीताजी के अपहरण के तरह एक म्याटर समझ ले। हाहा अब इन्फोर्मेशन एक्ट के कागज लाना है तो ला बोहोत मिल जायेंगे।
आठवी बात है निखिल शिष्य साधना चुराकर साईट पर डालते है और पैसा कमाते है।
ये बता तू साईट बनाकर क्या अंडे दे रहा है ? तू भी तो धंदा कर रहा है। ….तुम करो तो कुछ नहीं हम करो तो क्यारेक्टर ढीला है हाहा
नौवा प्रश्न पुत्रो को गुरु बनाने के बारेमे
अरे कलियुग में अग्नि प्रज्वलन वरुण देव आवाहन पापियों को कैसे दिखेगा? और ये बता तू जो भी साधनाए करता है उसको तू खुद ही महसूस करता है या दुसरो को भी करवा सकता है ?
१० व प्रश्न है खुद को भगवन से बड़ा बताया
तो यह बात तो तुझे पता होगी वो एक गुरु थे तो वो तो शिव से भी बड़े हुए। उन्होंने वह वाक्य एक गुरु के भाव से कहा ना की साधारण मनुष्य के। तुझे ये भी नहीं पता की गुरु ही ब्रह्मा विष्णु महेश होते है।
और किताबे पढ़ ले अच्छी किताबे है और मित्रो से मांग मांग कर ही पढ़ तू खुद नहीं ले सकता हाहा जरा विचार कर नए नए सवाल बना इनफार्मेशन एक्ट लेकर आ। जो उखड सकता है उखड ले।
निखिल है निखिल था निखिल रहेगा।
तू शेरो के साथ नहीं रहता तू उनमेसे ही एक है पर शेरो का एक भी गुण तुझमे नहीं तू भेडिया है
तुम पूछो और सवाल मैं हु यहाँ उत्तर देने के लिए।
एक डायलोग सुना होगा शूट आउट एट वडाला का
"तुम गलत करोगे हम रोकेंगे तुम गुनाह करोगे हम ठोकेंगे
हम है तो तुम हो और हमारा ये लफड़ा चलता रहेगा चलता रहेगा चलता रहेगा।" ….
पर इसमें हम अपने गुरुओ को बिच में नहीं लाते ना ही किसी और के गुरु का अपमान करते है हमें हमारे गुरुने सिखाया है की हर गुरु को अपना गुरु मानो , गुरु शिव स्वरुप होते है
आपने मेरे गुरु का इतना अपमान किया फिर भी मैंने आपके गुरु के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं बोला यह है मेरे निखिल के संस्कार
हम है राही प्यार फिर मिलेंगे चलते चलते
ॐ नमः शिवाय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
जय सदगुरुदेव by SHIVAMSH NIKHILAMSH RAJ
apki baat karne or samjhne ka way mujhe bahut badia laga ap kamal ho or apka giyan wo bhi kamal ka hai
ReplyDeleteWe must oppose person defaming Guruji and spread awareneness. However; Your answer could be more logical
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