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Saturday, April 19, 2014

tantrot guru pojan nikhil jan utsav sadhana

‎-- तांत्रोक्त गुरु पूजन --निखिल जन्म उत्सव साधना

इस साधना के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर, स्नानादि करके, पीले या सफ़ेद आसन पर पूर्वाभिमुखी होकर बैठें| बाजोट पर पीला कपड़ा बिछा कर उसपर केसर से “ॐ” लिखी ताम्बे या स्टील की प्लेट रखें| उस पर पंचामृत से स्नान कराके “गुरु यन्त्र” व “कुण्डलिनी जागरण यन्त्र” रखें| सामने गुरु चित्र भी रख लें| अब पूजन प्रारंभ करें|

-- पवित्रीकरण --

बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ की उंगलियों से स्वतः पर छिड़कें -

ॐ अपवित्रः पवित्रो व सर्वावस्थां गतोऽपि वा |यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ||

-- आचमन --

निम्न मंत्रों को पढ़ आचमनी से तीन बार जल पियें -

ॐ आत्म तत्त्वं शोधयामि स्वाहा |
ॐ ज्ञान तत्त्वं शोधयामि स्वाहा |
ॐ विद्या तत्त्वं शोधयामि स्वाहा |

१ माला जाप करे अनुभव करे हमरे पाप दोस समाप्त हो रहे है। .

ॐ ह्रौं मम समस्त दोषान निवारय ह्रौं फट
संकल्प ले फिर पूजन आरम्भ करे ।

-- सूर्य पूजन --

कुंकुम और पुष्प से सूर्य पूजन करें -

ॐ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च |हिरण्येन सविता रथेन याति भुनानि पश्यन ||

ॐ पश्येन शरदः शतं श्रृणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतं |जीवेम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात ||

-- ध्यान --

अचिन्त्य नादा मम देह दासं, मम पूर्ण आशं देहस्वरूपं |न जानामि पूजां न जानामि ध्यानं, गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं ||

ममोत्थवातं तव वत्सरूपं, आवाहयामि गुरुरूप नित्यं |स्थायेद सदा पूर्ण जीवं सदैव, गुरुर्वै शरण्यं गुरुर्वै शरण्यं ||

-- आवाहन --

ॐ स्वरुप निरूपण हेतवे श्री निखिलेश्वरानन्दाय गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि |

ॐ स्वच्छ प्रकाश विमर्श हेतवे श्री सच्चिदानंद परम गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि |

ॐ स्वात्माराम पिंजर विलीन तेजसे श्री ब्रह्मणे पारमेष्ठि गुरुवे नमः आवाहयामि स्थापयामि |

-- स्थापन --

गुरुदेव को अपने षट्चक्रों में स्थापित करें -

श्री शिवानन्दनाथ पराशक्त्यम्बा मूलाधार चक्रे स्थापयामि नमः |

श्री सदाशिवानन्दनाथ चिच्छक्त्यम्बा स्वाधिष्ठान चक्रे स्थापयामि नमः |

श्री ईश्वरानन्दनाथ आनंद शक्त्यम्बा मणिपुर चक्रे स्थापयामि नमः |

श्री रुद्रदेवानन्दनाथ इच्छा शक्त्यम्बा अनाहत चक्रे स्थापयामि नमः |

श्री विष्णुदेवानन्दनाथ क्रिया शक्त्यम्बा सहस्त्रार चक्रे स्थापयामि नमः |

-- पाद्य --

मम प्राण स्वरूपं, देह स्वरूपं समस्त रूप रूपं गुरुम् आवाहयामि पाद्यं समर्पयामि नमः |

-- अर्घ्य --

ॐ देवो तवा वई सर्वां प्रणतवं परी संयुक्त्वाः सकृत्वं सहेवाः |अर्घ्यं समर्पयामि नमः |

-- गन्ध --

ॐ श्री उन्मनाकाशानन्दनाथ – जलं समर्पयामि |

ॐ श्री समनाकाशानन्दनाथ – स्नानं समर्पयामि |

ॐ श्री व्यापकानन्दनाथ – सिद्धयोगा जलं समर्पयामि |

ॐ श्री शक्त्याकाशानन्दनाथ – चन्दनं समर्पयामि |

ॐ श्री ध्वन्याकाशानन्दनाथ – कुंकुमं समर्पयामि |

ॐ श्री ध्वनिमात्रकाशानन्दनाथ – केशरं समर्पयामि |

ॐ श्री अनाहताकाशानन्दनाथ – अष्टगंधं समर्पयामि |

ॐ श्री विन्द्वाकाशानन्दनाथ – अक्षतां समर्पयामि |

ॐ श्री द्वन्द्वाकाशानन्दनाथ – सर्वोपचारां समर्पयामि |

-- पुष्प, बिल्व पत्र --

तमो स पूर्वां एतोस्मानं सकृते कल्याण त्वां कमलया सशुद्ध बुद्ध प्रबुद्ध स चिन्त्य अचिन्त्य वैराग्यं नमितांपूर्ण त्वां गुरुपाद पूजनार्थंबिल्व पत्रं पुष्पहारं च समर्पयामि नमः |

-- दीप --

श्री महादर्पनाम्बा सिद्ध ज्योतिं समर्पयामि |

श्री सुन्दर्यम्बा सिद्ध प्रकाशम् समर्पयामि |

श्री करालाम्बिका सिद्ध दीपं समर्पयामि |

श्री त्रिबाणाम्बा सिद्ध ज्ञान दीपं समर्पयामि |

श्री भीमाम्बा सिद्ध ह्रदय दीपं समर्पयामि |

श्री कराल्याम्बा सिद्ध सिद्ध दीपं समर्पयामि |

श्री खराननाम्बा सिद्ध तिमिरनाश दीपं समर्पयामि |

श्री विधीशालीनाम्बा पूर्ण दीपं समर्पयामि |

-- नीराजन --

ताम्रपात्र में जल, कुंकुम, अक्षत अवं पुष्प लेकर यंत्रों पर समर्पित करें -

श्री सोममण्डल नीराजनं समर्पयामि |

श्री सूर्यमण्डल नीराजनं समर्पयामि |

श्री अग्निमण्डल नीराजनं समर्पयामि |

श्री ज्ञानमण्डल नीराजनं समर्पयामि |

श्री ब्रह्ममण्डल नीराजनं समर्पयामि |

-- पञ्च पंचिका --

अपने दोनों हाथों में पुष्प लेकर निम्न पञ्च पंचिकाओं का उच्चारण करते हुए इन दिव्य महाविद्याओं की प्राप्ति हेतु गुरुदेव से निवेदन करें -

-- पञ्चलक्ष्मी --

श्री विद्या लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री एकाकार लक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री महालक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री त्रिशक्तिलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री सर्वसाम्राज्यलक्ष्मी लक्ष्म्यम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

-- पञ्चकोश --

श्री विद्या कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री परज्योति कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री परिनिष्कल शाम्भवी कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री अजपा कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री मातृका कोशाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

-- पञ्चकल्पलता --

श्री विद्या कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री त्वरिता कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री पारिजातेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री त्रिपुटा कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री पञ्च बाणेश्वरी कल्पलताम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

-- पञ्चकामदुघा --

श्री विद्या कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री अमृत पीठेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री सुधांशु कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री अमृतेश्वरी कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री अन्नपूर्णा कामदुघाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

-- पञ्चरत्न विद्या --

श्री विद्या रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री सिद्धलक्ष्मी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री मातंगेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री भुवनेश्वरी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री वाराही रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

श्री मन्मालिनी रत्नाम्बा प्राप्तिम् प्रार्थयामि |

-- श्री मन्मालिनी --

अंत में तीन बार श्री मन्मालिनी का उच्चारण करना चाहिए जिससे गुरुदेव की शक्ति, तेज और सम्पूर्ण साधनाओं की प्राप्ति हो सके -

ॐ अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ॠं लृं ल्रृं एं ऐँ ओं औं अं अः |
कं खं गं घं ङं |
चं छं जं झं ञं |
टं ठं डं ढं णं |
तं थं दं धं नं |
पं फं बं भं मं |
यं रं लं वं शं षं सं हं क्षं हंसः सोऽहं गुरुदेवाय नमः |

-- मूल मंत्र --

ॐ निं निखिलेश्वरायै ब्रह्म ब्रह्माण्ड वै नमः |

इस मंत्र का मूंगा माला से १०१, ५१  माला जप करें |

-- प्रार्थना --

लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम् |शिष्य हृदयानन्दं शास्तारं प्रणमाम्यहं ||

त्रिपूज्यं विश्व वन्द्यं च विष्णुशम्भो प्रियं सुतं |क्षिप्र प्रसाद निरतं शास्तारं प्रणमाम्यहं ||

मत्त मातंग गमनं कारुण्यामृत पूजितं |सर्व विघ्न हरं देवं शास्तारं प्रणमाम्यहं ||

अस्मत् कुलेश्वरं देवं सर्व सौभाग्यदायकं |अस्मादिष्ट प्रदातारं शास्तारं प्रणमाम्यहं ||

यस्य धन्वन्तरिर्माता पिता रुद्रोऽभिषक् तमः |तं शास्तारमहं वंदे महावैद्यं दयानिधिं ||

-- समर्पण --

ॐ सहनावतु सह नौ भुनत्तु सहवीर्यं करवावहै,तेजस्विनां धीतमस्तु मा विद्विषावहै |

ॐ ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविः ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतं |

ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्म कर्म समाधिना |

ॐ शान्तिः | शान्तिः || शान्तिः |||

सौजन्य – श्री राम चैतन्य शास्त्री कृत तांत्रोक्त गुरु पूजन

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