गुरु की कृपा से ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है। गुरु ज्ञान की वह दिव्य ज्योति है जिसके द्वारा ही परमात्मा के दर्शन हो सकते है।
" मन के अंदर छिपे दुगुर्णो को दूर करने के लिये हमें गुरु की शरण लेनी चाहिए, क्योंकि गुरु का दर्जा परमात्मा से भी बड़ा होता है। क्योंकि गुरु ही ज्ञान की वह ज्योति होती है जिसके सहारे ही हमें परमात्मा की प्राप्ति संभव है। गुरु की कृपा के बिना किसी भी कार्य में सफलता हासिल नही होती है, चाहे वह परिवार में सुख-शांति की हो या फिर व्यापार में सफलता हासिल करने की हो। हर क्षेत्र में गुरु की कृपा आवश्यक होती है। कलयुग में भी गुरु कृपा के बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नही है। उन्होंने कहा कि हमें नियमित रूप से परमात्मा की साधना और भक्ति करनी चाहिए। ईश्वर साधना और भक्ति के बिना यह जीवन अधूरा है। गुरु की कृपा से भक्तों के सारे कष्टों को पल भर में ही दूर कर देता है।"
क्योकि गुरु ही साकार रूप मैं हमरे सामने होता है और वो हमारी सारी इच्छा पूरा करने मैं समर्थ है | इस लिए गुरु की किरपा अगर जीवन मैं हो गया तो सब कुच्छ मिल सकता है | पर गुरु भी देख समझ कर ही बनाना चहिये |
बिना जाने समझे गुरु बना लेने उस के बाद उस की निदा करना महा पाप कहा गया जो ऐसा करता है उसे कही शरण नहीं मिलती है | गुरु ही शिव है शिव ही गुरु है ऐसा मानने वाले ही मोक्ष के अधिकारी होते है | शिष्य बनाना जीवन की बहुत बड़ी उपलधि है | जिसे आप पैसे से नहीं खरीद सकते है ये बाज़ार मैं नहीं मिलती है | मैं आप को ये आशीर्वाद देता हूँ की आप के जीवन मैं साद गुरु मिले और और आप एक शिष्य बन सके |
Dr. Narayan Dutt Shrimali
" मन के अंदर छिपे दुगुर्णो को दूर करने के लिये हमें गुरु की शरण लेनी चाहिए, क्योंकि गुरु का दर्जा परमात्मा से भी बड़ा होता है। क्योंकि गुरु ही ज्ञान की वह ज्योति होती है जिसके सहारे ही हमें परमात्मा की प्राप्ति संभव है। गुरु की कृपा के बिना किसी भी कार्य में सफलता हासिल नही होती है, चाहे वह परिवार में सुख-शांति की हो या फिर व्यापार में सफलता हासिल करने की हो। हर क्षेत्र में गुरु की कृपा आवश्यक होती है। कलयुग में भी गुरु कृपा के बिना मोक्ष की प्राप्ति संभव नही है। उन्होंने कहा कि हमें नियमित रूप से परमात्मा की साधना और भक्ति करनी चाहिए। ईश्वर साधना और भक्ति के बिना यह जीवन अधूरा है। गुरु की कृपा से भक्तों के सारे कष्टों को पल भर में ही दूर कर देता है।"
क्योकि गुरु ही साकार रूप मैं हमरे सामने होता है और वो हमारी सारी इच्छा पूरा करने मैं समर्थ है | इस लिए गुरु की किरपा अगर जीवन मैं हो गया तो सब कुच्छ मिल सकता है | पर गुरु भी देख समझ कर ही बनाना चहिये |
बिना जाने समझे गुरु बना लेने उस के बाद उस की निदा करना महा पाप कहा गया जो ऐसा करता है उसे कही शरण नहीं मिलती है | गुरु ही शिव है शिव ही गुरु है ऐसा मानने वाले ही मोक्ष के अधिकारी होते है | शिष्य बनाना जीवन की बहुत बड़ी उपलधि है | जिसे आप पैसे से नहीं खरीद सकते है ये बाज़ार मैं नहीं मिलती है | मैं आप को ये आशीर्वाद देता हूँ की आप के जीवन मैं साद गुरु मिले और और आप एक शिष्य बन सके |
Dr. Narayan Dutt Shrimali
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