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Tuesday, January 13, 2015

GoD comes in the form of the master himself परमपिता स्वयं गुरु का रूप धारण कर के आता है



परमपिता स्वयं गुरु का रूप धारण कर के आता है
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जब परमपिता परमात्मा हमारी फिल्म बनाता है तो हमारे इस जन्म का बजट पूंजी देखता है की कितनी है और वह फिल्म पूरी करता है । फिर वह हमारे पिछले जन्म में किये गए पाप - पुण्य के आधार पर जीवन की स्टोरी लिखता है ।
हमारे पूर्व कर्मों के कारण ही हमें सुख - दुःख मिलते है । कोई भी निर्देशक ये नहीं चाहता की उसकी फिल्म सफल न हो सभी ये चाहते की फिल्म को पसंद करें और उसकी यादें उनके दिल में बसी रहे । फिर हम उस परमपिता परमात्मा जो हम सबके जीवन की फिल्म का निर्देशक है उस पर क्यों इल्जाम लगाते है की वह हमारे जीवन की फिल्म दुःख से भरी बना रहा है । देखो जब हम कोई फिल्म या नाटक देखते है तो उसमे जब नायक या नायिका के साथ गलत होता है तो हमें बुरा लगता है लेकिन फिल्म का निर्देशक जानता है की इन मुस्किल परिस्थितयों के साथ लड़ते हुए नायक या नायिका का चरित्र उभर कर आएगा और अंत में नायक जीतेगा तो सब लोग खुश हो जाएंगे और बीच की सारी मुस्किल परिस्थियों आने का कारन समझ जायेंगे की ये सब निर्देशक ने फिल्म को रोमांचक बनाने के लिए किया था ।
निर्देशक लोगों को फिल्म के प्रति खींचने के लिए फिल्म में संगीत डालता है जिसकी धुन में मस्त होकर लोग सिनेमा में खींचे चले आते हैं ।
ऐसे ही परमपिता ने मनुष्य को अपने निजधाम में लाने के लिए मनुष्य के अंदर नाद, धुन, रखी हुई है । इस को पकड़ कर हम पहुँच सकते है ।
हमें अपने निज धाम ले जाने के लिए वो सच्चा निर्देशक परमपिता स्वयं गुरु का रूप धारण कर के आता है और हमें उस धुन का ज्ञान देता है । जैसे फिल्म से पहले उस फिल्म में काम करने वालों के नाम स्क्रीन पर आते है ऐसे ही गुरु हमें ऊपर के मंडल में काम करने वाली शक्तियों के नाम व् उनकी पहचान हमें बताते है ।
फिल्म का आखरी हिस्सा सबसे महत्वपूर्ण होता है किसी ने सच ही कहा है की ' अंत भला तो सब भला ' ऐसे ही अगर हमारे जीवन के अंत समय में हमारा ध्यान गुरु के चरणों में लगा रहता है तो हमारी आत्मा उस परमपिता परमात्मा में जा मिलती है जहाँ पहुंचकर फिर जन्म मरण नहीं होता ।










अब मेरी बात मान लो | अब नहीं सुनोगे तो कब सुनोगे | अब तो समय ख़त्म होने जा रहा है | बाद में पछताओगे | जिन्होंने मुझे चाहा उन्होंने मुझे पा लिया | तुम्हें अगर नहीं मिला तो कुछ न कुछ तो कमी थी | अपनी कमी पहचान लोगे तो सब ठीक हो जायेगा | वैसे भी अब मैं किसी के लिए बैठने वाला नहीं हूँ | मुझे तो अपना काम करना ही है | तुम आ जाओगे तो अच्छा होगा , नहीं तो जिसे चलना है वो साथ चल रहा |
ये मन बड़ा बैरी है | इसे रस नहीं मिलता तो इस पर विकार अत्यधिक हावी हो जाते हैं | अहंकार ईर्ष्या द्वेष और सर्वाधिक मान सम्मान जागृत होता है | ये तुम्हें सतगुरु मिलन से रोक देता है |
तुम ये न समझो की तुम इससे अछूते हो | ये तुम पर भी कार्य करने की कोशिश करता है और तुम्हें भी गिराने का पूरा प्रयास करता है | एक साधक को सदैव सचेत रहना पड़ता है | ये तुम्हारे लिए चेतावनी है | संभल कर रहो |
|| बड़ा बैरी ये मन घट में , इसी को जीतना कठिना ||
मैंने जितने को लिया था उसमे से बहुत कम ही आ पाये | अगर तुम आ जाओगे तो तुम्हारा ही भला होगा | अपनी गिनती मैं बाहर से पूरी कर रहा हूँ | मुझे अपना काम करने से कोई नहीं रोक सकता | मैं तो अपना काम कर लूँगा , तुम अपनी तो सोचो |
अब काम पूरा करने के लिए इंतज़ार नहीं करूँगा |
अब सब बढे चलो | आगे आगे चलो | तुम सबके लिए ही तो मैं आया था |




दुनिया में कोशिश करके तो देख :
... रोक सकता है तू लहरों को, .. लौटा सकता है तू तूफ़ां को,
यह दुनिया जो कोसती है रात-दिन तुझे,
सीने से लगायेगी एक दिन, ...... कोशिश करके तो देख
क्यूँ फंसता है संभव-असंभव के फेर में,
कर सकता है सब कुछ, ...... कोशिश करके तो देख
मुसीबतें खड़ी है जो सीना ताने तेरे सामने,
सर झुकायेगी एक दिन, ....... कोशिश करके तो देख
अपनों की दूरियाँ क्यों कचौटती हैं तुमको,
दुश्मन भी हाथ मिलायेंगे, ..... कोशिश करके तो देख
ग़म के अंधियारे तो खुद डरते हैं तुझसे,
उजाले की बस एक किरण, तू लाकर तो देख
कर सकता है सब कुछ, ....कोशिश करके तो देख !!

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