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Tuesday, January 13, 2015

Identify your character !! अपने स्वरूप को पहचानिए !!

यदि आप मरना = माने अपने साथ सब ख़त्म हो जाना ) सोचते हैं तो आप बहुत भारी भ्रम में जी रहे हैं , क्योंकि मरने पर तो अगले जीवन की शुरुआत होती है !!
.......अपने स्वरूप को पहचानिए !!
जो अपने इस वास्तविक, नित्य , अमर-स्वरूप को अनुभव करता है , वो दरअसल मरता ही नहीं !!
.........यही मृत्युंजय बनना है !!!
जो मृत्यु को जीत लेता है , वही अभय पद प्राप्त करता है !!!
आपको जान कर आश्चर्य होगा -ये सब आसानी से जीते- जी प्राप्त हो सकता है !!!
....बस आपको जरूरत है तो एक सही संगत की !!!

काम ।क्रोध।मद ।मोह।और लोभ छोड़ने के चक्कर में रहेंगे ।तो ये जीवन भर नहीं छुटता ।छोड़ना भी पकड़ने जैसा ही है ।क्योकि स्मरण पहले बनता था ।ये विकार है अब स्मरण बनी रहेगी छोड़ना है।
है वही के वाही ।एक उपाय है नाम जाप या मन्त्र जाप करते रहने से इन विकारो को पकड़ने और छोड़ने की बात नहीं चलती ये स्वतः ही समाप्त हो जाते है।
वो कहते है न पायोजी मैंने राम रतन धन पायो।बस्तु अमोलक दिन्ह मेरे सतगुरु विरथा कुछ छोड़ना पकड़ना नहीं है ।वस उनकी स्मरण बनी रहे ।

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