गुरु सेवा का मतलव लोगो को भ्रम मे डालकर निखिल नाम से गुरुदिक्षा देना नही | उनका सामर्थ है तो अपने स्वयं ना तप से, स्वयं का नाम से गुरु बने |
त्रिमूर्ति गुरुदेव पर दिव्यपात प्रदान कर सद गुरुदेव ने उन्हें गुरु पद प्रदान किय है |
जो जानकर भी गड्डे मे गिरते है, उनको तो कहना हि क्या |
Sadgurudev Nikhileshworananda's speech before placing Trimurti Gurudev (Shree Nand kishor shrimali, shree kailash chandra shrimali, shree Arbinda shrimali) as Gurudev after him......................
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