संकट नाशन गणेश स्तोत्र
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी पुत्रं विनायकं |भक्तावासं स्मरेन्नित्य-मायुः कामार्थ सिद्धये || 1 ||
प्रथमं वक्रतुंडम च एकदंतं व्दितीयकम |
तृतीयं कृष्ण - पिंगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम || 2 ||
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च |
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टकम || 3 ||
नवमं भलाचंद्रम च दशमं तु विनायकं |
एकादशं गणपति व्दादशम तु गजाननं || 4 ||
व्दाद -शैतानी नामानी त्रिसंध्यं यः पठैन्नरः |
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम || 5 ||
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम |
पुत्रार्थी लभते पुत्रान मोक्षार्थी लभते गतिम् || 6 ||
जपेद गणपति-स्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत |
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशयः || 7 ||
अष्ठभ्यो ब्राह्मनेभ्यश्च लिखित्वा यः समर्पयेत |
तस्य विद्या भवेत् सर्व गणेशस्य प्रसादतः || 8 ||
| इति श्री नारद पुराने संकट नाशनं गणेश स्तोत्रं सम्पूर्णं |
Mantra Tantra Yantra Vigyan:#3 PART(NARAYAN / PRACHIN / NIKHIL-MANTRA SADHANA VIGYAN) Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences - Narayan | Nikhil Mantra Vigyan formerly Mantra Tantra Yantra Vigyan is a monthly magazine containing articles on ancient Indian Spiritual Sciences viz. Nothing impossible असम्भव कुछ भी नही बस आप में इच्छा शक्ति होनी चाहिए। आप में कुछ खास है बस आप को उसे बहार निकलना है। आप एक आम इंसान से महान बन सकते है। सोचना अभी से शुरू करे कल बहुत देर हो जायेगी|निखिलेश्वरनंद)
Friday, July 8, 2011
Ganesh destruction crisis ode
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