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Friday, December 16, 2011

Mantra chanting effect मंत्र जप प्रभाव

मंत्र जप प्रभाव:-
जब तक किसी विषय वस्तु के बारे में पूर्ण जानकारी नहीं होती तो व्यक्ति वह कार्य आधे अधूरे मन से करता है और आधे-अधूरे मन से किये कार्य में सफलता नहीं मिल सकती है| मंत्र के बारे में भी पूर्ण जानकारी होना आवश्यक है, मंत्र केवल शब्द या ध्वनि नहीं है, मंत्र जप में समय, स्थान, दिशा, माला का भी विशिष्ट स्थान है| मंत्र-जप का शारीरिक और मानसिक प्रभाव तीव्र गति से होता है| इन सब प्रश्नों का समाधान आपके लिये -

जिस शब्द में बीजाक्षर है, उसी को 'मंत्र' कहते हैं| किसी मंत्र का बार-बार उच्चारण करना ही 'मंत्र-जप' कहलाता है, लेकिन प्रश्न यह उठता है, कि वास्तव में मंत्र जप क्या है? जप से क्या परिणाम होते निकलता है?

व्यक्त-अव्यक्त चेतना

१. व्यक्त चेतना (Conscious mind). २. अव्यक्त चेतना (Unconscious mind).

हमारा जो जाग्रत मन है, उसी को व्यक्त चेतना कहते हैं| अव्यक्त चेतना में हमारी अतृप्त इच्छाएं, गुप्त भावनाएं इत्यादि विद्यमान हैं| व्यक्त चेतना की अपेक्षा अव्यक्त चेतना अत्यंत शक्तिशाली है| हमारे संस्कार, वासनाएं - ये सब अव्यक्त चेतना में ही स्थित होते हैं|

किसी मंत्र का जब ताप होता है, तब अव्यक्त चेतना पर उसका प्रभाव पड़ता है| मंत्र में एक लय (Rythm) होता है, उस मंत्र ध्वनि का प्रभाव अव्यक्त चेतना को स्पन्दित करता है| मंत्र जप से मस्तिष्क की सभी नाड़ियों में चैतन्यता का प्रादुर्भाव होने लगता है और मन की चंचलता कम होने लगाती है|

मंत्र जप के माध्यम से दो तरह के प्रभाव उत्पन्न होते हैं -
१. मनोवैज्ञानिक प्रभाव (Psychological effect)
२. ध्वनि प्रभाव (Sound effect)

मनोवैज्ञानिक प्रभाव तथा ध्वनि प्रभाव के समन्वय से एकाग्रता बढ़ती है और एकाग्रता बढ़ने से इष्ट सिद्धि का फल मिलता ही है| मंत्र जप का मतलब है इच्छा शक्ति को तीव्र बनाना| इच्छा शक्ति की तीव्रता से क्रिया शक्ति भी तीव्र बन जाति है, जिसके परिणाम स्वरुप इष्ट का दर्शन या मनोवांछित फल प्राप्त होता ही है| मंत्र अचूक होते हैं तथा शीघ्र फलदायक भी होते हैं|