Thursday, September 15, 2011

Powerfull rich mother Bglamuki Silence

सर्वशक्ति सम्पन्न माँ बगलामुखी साधना

यह विद्या शत्रु का नाश करने में अद्भुत है, वहीं कोर्ट, कचहरी में, वाद-विवाद में भी विजय दिलाने में सक्षम है। इसकी साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है। उसके मुख का तेज इतना हो जाता है कि उससे आँखें मिलाने में भी व्यक्ति घबराता है। सामनेवाले विरोधियों को शांत करने में इस विद्या का अनेक राजनेता अपने ढंग से इस्तेमाल करते हैं। यदि इस विद्या का सदुपयोग किया जाए तो देशहित होगा।
मंत्र शक्ति का चमत्कार हजारों साल से होता आ रहा है। कोई भी मंत्र आबध या किलित नहीं है यानी बँधे हुए नहीं हैं। सभी मंत्र अपना कार्य करने में सक्षम हैं। मंत्र का सही विधि द्वारा जाप किया जाए तो वह मंत्र निश्चित रूप से सफलता दिलाने में सक्षम होता है।
हम यहाँ पर सर्वशक्ति सम्पन्न बनाने वाली सभी शत्रुओं का शमन करने वाली, कोर्ट में विजय दिलाने वाली, अपने विरोधियों का मुँह बंद करने वाली माँ बगलामुखी की आराधना का सही प्रस्तुतीकरण दे रहे हैं। हमारे पाठक इसका प्रयोग कर लाभ उठाने में समर्थ होंगे, ऐसी हमारी आशा है।
यह विद्या शत्रु का नाश करने में अद्भुत है, वहीं कोर्ट, कचहरी में, वाद-विवाद में भी विजय दिलाने में सक्षम है। इसकी साधना करने वाला साधक सर्वशक्ति सम्पन्न हो जाता है।
इस साधना में विशेष सावधानियाँ रखने की आवश्यकता होती है जिसे हम यहाँ पर देना उचित समझते हैं। इस साधना को करने वाला साधक पूर्ण रूप से शुद्ध होकर (तन, मन, वचन) एक निश्चित समय पर पीले वस्त्र पहनकर व पीला आसन बिछाकर, पीले पुष्पों का प्रयोग कर, पीली (हल्दी) की 108 दानों की माला द्वारा मंत्रों का सही उच्चारण करते हुए कम से कम 11 माला का नित्य जाप 21 दिनों तक या कार्यसिद्ध होने तक करे या फिर नित्य 108 बार मंत्र जाप करने से भी आपको अभीष्ट सिद्ध की प्राप्ति होगी।
आँखों में तेज बढ़ेगा, आपकी ओर कोई निगाह नहीं मिला पाएगा एवं आपके सभी उचित कार्य सहज होते जाएँगे। खाने में पीला खाना व सोने के बिछौने को भी पीला रखना साधना काल में आवश्यक होता है वहीं नियम-संयम रखकर ब्रह्मचारीय होना भी आवश्यक है।

ऊँ ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ऊँ स्वाहा।

हमने उपर्युक्त सभी बारीकियाँ बता दी हैं। अब यहाँ पर हम इसकी संपूर्ण विधि बता रहे हैं। इस छत्तीस अक्षर के मंत्र का विनियोग ऋयादिन्यास, करन्यास, हृदयाविन्यास व मंत्र इस प्रकार है--

विनियोग

ऊँ अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि:
त्रिष्टुपछंद: श्री बगलामुखी देवता ह्मीं बीजंस्वाहा शक्ति: प्रणव: कीलकं ममाभीष्ट सिद्धयार्थे जपे विनियोग:।

ऋष्यादि न्यास-नारद ऋषये नम: शिरसि, त्रिष्टुय छंद से नम: मुखे, बगलामुख्यै नम:, ह्मदि, ह्मीं बीजाय नम: गुहेय, स्वाहा शक्तये नम:, पादयो, प्रणव: कीलक्षम नम: सर्वांगे।



हृदयादि न्यास

ऊँ ह्मीं हृदयाय नम: बगलामुखी शिरसे स्वाहा, सर्वदुष्टानां शिरवायै वषट्, वाचं मुखं वदं स्तम्भ्य कवचाय हु, जिह्वां भीलय नेत्रत्रयास वैषट् बुद्धिं विनाशय ह्मीं ऊँ स्वाहा अष्टाय फट्।

ध्यान
मध्ये सुधाब्धि मणि मंडप रत्नवेघां
सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम्।
पीताम्बरा भरणमाल्य विभूषितांगी
देवीं भजामि घृत मुदग्र वैरिजिह्माम ।।

मंत्र इस प्रकार है-- ऊँ ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ऊँ स्वाहा।

मंत्र जाप लक्ष्य बनाकर किया जाए तो उसका दशांश होम करना चाहिए। जिसमें चने की दाल, तिल एवं शुद्ध घी का प्रयोग होना चाहिए एवं समिधा में आम की सूखी लकड़ी या पीपल की लकड़ी का भी प्रयोग कर सकते हैं। मंत्र जाप पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर के करना चाहिए।

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