Saturday, December 3, 2011

character of Mahabali Charnur Singh

महाबली चरित्रं ---चर्नुर सिंह -
बहुत कम जानते है महाबली चरित्र को मैं आज आप से इस रहस्य मई कहानी को शेयर कर रहा हू !सभी महाबली को सिर्फ राजा कंस का सेनापति और एक पहलवान के नाम से जानते है !यह एक ऐसी शक्ति है जो बहुत ही पोवेर्फुल और शीघ्र फल देने वाली और बलियो में महा बली के नाम से जनि जाती है !जो इंसाफ के देवता के रूप में भी पूजा जाता है और सपूर्ण साधनायो में अगर कोई सख्त साधना है तो वोह महाबली की साधना कहलाती है !आज से काफी समय पहले एक राजा कलैश राज करता था !जिस के राज में चारो और खुशहाली थी !सभी और साधू संतो का सन्मान किया जाता था !मगर एक ही चिंता थी राजा को उस के औलाद नहीं थी !तभी वजीर ने राज ज्योतिषी और साधू संतो की सलाह लेने की सलाह दी !तो राजा संतो की शरण में गया तो उन्हों ने शिव भगती करने को कहा राजा अपना महल छोड़ घोर जंगल में जा कर शिव भगती करने लगा निहचित समय पे शिव जी ने प्रसन हो दर्शन दिए और वर मांगने को कहा तो राजा ने कहा मेरे पास आपका दिया सभ कुश है मगर मेरे औलाद नहीं तो शिव जी ने वरदान दिया तेरे जहाँ ४ पुत्रो का जनम होगा उस में जो सब से छोटा होगा महाबली होगा उसकी शक्ति के आगे कोई नहीं टिक पायेगा और शिव अंतर ध्यान हो गये !समा पा के रानी के जहाँ ४ पुत्रो ने जन्म लिया और चर्नुर सिंह बचपन से ही महाबली थे एक वार माँ ने फल की ईशा की तो वोह पूरा पेड़ ही उखाड़ लाये इस तरह बचपन से ही वोह अपनी मस्ती में रहते लेकिन दुसरे भाई उसकी शक्ति से इर्षा करते थे !और सोचते थे की यह महाबली है इस लिए पिता जी इस को राज दे देंगे इस लिए उन्हों ने एक चाल चली रस्ते में एक हाथी मार कर फेक दिया और चर्नुर को ले के सैर को चले आते वक़्त दुसरे रस्ते से आये जहाँ हाथी फेका था !बड़ा भाई हाथी पे सवार था !और हाथी रास्ता में रुक गया हाथी की वजह से रास्ता बंद था !तो सभी ने घर पहुंचने की चिंता की तो महा बलि ने अपने भाई से कहा अगर आप आज्ञा दे तो इस समयसा का मैं समाधान कर सकता हू तो उस ने कहा जल्दी करो महाबली ने एक हाथ से हाथी को उठा कर उपर को उशाल दिया जो असमान की तरफ चला गया इस पर दुसरे भईओ ने कहा तुम ने मरा हुआ पशु उठा कर गलती की है नीच काम किया है आज से हम तुमे अपने पास नहीं बिठाए गे इस परकार चर्नुर सिंह का वई काट कर दिया गया इस पर मन से दुखी हो वोह जंगल में जा कर तपस्या करने लगे इंसाफ के लिए बहुत कठिन भगती के बाद आकाश बाणी हुई तुम खुद लोगो का इंसाफ करोगे और जंगल में ही उनकी मुलाकात लुना माता से हुयी जिस ने वावा जी से शादी की पेशकश की तो वावा जी ने कहा अगर तुम मेरी भगती में विगन पैदा ना करो तो मैं तयार हू इस तरह माता लुना से शादी हो गई मगर वोह जंगल में जा के अपनी तपस्या में लीन हो जाते जो राजा कंस की हद में पड़ता था !गुप्त चरो से सुचना पा के राजा कंस ने अपनी कई शक्तिया वावा जी पे इस्तेमाल की लेकिन वेअसर रही फिर हार कर कंस ने मित्रता का प्रस्ताव रखा जिसे वाव जी ने स्वीकार कर लिया इस तरह महाबली राजा कंस के सेना पति बन गये ! जब श्री कृष्ण मथुरा आए तो महा ब्ली से मल युद्ध किया 18 दिन युद्ध चला लेकिन कोई भी हार नहीं रहा था !तभी एक दिन कृष्ण जी मटा लुना के पास गए और महा ब्ली को हराने का भेत जानने के लिए तो माता लुना ने कहा उसे कोई नहीं हरा सकता उसकी जड़े पताल में है !और चोटी आकाश में कृष्ण जी समझ गए और आकर युद्ध करने लगे और दीमक पैदा कर दी इस से महा बली ने मुर्गा पैदा कर दिया जो दीमक को खाने लगा तो कृष्ण जी ने बिली पैदा की त जो मुर्गे को मार दे पर महा ब्ली ने कुता पैदा कर दिया !फिर भी हार जीत का फैसला नहीं हो पाया तो आकाश वाणी हुई जो इस वक़्त हार स्वीकार लेगा उसे हारा नहीं समझा जाएगा महा ब्ली ने अपनी हार स्वीकार कर ली और सवाल किया के इस्तरी से भेत लेकर मेरे साथ छल किया गया है !तो भगवान ने वरदान दिया तुझे शृष्टि का 4 हिशा मौत का अधिकार दिया जाता है इस लिए के तुम ने धर्म का साथ दिया है ! महा ब्ली ने औरत जाती को श्राप दिया के आज के बाद तुम कोई भी भेत हिरदे में नहीं रखोगी महा ब्ली हिमाचल या गए और घोर जंगल में तप करने लगे !तभी राजा के घोड़ो के लिए घास लेने आए दो सनिक सेवा दर महा बली का परताप देख कर व्ही रुक गए और इस पर राजा ने उन्हे पकड़ने के लिए सैनिक भेजे पर वावा जी ने उनकी रक्षा की और सारी फोज को हरा दिया तो राजा को शरण में आना पड़ा और दोनों सैनको को वावा जी की सेवा में सोप दिया वावा जी के परथम सेवक बने और वावा जी अंतर ध्यान हो गए और कहा जो भी मेरे दरबार पे आया मैं उसका इंसाफ करुगा आज भी हिमाचल में वावा बालक नाथ जी से ठोरा आगे सुमाइला में महा बली का मंदिर है !वह हजारो लोग जाते है और इंसाफ मांगते है !व्हा कोई भी तंत्र परयोग चाहे कितना भी खतरनाक हो निष्फल हो जाता है !हर गाँव में महाबली के नाम पे थड़े बने है झन चुरी देकर लोग पशुयों और परिवार की सुख मांगते है !उनके नाम से आज भी चमत्कार होते है !मैं खुद साक्षी हु जिस का उलेख मैं समर्पण के अगले लेख में करुगा !महा माया ,काली ,भैरव नागा बली ,हस्त बली और 64 योगनि चंडी आदि शक्ति महा बली बौरा जिस का अग्नि भोजन है , मलंग और बहुत सी शक्तिया महा बली के साथ चलती है ! मदने हाथी की सवारी करते है ! 32 पशु के चरम से उनकी तडागी बनाई गई थी फिर भी गठ नहीं बद्धि थी !तो आप अंदाजा लगा सकते है कितने बली होंगे !सिर्फ महा बली की साधना से बहुत सी शक्तिया स्व सिद्ध हो जाती है !कभी मौका मिले तो एक वार महा बली मंदिर के दर्शन जरूर करना !
जय गुरुदेव !

1 comment:

SHIV DUTT SHROTRIYA said...

अब सोप दिया इस जीवनका, सब भार तुम्हारे हाथो में,
है जित तुम्हारे हाथोमें , और हार तुम्हारे हाथो में.

मेरा निश्चय बस एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊ में,
अर्पण करदू दुनिया भरका, सब प्यार तुम्हारे हाथोमे.

में जगमें रहू तो ऐसे रहू, ज्यो जल में कमलका फुल रहे,
मेरे सब गुणदोष समर्पित, कर्तार तुम्हारे हाथो में.

यदि मानवका मुझे जन्म मिले,तो तव चरणों एक पुजारी बनू,
ईस पूजक की ईक ईक रगका, हो तार तुम्हारे हाथो में.

जब जब संसारका कैदी बनू, निष्काम भाव से कर्म करू,
फिर अंत समय में प्राण तजु, साकार तुम्हारे हाथो में.

मुज्मे तुजमे बस भेद यही, में नर हूँ तुम नारायण हो,
में हूँ संसार के हाथो में , संसार तुम्हारे हाथो में…