Friday, January 6, 2012

Legislative practice simple Trantra


  सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला

मित्रो , बृहद साधना का अपना एक महत्त्व हैं , पर यह भी सच हैं जहाँ पर सुई का काम हैं वहाँ पर तलवार या तोप की क्या जरुरत, ब्लॉग में आपको अनेक लेख बृहद साधना विधान के बारे में मिलते रहते हैं , पर जीवन की आप धापी में कभी कभी समय चाह कर भी नहीं मिलता तो ऐसे समय ...क्या किया जाए , और कभी कभी मन की अवस्था के कारण चाह कर भी उच्च प्रयोग की समय अवधि के कारण उनमे बैठा नहीं जा पाता हैं.

• तो किसी के घर में कोई अलग से कमरा ही नहीं हैं .

• तो किसी के घर वाले ही सहयोग नहीं कर रहे हैं तो वाह चाह कर भी नहीं कर पा रहा हैं .

• तो कोई साधना काल के दौरान करने वाली आवश्यक शारीरिक सुचिता नहीं कर पा रहा हैं

• तो किसी के आस पास कोई ऐसी पवित्रतम जगह नहीं हैं की वह वहां पर जा कर अपनी साधना कर पाए

• तो कोई अपनी उम्रगत समस्या चाहे छोटी या बड़ी के कारण भी नहीं कर पा रहा हैं

• तो कोई इससे से परेशां हैं की उसे साधना की सही प्रक्रिया कैसे की जाये यह मालूम नहीं हैं तो कहीं कुछ उल्टा न हो जाये

• तो कोई आर्थिक समस्या के कारण मन मार कर रह जाता हैं .

इस तरह और भी जीवन की समस्याए तो अपनी जगह हैं .

तो अब से इस लेख माला के अंतर्गत बहुत ही छोटे छोटे प्रयोग हम यहाँ पर ब्लॉग की ओर से देने जा रहे हैं जो की face book पर ही उपलब्ध होंगे . और आप इन छोटे छोटे प्रयोगों को अपने जीवन में जगह देकर कर लाभान्वित हो सकते हैं .

यह प्रयोग बहुत की कम सामग्री या लगभग नहीं पर ही आधारित होंगे और निश्चय ही इसमें कुछ स्त्रोत ... कुछ सरल साबर विधान .... और कुछ महत्वपूर्ण अत्यधिक सरल प्रयोग ..... आपके सामने इस श्रंखला में होंगे , और यदि इन से किसी को भी लाभ पहुँचता हैं तो हमारा प्रयास की हम सफल मानेगे

.और लाभ तो पहुंचेगा ही .

                           
                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-१

आज एक ऐसा ही प्रयोग

किसी भी शुभ दिन से /ग्रहण से / सदगुरुदेव जी का यथाशक्ति पूजन कर हर रोज़ 108 बार इस मंत्र का जप करे , और ऐसा आपको 40 दिन तक करना हैं , मतलब इसे यदि दैनिक पूजन में शामिल कर ले तो कहीं ज्यादा अच्छा होगा उतने दिन तक... और इस 40 दिन की अवधि के बाद यदि आप चाहे तो म...ात्र 11 / 21 बार जप करते जाये . आप पर सदगुरुदेव और भगवती लक्ष्मी की कृपा हमेशा रहेगी और जीवन की नुन्यताये स्वतः समाप्त होगी , क्योंकि कहा गया हैं

लक्ष्मी की स्तुति में कहते हैं " सब कुछ संभव हो जाता मन नहीं घबराता "

1. समय कोई भी या प्रातकाल ज्यादा अच्छा होगा
2. आसन कोई भी रंग का हो या फिर पीला रंग यही बात वस्त्रो की हैं .
3. जप माला यदि कमल गट्टे की हो तो और भी अच्छा होगा
4. और कोई शरीरिक शुचिता के कठोर नियम नहीं हैं ,जैसा संभव हो पाए .

बस अपना रोज़ का मंत्र जप जब समाप्त हो तो सदगुरुदेव जी के श्री चरणों में जप समर्पण करना न भूले ...और इसके पहले एक माला गुरु मंत्र करना तो आपको याद हैं ही .

मंत्र
राम राम क्या करे ,चीनी मेरा नाम ,
सर्व नगरी में बस करूँ मोहू सारा गाँव |
राजा की बकरी करूँ ,नगरी करूँ बिलाई
नीचा में ऊँचा करूँ सिद्ध गोरखनाथ की दुहाई ||

Raam raam kya Karen , chini mera naam ,
Sarv nagri me bs karun ,mohu sara gaon |
Raajaa ki bakri karun , nagri karun bilayi ,
Nichha me unchha karun , siddh gorakhnath ki duhayi ||

आपके जीवन में यह सरल प्रयोग धनागम लाये और प्रसन्नता भी ..... यही उन श्री चरणों में हमारी पूरी टीम की आप सभी के लिए प्रार्थना हैं
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                                 सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-2

आज एक ऐसा ही प्रयोग

सारा विश्व ही दो सामान भागो में बटा हुआ मालूम होता हैं , या यु कहे की हर चीज के दो पक्ष हैं सुख हैं तो दुःख भी हैं , हानि हैं तो लाभ भी हैं , आप किसी एक पक्ष को लेंगे या चुनेगे तो दूसरा मुस्कुराता हुआ आपकी प्रतीक्षा करेगा ही . संपत्ति तो सभी चाहेंगे पर ...विपत्ति को कौन ...

आपके जीवन से विपत्ति तत्व को निकलने के लिए यह एक सरल प्रयोग जो अपने देश के अनेको तंत्र आचार्यो के द्वारा परीक्षित और प्रशंसित हैं
.
आप बाजार से एक पूरा नारियल ले आये मतलब उसके ऊपर पूरी जटा हो (छिला हुआ न हो ) , फिर किसी भी पूजा के सामान की दूकान से लाल रंग का धागा जिसे मौली भी कहा जा ता हैं उसे ले ले . और इस धागे को अपनी शारीर की लम्बाई जितना काट ले. मतलब धागे की लम्बाई और आपके शरीर की लम्बाई एक बराबर हो और इस कटे हुए पूजा के धागे को उस लाये गए नारियल पर अच्छी तरह से लपेट दे .

(गठान बांधने की जरुरत नहीं हैं )

फिर किसी भी बहते पानी के स्त्रोत मतलब साफ़ पानी वाले नदी में इसको प्रवाहित कर दे . और जब यह वह रहा हो तो मन ही मन आप यह सोचे की इसके साथ आपकी समस्याए परेशानी विपत्ति भी आपके पास से इस नारियल की तरह आपसे दूर जा रही हैं .
बस एक बात ध्यान में रखना हैं की इस प्रयोग को करने के लिए रविवार का दिन ही उपयोग करना हैं , मतलब सारा कार्य नारियल खरीदने से लेकर .जो भी.. सब रविवार को करना हैं और इ स प्रयोग को आपको पांच रविवार लगातार करना हैं ,

और मैं आपसे यह निवेदन करना चाहूँगा की इस प्रयोग को करने के पहले यदि सदगुरुदेव का पूजन और उनसे अपने लिए प्रार्थना कर ले और प्रयोग के संपन्न होने पर मतलब हर रविवार को भी तो .... परिणाम आप ही महसूस करेंगे .

आपके जीवन से दुर्भाग्य की ……विपत्ति की छाया हटे यही हमारी पूरी TEAM की आपके लिए शुभ कामना हैं.


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                                 सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-3

आज एक ऐसा ही प्रयोग

मित्रो शारीरिक स्वास्थ्य बनाये रखने में दांतों का अपना ही एक महत्त्व हैं , और आधिन्काश वर्ग दांतों के दर्द की समस्या से जुझता रहता भी हैं. इस दर्द से बचने के लिए लोग कितनी दवाइयां लेते रहते हैं ,
...
साबर प्रयोग में एक प्रयोग बहुत ही सरल पर अत्याधिक प्रभावशाली हैं , बस प्रातः काल जब भी आप मंजन कर रहे हो तब मुंह में पानी भरकर इस मंत्र को सात बार मन ही मन जप ले और कुल्ला कर दे, और यह प्रक्रिया सात बार करना हैं , यदि आप प्रतिदिन यह करते गए तो आप पाएंगे की भविष्य में भी कभी आपको दांतों के दर्द से सामना नहीं करना पड़ेगा , यह बहुत ही अनुभूत प्रयोग हैं .

मंत्र :
काहे रिसियाए हम तो हैं अकेला
तुम हो बत्तीस बार हमजोला
हम लाये तुम बैठे खाओ
अन्तकाल में संग ही जाओ ||

Kaahe risiyaaye ham to hain akela
Tum ho battis baar hamjola
Ham laye tum baithhe khao
Ant kaal me sang hi jao ||

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                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-4

आज एक ऐसा ही प्रयोग
हर साधक , हर व्यक्ति अपने कामो में पूर्णता चाहता ही हैं , और उसके लिए वह प्रयत्न भी करता हैं पर एक से एक समस्याए उसके सामने आती जाती हैं .एक से बचे भी तो दूसरी सामने आकर खड़ी होती हैं ही .. व्यक्ति तोकभी अपनी गलती के लिए परेशां होता ह...ैं तो कभी कभी अकारण कोई सामने वाला उसके लिए परेशानी उत्पन्न करता जाता हैं .
तो आप किसी भी रविवार को एक भोज पत्र ले आये और आपको स्याही के लिए लाल चन्दन का प्रयोग करना हैं, और इस यन्त्र का निर्माण कर ले किसी भी लकड़ी से या अपने हाथो से अंकन कर ले . फिर जब कोई भी यन्त्र बनाया जाता हैं तो आप जानते हैंकि उसकी धुप दीप अगरबत्ती से पूजा तो एक आवश्यक अंग हैं ही फिर इसके बाद इस बने हुए यन्त्र को किसी भी ताबीज़ में भरकर , लाल धागे से ही बांधे.. हाँ यह आवश्यक हैं कि पुरुष वर्ग इसे सीधे हाथ में और महिला वर्ग इसे उलटे हाथ में बांधे..
और आप पाएंगे की आपके कार्यो में जो अनावश्यक रूकावट आ रही हैं वह स्वत ही दूर होती जाएगी .....
 

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                             सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-5

आज एक ऐसा ही प्रयोग

चिंता चिता के समान हैं , पर इस युग में बिना चिंता के जीवन कैसे संभव हैं . एक चीनी दार्शनिक से उसके पास आये एक आगंतुक ने कहा की “मुझे कोई ऐसा रास्ता बताये की जिससे मुझे फिर कभी चिंता कभी न हो” .
...
उसने कहा मुझसे क्यों पूंछते हो .. मैं तो जीवित हु …..पूंछना हैं तो जाकर कब्रिस्तान में जा कर मुर्दों से पूंछो .. ये रहस्य उन्हें ही मालूम हैं क्योंकि उन्हें अब कोई चिंता हैं नहीं .

मानव जीवन होगा तो चिंता तो होगी ही न. पर एक बात थोडा सोचने की हैं की बिना चिंता के हम करेंगे क्या , यह तो हमारी एक भाग हो गयी हैं.. पर एक सीमा से ज्यादा चिंता का होना भी ठींक नहीं हैं . मित्रो यह तो हुयी एक दर्शन की बात ......

पर हमें तो सदगुरुदेव जी ने साधक बनाया हैं हमारी कल्पना भी उन्होंने ऐसे ही की हैं और कल्पना क्या ….हमें उन्होंने अपने स्व रक्त से साधक बनाने के लिए ही सींचा हैं सदगुरुदेव जी ने हमें साधना रूपी अस्त्र दिया हैं ,,जिसके माध्यम से हम ... इस चिंता रूपी शत्रु को समाप्त कर सकते हैं..

जो भी साधनाए दी जाती हैं या दी जा रही हैं या तंत्र कौमुदी में आयी हैं .. आ रही हैं वह सब इस लिए ही तो हैं की हम साधना के माध्यम से चिंता मुक्त हो कर उस उच्चस्तरीय ज्ञान को आत्मसात करने के लिए आगे बढ़ सके ....

पर समयाभाव के कारण परेशां हमारे अपने भाई बहिनों के लिए .... यह एक सरल सा मन्त्र जो आपके श्रद्धा बिस्वास की डोर की सहायता से आपके लिए राहत प्रदान कर देगा ..कोई भी नियम नहीं हैं बस यह की आप इसे चलते फिरते कभी भी जप कर सकते हैं और यदि मन हो तो इसका रोज़ १०८ बार जप आपको निश्चय ही अनुकूलता देगा ही .

ॐ वं वं वं नमो रुद्रेभ्यो क्षरंक्षरांक्षरी स्वाहा ||
Om vam vam vam namo rudrebhyo kshramkshraamkshari swaha ||
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                            सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-6

आज एक ऐसा ही प्रयोग

ऐसा कौन नहीं हैं जीवन में अपनी मनोकामना की पूर्ति सुनकर प्रसन्न न हो जाता हो ,
...
एक लोक कथा हैं ...एक बार एक व्यक्ति को चांस मिला स्वर्ग जाने का और सीधे भगवान् से ही मिलने का ...... वहां जब वह पहुंचा तो उसने देखा...पहले कमरे में ढेरो सामान तरह तरह के खिलोने और पता नहीं क्या क्या .रखा हैं . .. उसने अपने मार्ग दर्शक से पूंछा की इसकी यहाँ क्या जरुरत हैं , उसने कहा लोग जब धरती पर इच्छा मागते हैं तो यहाँ पर वह चीज बना कर भेजने केलिए तैयारी होती हैं .और तब तक वह व्यक्ति इतना भी वेट नहीं कर पाता और दूसरी इच्छा मागने लगता हैं तो ..इसी कारण यह सब यहाँ इकठ्ठा हो गया .
(पोस्टल service पर कमेन्ट न करे ).

मित्रो सदगुरुदेव कहते हैं कि इच्छा तो होनी ही चाहिए ,, और आज हम आपको एक ऐसा सरल सा प्रयोग इस स्तम्भ अंतर्गत रख रहे हैं जो की आपकी इच्छा पूर्ति में सहायक होगा .

बस जप संख्या कम से कम १० माला हैं और कोई भी नियम नहीं चलते फिरते जैसा बने इस मंत्र को करते जाए , निश्चय ही आपकी मनो कामना पूर्ति में बहुत सहायता मिलेगी .

मन्त्र : ॐ हर त्रिपुर हर भवानी बाला राजा प्रजा मोहिनी मम चिंतित फलं देहि देहि भुवनेश्वरी स्वाहा ||
Mantra : om har tripur har bhavani bala raja praja mohini chintit falam dehi dehi bhuvneshri swaha ||
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                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-7

आज एक ऐसा ही प्रयोग

मित्रो , अब कौन होगा जिसे या तो शारीरिक समस्या न हो ,,और मानलो कि किसी को नहीं हैं तो मानसिक तो हो गी ही , और हम में से आधिकाश को तो यु कहूँ दोनों थोड़ी थोड़ी सी रहती ही हैं , और

ऊपर से अगर किसी को यह शक हैं की उस पर कोई प्रयोग कराया गया हैं तो बस समझ लीजिये की सब हो गया ,आप कि सारी दलीले एक तरफ .....आप कितना भी समझाओ उसे....... वह नहीं मानने वाला ...कुछ केस में तो यह सही भी होता हैं पर अब हर बात को तांत्रिक प्रयोग मान लिया जाए यह भी तो ठीक नहीं हैं न ...

साधक को जब तक किसी योग्य व्यक्ति से इस बात की सत्यता का पता नहीं चल जाए यु ही भय बीत नहीं होना चाहिए .
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और मन लीजिये कोई समस्या आ जाती हैं तो सबसे पहले कौन से देव याद आते हैं भारतीय लोगों को...... आप सही हैं भगवान् हनुमान ..
भला “को नहीं जानत जग में कपि सकंट मोचन नाम तिहारो ....”

जब भी ऐसी कोई समस्या हो आप किसी भी पात्र में जल ले ले और निम्न मंत्र से उसे अभिमंत्रित कर ले मतलब इसके दो तरीके हैं एक तो मंत्र जप करते समय अपने सीधे हाथ की एक अंगुली इस जल से स्पर्श कराये रखे या जितना आप को मंत्र जप करना हैं उतना कर ले और फिर पूरे श्रद्धा विस्वास से इस जल में एक फूंक मार दे ..

यह मन में भावना रखते हुए की इस मंत्र की परम शक्ति अब जल में निहित हैं .. और यह सब मानने की बात नहीं हैं अनेको वैज्ञानिक परीक्षणों से यह सिद्ध भी हुआ हैं की निश्चय ही कुछ तो परिवर्तन उच्च उर्जा का जल में समावेश होता ही हैं .

मंत्र :
ॐ नमो हनुमते पवन पुत्राय ,वैश्वानर मुखाय पाप दृष्टी ,घोर दृष्टी , हनुमदाज्ञा स्फुरेत स्वाहा ||

Om namo hanumte pavan putray vaishwanar mukhaay pap dristi ,ghor dristi hanumdaagya sphuret swaha ||

(कम से कम १०८ बार मंत्र जप तो करे ही )

और इस अभिमंत्रित जल को जो भी पीड़ित हैं उ स पर छिडके .. उसे भगवान् हुनमान की कृपा से निश्चय ही लाभ होना शुरू हो जायेगा

और जो भी भाई बहिन यदि इसे रोज करना चाहे उनके जीवन कि अनेको कठिनाई तो स्वत ही दूर होती जाएगी .. तो आवश्यक सावधानी जो की हनुमान साधना में होती हैं वह करते हुए कर सकते हैं .. हाँ महिला वर्ग को भी कोई रोक नहीं हैं वे भी निसंकोच कर सकती हैं . यह धारणा मन से हटा दे की उन्हें कोई रोक हैं ....पर उनके लिए जो आवश्यक सावधानी बताई जाती हैं उसका उन्हें भी पालन करना ही चाहिए ...इस बात का विशेष ध्यान रखे .

और मैं एक बार पुनः पूरी विनम्रता के साथ यह कहूँगा कि की , हम साधक के प्राण तो सदगुरुदेव ही हैं और साधना या प्रयोग कभी भी करे उसमे शुरुआत और अंत में सदगुरुदेव का पूजन अवश्य करे अब यह आप पर हैं की आप मानसिक करते हैं या .....परन्तु करना हमें जरुर हैं क्योंकि सफलता और सिद्धि प्रदान करना और साधना या प्रयोग की भूल चुक को क्षमा करते हुए इस पथ पर आगे बढ़ाना केबल और केबल उन्ही के कर कमलो में हैं .

आज का दिन आप सभी के लिए शुभ दायक हो .
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                                सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-8

आज एक ऐसा ही प्रयोग

जितने भी शुभ पक्ष हैं उसमे उन्नति हम सभी चाहते हैं ही . पर सबसे कहीं ज्यादा किसी बात की उन्नति का कहीं फर्क पड़ता हैं तो वह हैं हमारी कार्य क्षेत्र का क्योंकि उसका सीधा सा सम्बन्ध हमारी सामाजिक सम्मान से हैं हमारे कार्य कुशलता से हैं और साथ ही साथ धन क...े और आगमन से हैं ..

और व्यक्ति को लगता हैं की उसका इतने दिन तक श्रम करना सार्थक हो गया ,, और आप जानते हैं ही की जब भी कार्य क्षेत्र में पदोन्नति की बात उठती हैं तो व्यक्ति के मन में कैसा कैसा भाव आता हैं, और जिसको मिल जाती हैं उसके चेहरे की रौनक का तो क्या कहना ........

यु तो यह तथ्य भी किसी न किसी तरह भाग्य से ही जुड़ा हैं

हम इस श्रंखला में भाग्य उन्नति , धन आगमन , और रोग से मुक्ति और मानसिक तनाव से छुटकारे के लिए आप को लगतार ऐसे प्रयोग देते जायेंगे जिनको आप बहुत ही आराम से कर सकते हैं ..

और आज हम आपके सामने ,, भगवान् हनुमान जी से सबंधित एक प्रयोग जो की प्रमोशन से पदौन्नति से संबंध का हैं आपके सामने हैं ..... बस हर दिन इस निम्न मन्त्र का १०८ बार उच्चारण होना चाहिए ही ,

ॐ ह्रीं हनु हनुमन्ते रुद्रात्मकायै हूं फट ||
Om hreem hanu hanumante rudraatmkaayai hoom fat ||

मंत्र जप भगवान् हनुमान जी की कोई भी मूर्ति या मंदिर में करे या किसी भी उनके चित्र के सामने करे . शेष सारे नियम जो भी आप पालन कर सकते हैं करे और निश्चय ही प्रमोशन से सबंध में आने वाली बाधाये दूर होगी ... बस आप मन लगाकर करे तो ......

पर प्रयोग क्यों किया जा रहा हैं यह संकल्प तो हर प्रयोग में एक भाग हमेशा रहेगा मतलब अपना संकल्प जरुर ले ..और पूज्य सदगुरुदेव का आशीर्वाद तो एक आवश्यक तथ्य हैं ही , यह तो अति आवश्यक तथ्य , नियम हैं जो हमें सफलता दिलाता हैं ही

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