सम्मोहन तंत्र
जीवन में सफलता पाने की चाह किसे नही होती, पर क्या सफलता इतने आसानी से मिल पति है , शायद नही न. आख़िर क्यूँ?????? सफलता की कीमत क्या है !!! क्या सिर्फ़ धन से,ऊँचे कद से,सुंदर चेहरे से सफलता मिलती है ??? नही ऐसा नही है!!! आत्मबल की , दरिन इच्छा शक्ति की , और ये सब प्राप्त होता है सम्मोहन शक्ति के द्वारा । यदि आप में सम्मोहन शक्ति जाग्रत है तो सफलता आपसे दूर रह ही नहीं सकती ,फिर चाहे वो आपके ऑफिस में आपका बॉस हो ,आपका जीवन साथी हो , आपका प्यार हो ,आपका ग्राहक हो ,कोई नेता हो ,अभिनेता हो या फिर कोई आम आदमी , इस शक्ति के सामने किसी की भी दाल नहीं गलती . आप अपने सभी सदुद्देश्य इस शक्ति के द्वारा पूरे कर सकते हैं .
शायद आपको पता नहीं होगा की रूसो रास्पुटिन ने इसी शक्ति के बल पर रूस पर शासन किया .एक सामान्य से चरवाहे ने उस विशाल राज्य को अपना गुलाम ही बना लिया . क्या आपको ये लगता है की सिर्फ सम्मोहित करने का गुण ही इस शक्ति के द्वारा मिल पता है तो ये मात्र आपकी गलत -फहमी है ,क्यूंकि इस शक्ति के विविध आयाम हैं , जैसे की आरोग्य , धन और पूर्णता भी इसी शक्ति की अनुगामी उप्शाक्तियाँ हैं . अश्तादास सिद्धियों में से एक वशित्व सिद्धि का ही ये एक रूप है . अपर शक्ति का ये आधार है . अधिकांश साधक जिन्होंने अप्सरा , यक्षिणी की साधना की हैं , उन्हें प्रतायाक्षिकरण तो दूर कोई अनुभूति भी नहीं होती क्या आपने सोचा है की जो साधक सफल हुए हैं उनमे क्या विशेषता है , शायद आपने कभी ध्यान ही नहीं दिया होगा .
बस साधना की सत्यता पर इल्जाम दाल कर और इन साधनों को कपोल कल्पित कह कर अपने कर्त्तव्य की आईटीआई श्री कर लेते हैं , पर ये तो अपनी कमियों को नजर -अंदाज ही कर्म है . सम्मोहन की उच्चावस्था में ये प्रताय्क्षिकरण की घटना तो सामान्य बात हो जाती है , फिर चाहे वो अप्सरा हो , यक्षिणी हो , लक्ष्मी हो या अन्य कोई भी शक्ति , सम्मोहन के पाश में आबद्ध होकर सामने हाथ बाँध कर कड़ी होती हैं , सामान्य मानव की तो बात ही छोड़ दीजिये . भले ही आपको ये बातें अतिशियोक्ति पूर्ण लगे पर ये सत्य है , इस सत्य को मैंने सदगुरुदेव के आशीर्वाद से मैंने ग . क्यूंकि आंतरिक की मिया करने के बाद धात्विक की मिया तो सामान्य बात ही रह जाती है ।
सम्मोहन तंत्र , सामान्य त्राटक अभ्यास से भिन्न ही है . क्यूंकि सामान्य त्राटक के क्रम को करते हुए सफलता प्राप्त करने के लिए लम्बी अवधि लगती है और सतत अभ्यास भी वाही ताँता का आश्रय लेने पर ये दुर्लभ घटना शीघ्र ही आपके साधक जीवन में घटित होती ही है . हाँ इसके लिए एक व्यवस्थित जीवन चर्या का पालन थोड़े दिन तो करना ही पड़ता है और यही साधक जीवन की मर्यादा भी है .तभी तो आपकी मनोवांछित शक्ति अपने वरद हस्त को आपके शीश पर रख पूर्णता और सफलता का आशीष देते हुए आपको धनवान व गौरव प्रदान करती हैं. ये सूत्र किताबों में लिखे हुए नही हैं ये तो सिद्धाश्रम की दिव्या चेतना से आप्लावित दिव्या मंत्र हैं जो वहां के योगियों के मध्य ही प्रचलित हैं. हम शायद ये बार बार भूल जाते हैं की हम भी उसी दिव्या भूमि ,उसी परम्परा से जुड़े हुए हैं , हम सभी में भी वही का बीज बोया गया है, अब हम उसेसध्नाओं द्वारा अंकुरित न करें तो ये हमारी कमी है.
५० भस्त्रिका का नित्य अभ्यास आपकी जड़ता को समाप्त कर शरीर को चैतन्य करता है.ये क्रिया नित्य होनी ही चाहिए.
साथ ही शरीर सिद्धि मन्त्र का गुरु द्वारा निर्देशित संख्या में जप करना चाहिए .प्रथम दिवस यही क्रियाएँ होती है.
दूसरे दिन सुषुम्ना नाडी के जागरण के लिए आत्म सिद्धि मंत्र का जप किया जाता है. कल वाला मंत्र भी इसके साथ अनिवार्य ही है. पहले प्रथम दिन का मंत्र जप फिर दूसरे दिवस का मंत्र जप. क्यूंकि शुशुमना नाडी के भेदन के बाद ही सम्मोहन शक्ति का प्रस्फुटन आपमें होता है और आपका चेहरा ओज से आभा से भर जाता है. आपमें दिव्या दृष्टि का उद्भव होता है .
तीसरे दिन चक्र जागरण साधना संपन करनी होती है जिसके द्वारा सम्मोहन मात्र आपके चेहरे पर न होकर समस्त शरीर में प्रसारित हो जाता है , तब आपके स्पर्श मात्र से सामने वाला सम्मोहित हो जाता है.इसके पहले का क्रम वाही रहेगा जो पहले दिन का था.
चौथे दिन अन्तर साधना मंत्र का जप किया जाता पहले के क्रम को संयुक्त करके.इसके बाद साधक में इतनी सामर्थ्यता आती ही की वो वांछित शक्ति को अपने सम्मोहन बल में बाँध कर आवाहित कर सके.
पाँचवे दिन स्वसम्मोहन सिद्धि मंत्र का जप अन्य मंत्रों के साथ किया जाता है .ये संपूर्ण क्रिया २४ दिनों की होती है यदि इस विश्व में कोई सबसे कठिन काम है तो वो अपने आपको अपने अनुकूल बनाना और जैसे ही ये क्रिया होती है ,आपमें चुम्कत्व पैदा होता है अन्य सभी लोहे की भांति आपके आकर्षण छेत्र में आ ही जाते हैं और आप अपनी कमियों को आत्म-निर्देश देकर समाप्त कर सकते हैं और अपने गुणों को और ज्यादा शक्तिशाली कर सकते हैं. यदि आगे इन मंत्रों को लगातार किया जाए तो वशित्व सिद्धि की प्राप्ति होती ही है. याद रखिये सम्मोहन का अर्थ ही होता है ख़ुद को ही मोहित करना यानिकी स्वयं की चेतना को आकर्षित कर परम चेतना से मिला देना. यदि हम २४ घंटे चुम्बकीय शक्ति से युक्त रहेंगे तो हमसे मिलने वाला कैसा भी व्यक्ति हो हमारे सद्वाक्यों को कभी नही ताल सकता. और उच्चावस्था में दिव्या शक्तियां भी हमारे प्रभाव क्षेत्र में आबद्ध हो जातियो हैं. फिर हमारे पास यदि किसी का फोटो भी हो या हमारे मश्तिष्क में किसी का बिम्ब भी हो तो उस व्यक्ति या शक्ति को सम्मोहित कर अप्नेअनुकूल किया जा सकता है, या किसी रोगी के कष्टों को दूर किया जा सकता है . यही क्रिया तिब्बत में बोध-संवहन- विधि कहलाती है. ये मंत्र दुलभ जरूर हैं पर अप्राप्य नही. सद्गुरु के चरणों में प्रार्थना कर हम पूर्ण सम्मोहन प्राप्ति दीक्षा पायें और इन मंत्रों को प्राप्त कर असंभव को भी सम्भव कर सकें. जब हम दिव्यता को पा सकते है तो फिर गिद्गिदाकर अपने आत्म-सम्मान को क्यूँ अपने ही पैरों के नीचे कुचलें या औरों को क्यूँ कुचलने दे. तभी तो कहते हैं न की जिद करो और दुनिया बदलो।
Sammohan Tantra
Who do not will to gain success in the life, but is it possible to gain success so easily? Probably no. why so..???? What is the payment for the success!! Could success be gained with money, prosperity, beautiful face? No! Never like that.
You just watch few peoples name like Mahatma Gandhi, Sukrat, Arastu etc. All these people are famous for their fame, success and achievements in whole world. Hence now it has been proved through this that only good faces can not make you achieve success. Dear all, to achieve success, the basic requisition is self determination, the will of achieving, and all these could be gain through sammohan power। If your sammohan power is awaken, then success can not stay far from you anymore, rather it may be boss of your office, your spouse, your love, your customer, any leader, actor may be, or may be a normal human being, before this power no one is able to horn. You can complete all your desires which you are willing to make with this power.
Perhaps many might not be aware that Ruso Rasputin ruled on Roos with the help of this power only. A normal cowboy made the whole kingdom in his hand. It is only your misconception if you think that you can only hypnotize someone through this power, because this power has various steps, like health, wealth and totality are some of the following powers with sammohan. Meanwhile this is only a form of a Vashitva Siddhi which is among 18 siddhis. This is a base of apara shakti. Many sadhak who try to accomplish apsara or yakshini sadhana they do not get apsara or yakshini before them rather they do not even experience anything during sadhana. Have you ever thought that the sadhak, who gained success in that sadhana; how they differ? May be you haven’t ever marked this thing.
Then people blame on authenticity of the sadhanas and be thorugh with their belongings of routine life, but this is to just avoiding of our faults. In the higher stage of this sammohan power, such things are very much normal to accomplish after all it may be yakshini, apsara, lakshmi or any other shakti , they just be with holded hand to you bowing down to your power. Leave the normal beings, they will feel all these things over through heads, with the blessing of our beloved Sadgurudev , I have applied this in my life and achieved success. That’s why I am negotiating the Inner alchemy to you today because after pursuing Inner alchemy, our alchemy is too much easy to do.
Sammohan tantra is different from normal tantra study. Because to achieve success with practice of normal tantra takes a little more time and it requires having continuity in the process but this thing may happen to you in small span of time. Yes. For this, you need to go through a special schedule and this is a limitation of sadhak’s life3.
That’s why your desired power blesses you by placing its hand on your head to achieve success and totality and get you prosperity. These facts are not written in scriptures and these can be obtained by sages of Siddhashram and has remained among them only. We again and again forget that we too are attached to that sacred land because of our Gurudev and he only has placed a seed in our heart for Siddhashram but it is our fault if we don’t make tree out of it.
Daily 50 times bhastrika will vanish your laziness. This process is required to perform daily.
With that, the Shareer sidhhi mantra should be recited as suggested by guru. First day these processes are to be carried out.
On second day Aatm siddhi mantra should be recited to awake the Sushumnaa naadi. It is also require to chant the mantra of yesterday. First process of 1st day and then only move to second day’s process. Because after sushumnaa is awaken, then the sammohan power is also becomes awake in the body and your face will be glazed with aura. The achievement of the divya drastic starts.
On 3rd day , we need to accomplish Chakra jaagaran Mantra through which the sammohan power is spread in whole your body instead of being only on the face. In this condition, by your touching someone , the person get hypnotized. The process includes previous days repetition of all processes.
On 4th day the after doing all 1st 2nd and 3rd days processes, we need to do Antar sadhana mantra ,being accomplished in this, he can make any shakti before him by the generating his power.
On 5th day after repeting processes till 4th day , we should chant Svasammohan siddhi mantra. This whole process is of 24 days. If anything is tuff in this world, it is always to make our self according to the desire of us and when you accomplish this sadhana, you become magnetic and all other people come attractively to you like iron. You can improve your self by guiding you and you can polish your powers. If the process is continued for long, then vashitva siddhi is gained. Remember, sammohan means hypnotizing our self meaning to connect our power into the universal power.
If we remain with the sammohan energy for 24 hours, then who so ever may be meet us, they never refuses what we say। And the shaktis of higher stages becomes accomplished in our power area। After that if we has photograph of anyone or we have image in our mind then with that thing only we can make him or her according to our willing। Or we can treat the patient from miles. In Tibbet this process is called as Bodh- sanvahan- vidhi. The mantra is rare but not been vanished. By praying into the sadgurudev’s feet we should ask for Poorna sammohan prapti diksha and through these mantras we can make things possible which are said to be impossible. Whne we can achieve totality then why should we make our self respect under footed. That’s why it is said that jid karo aur duniya badlo…i.e. change the world by willingness power.
शायद आपको पता नहीं होगा की रूसो रास्पुटिन ने इसी शक्ति के बल पर रूस पर शासन किया .एक सामान्य से चरवाहे ने उस विशाल राज्य को अपना गुलाम ही बना लिया . क्या आपको ये लगता है की सिर्फ सम्मोहित करने का गुण ही इस शक्ति के द्वारा मिल पता है तो ये मात्र आपकी गलत -फहमी है ,क्यूंकि इस शक्ति के विविध आयाम हैं , जैसे की आरोग्य , धन और पूर्णता भी इसी शक्ति की अनुगामी उप्शाक्तियाँ हैं . अश्तादास सिद्धियों में से एक वशित्व सिद्धि का ही ये एक रूप है . अपर शक्ति का ये आधार है . अधिकांश साधक जिन्होंने अप्सरा , यक्षिणी की साधना की हैं , उन्हें प्रतायाक्षिकरण तो दूर कोई अनुभूति भी नहीं होती क्या आपने सोचा है की जो साधक सफल हुए हैं उनमे क्या विशेषता है , शायद आपने कभी ध्यान ही नहीं दिया होगा .
बस साधना की सत्यता पर इल्जाम दाल कर और इन साधनों को कपोल कल्पित कह कर अपने कर्त्तव्य की आईटीआई श्री कर लेते हैं , पर ये तो अपनी कमियों को नजर -अंदाज ही कर्म है . सम्मोहन की उच्चावस्था में ये प्रताय्क्षिकरण की घटना तो सामान्य बात हो जाती है , फिर चाहे वो अप्सरा हो , यक्षिणी हो , लक्ष्मी हो या अन्य कोई भी शक्ति , सम्मोहन के पाश में आबद्ध होकर सामने हाथ बाँध कर कड़ी होती हैं , सामान्य मानव की तो बात ही छोड़ दीजिये . भले ही आपको ये बातें अतिशियोक्ति पूर्ण लगे पर ये सत्य है , इस सत्य को मैंने सदगुरुदेव के आशीर्वाद से मैंने ग . क्यूंकि आंतरिक की मिया करने के बाद धात्विक की मिया तो सामान्य बात ही रह जाती है ।
सम्मोहन तंत्र , सामान्य त्राटक अभ्यास से भिन्न ही है . क्यूंकि सामान्य त्राटक के क्रम को करते हुए सफलता प्राप्त करने के लिए लम्बी अवधि लगती है और सतत अभ्यास भी वाही ताँता का आश्रय लेने पर ये दुर्लभ घटना शीघ्र ही आपके साधक जीवन में घटित होती ही है . हाँ इसके लिए एक व्यवस्थित जीवन चर्या का पालन थोड़े दिन तो करना ही पड़ता है और यही साधक जीवन की मर्यादा भी है .तभी तो आपकी मनोवांछित शक्ति अपने वरद हस्त को आपके शीश पर रख पूर्णता और सफलता का आशीष देते हुए आपको धनवान व गौरव प्रदान करती हैं. ये सूत्र किताबों में लिखे हुए नही हैं ये तो सिद्धाश्रम की दिव्या चेतना से आप्लावित दिव्या मंत्र हैं जो वहां के योगियों के मध्य ही प्रचलित हैं. हम शायद ये बार बार भूल जाते हैं की हम भी उसी दिव्या भूमि ,उसी परम्परा से जुड़े हुए हैं , हम सभी में भी वही का बीज बोया गया है, अब हम उसेसध्नाओं द्वारा अंकुरित न करें तो ये हमारी कमी है.
५० भस्त्रिका का नित्य अभ्यास आपकी जड़ता को समाप्त कर शरीर को चैतन्य करता है.ये क्रिया नित्य होनी ही चाहिए.
साथ ही शरीर सिद्धि मन्त्र का गुरु द्वारा निर्देशित संख्या में जप करना चाहिए .प्रथम दिवस यही क्रियाएँ होती है.
दूसरे दिन सुषुम्ना नाडी के जागरण के लिए आत्म सिद्धि मंत्र का जप किया जाता है. कल वाला मंत्र भी इसके साथ अनिवार्य ही है. पहले प्रथम दिन का मंत्र जप फिर दूसरे दिवस का मंत्र जप. क्यूंकि शुशुमना नाडी के भेदन के बाद ही सम्मोहन शक्ति का प्रस्फुटन आपमें होता है और आपका चेहरा ओज से आभा से भर जाता है. आपमें दिव्या दृष्टि का उद्भव होता है .
तीसरे दिन चक्र जागरण साधना संपन करनी होती है जिसके द्वारा सम्मोहन मात्र आपके चेहरे पर न होकर समस्त शरीर में प्रसारित हो जाता है , तब आपके स्पर्श मात्र से सामने वाला सम्मोहित हो जाता है.इसके पहले का क्रम वाही रहेगा जो पहले दिन का था.
चौथे दिन अन्तर साधना मंत्र का जप किया जाता पहले के क्रम को संयुक्त करके.इसके बाद साधक में इतनी सामर्थ्यता आती ही की वो वांछित शक्ति को अपने सम्मोहन बल में बाँध कर आवाहित कर सके.
पाँचवे दिन स्वसम्मोहन सिद्धि मंत्र का जप अन्य मंत्रों के साथ किया जाता है .ये संपूर्ण क्रिया २४ दिनों की होती है यदि इस विश्व में कोई सबसे कठिन काम है तो वो अपने आपको अपने अनुकूल बनाना और जैसे ही ये क्रिया होती है ,आपमें चुम्कत्व पैदा होता है अन्य सभी लोहे की भांति आपके आकर्षण छेत्र में आ ही जाते हैं और आप अपनी कमियों को आत्म-निर्देश देकर समाप्त कर सकते हैं और अपने गुणों को और ज्यादा शक्तिशाली कर सकते हैं. यदि आगे इन मंत्रों को लगातार किया जाए तो वशित्व सिद्धि की प्राप्ति होती ही है. याद रखिये सम्मोहन का अर्थ ही होता है ख़ुद को ही मोहित करना यानिकी स्वयं की चेतना को आकर्षित कर परम चेतना से मिला देना. यदि हम २४ घंटे चुम्बकीय शक्ति से युक्त रहेंगे तो हमसे मिलने वाला कैसा भी व्यक्ति हो हमारे सद्वाक्यों को कभी नही ताल सकता. और उच्चावस्था में दिव्या शक्तियां भी हमारे प्रभाव क्षेत्र में आबद्ध हो जातियो हैं. फिर हमारे पास यदि किसी का फोटो भी हो या हमारे मश्तिष्क में किसी का बिम्ब भी हो तो उस व्यक्ति या शक्ति को सम्मोहित कर अप्नेअनुकूल किया जा सकता है, या किसी रोगी के कष्टों को दूर किया जा सकता है . यही क्रिया तिब्बत में बोध-संवहन- विधि कहलाती है. ये मंत्र दुलभ जरूर हैं पर अप्राप्य नही. सद्गुरु के चरणों में प्रार्थना कर हम पूर्ण सम्मोहन प्राप्ति दीक्षा पायें और इन मंत्रों को प्राप्त कर असंभव को भी सम्भव कर सकें. जब हम दिव्यता को पा सकते है तो फिर गिद्गिदाकर अपने आत्म-सम्मान को क्यूँ अपने ही पैरों के नीचे कुचलें या औरों को क्यूँ कुचलने दे. तभी तो कहते हैं न की जिद करो और दुनिया बदलो।
Sammohan Tantra
Who do not will to gain success in the life, but is it possible to gain success so easily? Probably no. why so..???? What is the payment for the success!! Could success be gained with money, prosperity, beautiful face? No! Never like that.
You just watch few peoples name like Mahatma Gandhi, Sukrat, Arastu etc. All these people are famous for their fame, success and achievements in whole world. Hence now it has been proved through this that only good faces can not make you achieve success. Dear all, to achieve success, the basic requisition is self determination, the will of achieving, and all these could be gain through sammohan power। If your sammohan power is awaken, then success can not stay far from you anymore, rather it may be boss of your office, your spouse, your love, your customer, any leader, actor may be, or may be a normal human being, before this power no one is able to horn. You can complete all your desires which you are willing to make with this power.
Perhaps many might not be aware that Ruso Rasputin ruled on Roos with the help of this power only. A normal cowboy made the whole kingdom in his hand. It is only your misconception if you think that you can only hypnotize someone through this power, because this power has various steps, like health, wealth and totality are some of the following powers with sammohan. Meanwhile this is only a form of a Vashitva Siddhi which is among 18 siddhis. This is a base of apara shakti. Many sadhak who try to accomplish apsara or yakshini sadhana they do not get apsara or yakshini before them rather they do not even experience anything during sadhana. Have you ever thought that the sadhak, who gained success in that sadhana; how they differ? May be you haven’t ever marked this thing.
Then people blame on authenticity of the sadhanas and be thorugh with their belongings of routine life, but this is to just avoiding of our faults. In the higher stage of this sammohan power, such things are very much normal to accomplish after all it may be yakshini, apsara, lakshmi or any other shakti , they just be with holded hand to you bowing down to your power. Leave the normal beings, they will feel all these things over through heads, with the blessing of our beloved Sadgurudev , I have applied this in my life and achieved success. That’s why I am negotiating the Inner alchemy to you today because after pursuing Inner alchemy, our alchemy is too much easy to do.
Sammohan tantra is different from normal tantra study. Because to achieve success with practice of normal tantra takes a little more time and it requires having continuity in the process but this thing may happen to you in small span of time. Yes. For this, you need to go through a special schedule and this is a limitation of sadhak’s life3.
That’s why your desired power blesses you by placing its hand on your head to achieve success and totality and get you prosperity. These facts are not written in scriptures and these can be obtained by sages of Siddhashram and has remained among them only. We again and again forget that we too are attached to that sacred land because of our Gurudev and he only has placed a seed in our heart for Siddhashram but it is our fault if we don’t make tree out of it.
Daily 50 times bhastrika will vanish your laziness. This process is required to perform daily.
With that, the Shareer sidhhi mantra should be recited as suggested by guru. First day these processes are to be carried out.
On second day Aatm siddhi mantra should be recited to awake the Sushumnaa naadi. It is also require to chant the mantra of yesterday. First process of 1st day and then only move to second day’s process. Because after sushumnaa is awaken, then the sammohan power is also becomes awake in the body and your face will be glazed with aura. The achievement of the divya drastic starts.
On 3rd day , we need to accomplish Chakra jaagaran Mantra through which the sammohan power is spread in whole your body instead of being only on the face. In this condition, by your touching someone , the person get hypnotized. The process includes previous days repetition of all processes.
On 4th day the after doing all 1st 2nd and 3rd days processes, we need to do Antar sadhana mantra ,being accomplished in this, he can make any shakti before him by the generating his power.
On 5th day after repeting processes till 4th day , we should chant Svasammohan siddhi mantra. This whole process is of 24 days. If anything is tuff in this world, it is always to make our self according to the desire of us and when you accomplish this sadhana, you become magnetic and all other people come attractively to you like iron. You can improve your self by guiding you and you can polish your powers. If the process is continued for long, then vashitva siddhi is gained. Remember, sammohan means hypnotizing our self meaning to connect our power into the universal power.
If we remain with the sammohan energy for 24 hours, then who so ever may be meet us, they never refuses what we say। And the shaktis of higher stages becomes accomplished in our power area। After that if we has photograph of anyone or we have image in our mind then with that thing only we can make him or her according to our willing। Or we can treat the patient from miles. In Tibbet this process is called as Bodh- sanvahan- vidhi. The mantra is rare but not been vanished. By praying into the sadgurudev’s feet we should ask for Poorna sammohan prapti diksha and through these mantras we can make things possible which are said to be impossible. Whne we can achieve totality then why should we make our self respect under footed. That’s why it is said that jid karo aur duniya badlo…i.e. change the world by willingness power.
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