Friday, May 2, 2014

har pal nikhil kaho guru bhajan हर पल निखिल गुरु भजन सँगीत

हर पल निखिल गुरु भजन सँगीत 


हर पल निखिल
जीवन का सोभाग्य है इस जन्म मैं सद्गुरु मिले है , अब एसा पल न जाने कब आयेग ? इस जीवन मैं सब कुछ छोड़ कर हम गुरुमय बन जाये ऐसा इस जीवन का सोभाग्य हो , इस सिर्फ होठो से ही नहीं आप का रोम रोम उस निखिल की बंदना करना चाहिए। जब दिल के तार सद्गुरु से जुड़े गे तो निश्चय ही हमरे भाग्य खुल सकेगे और हम उस निखिल से एकाकार बन सकेगे। .

सभी धर्मो का त्याग कर मेरी शरण मैं आ जाओ। ।
प्रेम माय बन जाओ निखिल माय जाओ गुरुमय बन जाओ। .

गुरुवर शरण, गुरुवर शरण, गुरुवर शरण गहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

गुरुवर शरण, गुरुवर शरण, गुरुवर शरण गहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

जिस देश में, जिस भेष में रहो | जिस देश में |
जिस देश में, जिस भेष में रहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

गुरुवर शरण, गुरुवर शरण, गुरुवर शरण गहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

जिस ध्यान में, जिस स्थान में रहो | जिस ध्यान में |
जिस ध्यान में, जिस स्थान में रहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

गुरुवर शरण, गुरुवर शरण, गुरुवर शरण गहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

जिस योग में, जिस भोग में रहो | जिस योग में |
जिस योग में, जिस भोग में रहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

गुरुवर शरण, गुरुवर शरण, गुरुवर शरण गहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |
हर पल निखिल, हर पल निखिल, हर पल निखिल कहो |

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