परम पुरुषार्थ के मार्ग में कूद पड़ो। भूतकाल के लिए पश्चाताप और भविष्य की चिन्ता छोड़कर निकल पड़ो। परमात्मा के प्रति अनन्य भाव रखो। फिर देखो कि इस घोर कलियुग में भी तुम्हारे लिए अन्न, वस्त्र और निवास की कैसी व्यवस्था होती है।
जिस साधना में तुम्हारी रुचि होगी उस साधना में सद्गुरुदेव मधुरता भर देंगे। तुम्हारी भावना, तुम्हारी निष्ठा पक्की होना महत्त्वपूर्ण है। तुम्हारे परम इष्टदेव ,तुम्हारे सद्गुरुदेव तुम पर खुश हो जायें तो अनिष्ट तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। परम इष्टदेव है तुम्हारा आत्मा, तुम्हारा निजस्वरूप। सद्गुरुदेव में तुम्हारी अनन्य भक्ति हो जाये तो सद्गुरुदेव तुम्हें कुछ देंगे नहीं, वे तुम्हें अपने में मिला लेंगे। अब बताओ, आपको कुछ देना शेष रहा क्या?
सद्गुरुदेव के सिवाय अन्य तमाम सुखों के इर्द गिर्द व्यर्थता के काँटे लगे ही रहते हैं। जरा सा सावधान होकर सोचोगे तो यह बात समझ में आ जायेगी और तुम सद्गुरुदेव के मार्ग पर चल पड़ोगे।
लौकिक सरकार भी अपने सरकारी कर्मचारी की जिम्मेदारी सँभालते हैं। फिर ऊर्ध्वलोक की दिव्य सरकार, परम पालक परमात्मा सद्गुरुदेव अध्यात्म के पथिक का बोझ नहीं उठायेंगे क्या?
Mantra Tantra Yantra Vigyan:#3 PART(NARAYAN / PRACHIN / NIKHIL-MANTRA SADHANA VIGYAN) Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences - Narayan | Nikhil Mantra Vigyan formerly Mantra Tantra Yantra Vigyan is a monthly magazine containing articles on ancient Indian Spiritual Sciences viz. Nothing impossible असम्भव कुछ भी नही बस आप में इच्छा शक्ति होनी चाहिए। आप में कुछ खास है बस आप को उसे बहार निकलना है। आप एक आम इंसान से महान बन सकते है। सोचना अभी से शुरू करे कल बहुत देर हो जायेगी|निखिलेश्वरनंद)
Thursday, June 18, 2015
param prusrth ke marg par kud pado
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