जीवन की उपयुक्त और योग्य गतिशीलता को ग्रहण लगाने वाले मुख्य शत्रु है समस्या और अकस्मात. अगर ये दो मुख्य बाधक जीवन की गति मे ना हो तो व्यक्ति अपने भौतिक व् आध्यात्मिक पक्ष को अत्यधिक मजबूती दे सकता है. काल की गति अनंत है जो की निरंतर रूप से चलती रहती है. फलस्वरूप हमारे बोध काल से विगत को भुत तथा गंतव्य को भविष्य नाम दिया गया है. लेकिन सब घटनाये मुख्य रूप से अपने अपने स्थानों पर काल की गति मे होती ही है और जब आप काल के उस निश्चित बिंदु पर पहोचाते है तो वह वर्तमान के रूप मे आपसे प्रत्यक्ष हो जाता है. यु हमारे जीवन मे कोई भी स्थिति होती है या आती है तो वह कर्म प्रधान कारण स्वरुप पहले से ही काल मे निश्चित थि. इसी क्रम मे वह सब घटनाये काल के गर्भ मे निहित ही है चाहे वह आपके अनुकूल हो या फिर प्रतिकूल. ज़रा सोचिये की अगर हम उन प्रतिकूल पल को निकाल दे तो जीवन प्रत्येक समय मधुर हो जाएगा. लेकीन क्या ऐसा संभव है. साधना तो प्रक्रिया ही असंभव को संभव बनाने की है. इस क्षेत्र मे असंभव तो अपने आप मे एक छोटा सा शब्द बन कर रह जाता है. तंत्र मे कई ऐसे विधान है जिनकी मदद से आने वाली दुर्घटनाओ तथा विकट समस्याओ को पहले से ही जाना जा सकता है. लेकिन प्रस्तुत विधान इस प्रकार से है की वह आने वाली दुर्घटनाओ तथा विकट समस्याओ के मात्र संकेत नहीं देता लेकिन उस प्रतिकूलता को दूर कर के आप को उससे बचाता भी है. इस प्रकार के कुछ विधान तो निश्चित रूप से पुरातन तंत्र ग्रंथो मे प्राप्य है लेकिन वे सब विधान गुढ़ तथा समयगम है. अत्यधिक जटिलता तथा लंबे समय तक साधना काल होने के कारण आज के इस युग मे इस प्रकार की साधना करना अत्यधिक दुस्कर है. लेकिन सदगुरुदेव ने अपने गृहस्थ शिष्यों के मध्य ज्यादातर सरल और त्वरित परिणाम देने वाली साधनाऐ ही रखी.
निम्न साधना के लिए साधक रुद्राक्ष या काले हकीक की माला का प्रयोग करे. आसान तथा वस्त्र लाल रहे और दिशा दक्षिण. यह ११ दिन की साधना है जिसे साधक शनिवार या मंगलवार की रात्रि मे ११ बजे के बाद शुरू कर सकता है.
साधक अपने सामने काल भैरव की फोटो या विग्रह स्थापित करे. उसका पूजन कुमकुम तेल सिन्दूर पुष्प वगेरा से करे. धुप तथा तेल का दीपक अर्पित करे. उसके बाद हाथ मे जल लेके संकल्प करे की मे ये मंत्र जाप भविष्य मे आने वाली सभी दुर्घटना समस्या तथा बाधा के समाधान के लिए कर रहा हू आप इसमें मेरी सहायता करे. इसके बाद निम्न मंत्र की २१ माला जाप करे.
ॐ कालभैरव अमुक साधकानां रक्षय रक्षय भविष्यं दर्शय दर्शय हूं
इसमें अमुक साधकानां की जगह स्वयं के नाम का उच्चारण करना चाहिए.
भविष्य मे जब भी कोई समस्या या दुर्घटना होने वाली हो तो किसी न किसी रूप मे भगवान काल भैरव साधक को सूचना दे देते है. साधक अपने कार्यों को उस प्रकार से परावर्तित कर सकता है. यु तो भगवान भैरव साधक की प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप मे मदद करते ही रहते है.
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In the path of life the basic two obstacle creator enemies are certain problems and unexpected accidents. If these main two obstacles are not there in the life; a person can have a good hold over the progress of material and spiritual life. The movement of the time is infinite which runs continuous. This resulting us in present to term went off as ‘past’ and expected as ‘future’. But every incident are basically pre-placed in the motion of time and when you reach at that particular point of the time it comes in front of you as ‘Present’. This way in our life if any situation is there or arriving situations all those were prearranged in the time as a result enforced with karma. This way all those incidents are safe in the time rather it is favourable for you or not. Just think, if anyhow we remove those unexpected unfavourable moments from the life, how beautiful our life will start acting! But, is it possible? Sadhana is process to make impossible a possible thing. In this field, impossible remains as very small word only. In tantra there are several processes through with help of which we may get to know about the problems and unwanted incidents before it occur. But the here presented is the process through which not only meant to let you knew about the forthcoming troubles but it also saves you from the effect of the same. Such processes are for sure present in the many old tantra scriptures but those all are in codes and time consuming. As having a complicated processes and long time durations to do such sadhanas are really hard in this particular time period. But Sadgurudev have majority of the time provided simple and fast result giving sadhana to his disciples of material world.
In sadhana below, the rosary should be used of rudraksha or black hakeek. Aasan and cloth should be Red in colour and direction should be south. This is 11 days sadhana which could be started on any Saturday or Tuesday after 11 in night.
Sadhak should establish photo or idol of Kaal Bhairav infront of him. The poojan of the same should be done with red vermillion, oil, Sindoor, flower etc. Dhoop and oil lamp should be offered. After that one should take sankalp with water on palm that I am doing this mantra chanting to overcome all the accidents, problems and troubles I request you to help me. After that, chant 21 rosary of following mantra.
Om kaalBhairav amuk saadhakaanaam rakshay rakshay bhavishyam darshay darshay hum
In this mantra one should chant their own name on the place of ‘Amuk saadhakaanaam’.
In future when ever any troubles or unwanted incident is about to happen, Lord kaal Bhairav will inform sadhak with any of the form. Sadhak can convert his task that way. Though lord Bhairav will keep on helping sadhak directly indirectly.