Wednesday, January 6, 2016

कुंडली में राहू अच्छा नहीं है तो किसी से कोई चीज़ मुफ्त में rahu se problem

यदि आपकी कुंडली में राहू अच्छा नहीं है तो
किसी से कोई चीज़ मुफ्त में न लें क्योंकि हर मुफ्त
की चीज़ पर राहू का अधिकार होता है | लेने वाले
का राहू और खराब हो जाता है और देने वाले के सर
से राहू उतर जाता है |
राहू ग्रह का कुछ पता नहीं कि कब बदल जाए जैसे
कि आप कल कुछ काम करने वाले हैं लेकिन समय आने
पर आपका मन बदल जाए और आप कुछ और करने लगें
तो इस दुविधा में राहू का हाथ होता है |
किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना का
दावेदार राहू ही होता है |


दस महाविद्या के मंत्रो और इनके प्रभाव dasmaha vidha mantro ka prabhav

दस महाविद्या के मंत्रो और इनके प्रभाव ।
जय माँ ।
काली :-देवी का
लिका काम रुपणि है इनकी कम से कम 9,11,21 माला का जप काले हकीक की माला से किया जाना चाहिए। इनकी साधना को बीमारी नाश, दुष्ट आत्मा दुष्ट ग्रह से बचने के लिए, अकाल मृत्यु के भय से बचने के लिए, वाक सिद्धि के लिए, कवित्व के लिए किया जाता है। षटकर्म तो हर महाविद्या की देवी कर सकती है। षट कर्म मे मारण मोहन वशीकरण सम्मोहन उच्चाटन विदष्ण आदि आते है।परन्तु बुरे कार्य का अंजाम बुरा ही होता है। बुरे कार्य का परिणाम या तो समाज देता है या प्रकृति या प्रराब्ध या कानून देता ही है। इसलिए अपनी शक्ति से शुभ कार्य करने चाहिए।मंत्र “ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः”
तारा :-तारा को तारिणी भी कहा गया है। जिस पर देवी तारा की कृपा हो जाये उसे भला और क्या चाहिए। फिर तो वो साधका एक दूध पीते बच्चे की तरह माँ की गोद मे रहता है। इनकी साधना से वाक सिद्धि तो अतिशीघ्र प्राप्त होती है साथ ही साथ तीब्र बुद्धि रचनात्मकता डाक्टर इनजियर बनाने के लिए, काव्य गुण के लिए, शत्रु को तो जड से खत्म कर देती है। इसके लिए आपको लाल मूगाँ या स्फाटिक या काला हकीक की माला का इस्तेमाल कर सकते है। हमारे हिसाब से कम से कम बारह माला का जप किया जाना चाहिए। कृपा करके इस देवी के मंत्रो मे स्त्रीं बीज का ही प्रयोग करे क्योकि त्रीं एक ऋषि द्वारा शापित है। इस शाप का निदान केवल त्रीं को स्त्रीं बनाने पर स्वयँ हो जाता है।मंत्र “ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट”
त्रिपुर सुंदरी :-इस दुनिया मे ऐसा कोई काम नही है जिसे त्रिपुर सुन्दरी ना कर सके। जिस काम मे देवता का चयन करने मे कोई दिक्कत हो तो देवी त्रिपुर सुन्दरी की उपासना कर सकते है। यह भोग और मोक्ष दोनो ही साथ-साथ प्रदान करती है। ऐसी इस दुनिया मे कोई साधना नही है जो भोग और मोक्ष एक साथ प्रदान करे। इस मंत्र के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल किया जा सकता है। कम से कम दस माला जप करें।मंत्र – “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमःभुवनेश्वरी :-यह साधना हर प्रकार के सुख मे वृद्धि करने वाली है। देवी भुवनेश्वरी की खास बात यह है कि यह बहुत ही कम समय मे प्रसन्न हो जाती है परंतु एक बार रुठ गई तो मनाना भी थोडा मुश्किल ही होता है। देवी माँ से कभी भी झुठे वचनो नही कहने चाहिए। इनके जप के लिए स्फटिक की माला का प्रयोग करें और कम से कम ग्यारह या इक्कीस माला का मंत्र जप करें।मन्त्र – “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः”छिन्नमस्ता :-यह विद्या बहुत ही तीव्र है। यह देवी शत्रु का तुरंत नाश करने वाली, वाक देने वाली, रोजगार में सफलता, नौकरी पद्दोंन्ति के लिए, कोर्ट के कैस से मुक्ति दिलाने मे सक्षम है और सरकार को आपके पक्ष मे करने वाली, कुंडिली जागरण मे सहायक, पति-पत्नी को तुरंत वश मे करने वाली चमत्कारी देवी है। इसकी साधना सावधान होकर करनी चाहिए क्योकि तीव्र होने के कारण रिजल्ट जल्दी ही मिल जाता है। इसके लिए आप रुद्राक्ष या काले हकीक की माला से कम से कम ग्यारह माला या बीस माला मंत्र जप करना चाहिए
मंत्र- “श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:”त्रिपुर भैरवी :-
यह देवी प्रेत आत्मा के लिए बहुत ही खतरनाक है, बुरे तंत्रिक प्रयोगो के लिए, सुन्दर पति या पत्नी की प्राप्ति के लिए, प्रेम विवाह, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए श्री त्रिपुर भैरवी देवी की साधना करनी चाहिए। इनकी साधना तुरंत प्रभावी है। जिस किसी तांत्रिक समस्या का समाधान नही हो रहा है, यह देवी उस समस्या का यह जड से विनाश करती है। इस देवी का मंत्र जप आप मूंगे की माला से कर सकते है और कम से कम पंद्रह माला मंत्र जप करनी चाहिए।
मंत्र – “ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:”
धूमावती :-हर प्रकार की द्ररिद्रता के नाश के लिए, तंत्र – मंत्र के लिए, जादू – टोना, बुरी नजर और भूत – प्रेत आदि समस्त भयों से मुक्ति के लिए, सभी रोगो के लिए, अभय प्रप्ति के लिए, साधना मे रक्षा के लिए, जीवन मे आने वाले हर प्रकार के दुखो को प्रदान करने वाली देवी है इसे अलक्ष्मी भी कहा जाता है तो इसके निवारण के लिए धूमावती देवी की साधना करनी चाहिए मोती की माला या काले हकीक की माल का प्रयोग मंत्र जप में करें और कम से कम नौ माला मंत्र जप करेंमंत्र- “ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:”
बगलामुखी :-वाक शक्ति से तुरंत परिपूर्ण करने वाली, अपने साधक को खाने कि लिए दोडने वाली, शत्रुनाश, कोर्ट कचहरी में विजय, हर प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता के लिए, सरकारी कृपा के लिए माँ बगलामुखी की साधना करें। इस विद्या का उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब कोई रास्ता ना बचा हो। हल्दी की माला से कम से कम 8, 16, 21 माला का जप करें। इस विद्या को ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है और यह भगवान विष्णु की संहारक शक्ति है।मन्त्र – “ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:”मातंगी :-यह देवी घर ग्रहस्थी मे आने वाले सभी विघ्नो को हरने वाली है, जिसकी शादी ना हो रही, संतान प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति के लिए या किसी भी प्रकार का ग्रहस्थ जीवन की समस्या के दुख हरने के लिए देवी मातंगी की साधना उत्तम है। इनकी कृपा से स्त्रीयो का सहयोग सहज ही मिलने लगता है। चाहे वो स्त्री किसी भी वर्ग की स्त्री क्यो ना हो। इसके लिए आप स्फटिक की माला से मंत्र जप करें और बारह माला कम से कम मंत्र जप करना चहिए।मंत्र – “ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:”कमला :-यह देवी धूमावती की ठीक विपरीत है। जब देवी कमला की कृपा नही होगी तब देवी धूमावती तो जमी रहेगी। इसलिए दीपावली पर भी इनका पुजन किया जाता है। इस संसार मे जितनी भी सुन्दर लडकीयाँ है, सुन्दर वस्तु, पुष्प आदि है यह सब इनका ही तो सौन्दर्य है। हर प्रकार की साधना मे रिद्धि सिद्धि दिलाने वाली, अखंड धन धान्य प्राप्ति, ऋण का नाश और महालक्ष्मी जी की कृपा के लिए कमल पर विराजमान देवी की साधना करें। इन्ही साधना करके इन्द्र ने स्वर्ग को आज तक समभाले रखा है। इनकी उपासना के लिए कमलगट्टे की माला से कम से कम दस या इक्कीस माला मंत्र जप करना चाहिए।
मंत्र – “ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:”कृपया बिना यंत्र, माला और ज्ञान आदि के बिना किसी भी देवी की साधना ' उपासना ना करे
जय महाकाल। फिर आप की इच्छा ।

निराशा एक प्रकार की-नास्तिकता है। nirasha ek prakar ki nastikta hai

निराशा एक प्रकार की-नास्तिकता है।

जो व्यक्ति संध्या के डूबते हुए सूर्य को देखकर दुखी होता है और प्रातःकाल के सुन्दरी अरुणोदय पर विश्वास नहीं करता, वह नास्तिक है। जब रात के बाद दिन आता है, मरण के बाद जीवन होता है, पतझड़ के बाद बसन्त आता है, ग्रीष्म के बाद वर्षा आती है। सुख के बाद दुख आता है, तो क्या कारण है कि हम अपनी कठिनाईयों को स्थायी समझें?

जो माता के क्रोध को स्थायी समझता है और उसके प्रेम पर विश्वास नहीं करता, वह नास्तिक है और उसे अपनी नास्तिकता का दण्ड रोग, शक्ति विपत्ति, जलन, असफलता और अल्पायु के रूप में भोगना पड़ता है।

लोग समझते हैं कि कष्टों के कारण निराशा आती है, परन्तु यह भ्रम है। वास्तव में निराशा के कारण कष्ट आते हैं। जब विश्व में चारों ओर प्रसन्नता, आनन्द, प्रफुल्लता, आनन्द और उत्साह का समुद्र लहलहा रहा है, तो मनुष्य क्यों अपना सिर धुने और पछताये?

मधु-मक्खी के छत्ते में से लोग शहद निकाल ले जाते हैं, फिर भी वह निराश नहीं होती। दूसरे ही क्षण वह पुनः शहद इकट्ठा करने का कार्य आरम्भ कर देती है। क्या हम इन मक्खियों से कुछ नहीं सीख सकते? धन चला गया, प्रियजन मर गये, रोगी हो गये, भारी काम सामने आ पड़ा, अभाव पड़ गये, तो हम रोये क्यों? कठिनाइयों का उपचार करने में क्यों न लग जावें।

Tuesday, January 5, 2016

Guru seva hi sabse bad kar साधनाओं में उच्चतम साधना गुरु सेवा है

सभी साधनाओं में उच्चतम साधना गुरु सेवा है अतः हम साधना न भी कर पाएं मंत्र जप न कर पाएं तो भी गुरु सेवा में सलग्न रहना चाहिये जय गुरुदेव
 मेरे दिल का वो कोना आज भी खाली सा नजर आया जिसमे आने का आपने कभी किया था मुझसे वादा मेरे ही कुछ दोष पाप है वरना आपका तो था पुरा पुरा ईरादा
हुई अगर खता तो सजा के लिये भी तैयार है मगर फिर भी दिल मे आपके लिये ही प्यार है
 हमे अपना लो गुरूवर यही बीनती बारम बार

गुरुदेव हमें कभी छोड नहीं सकते।क्योंकि उन्होंने हमें वचन दिया है।एस जन्म मे आपका हाथ उन्होंने पकड़ा है।
जीवन राह मे कही भी अगर आपकी उनसे मुलाकात हो जाये उनसे कहना आपकी राह मे ओर भी बठे है पलके बिछायै ॐ निखलम ॐ😂😂😂😂😂😂😂
 ॐ निखलम ॐ ।। ॐगोपेश्वर ॐ ।।ॐ शर्रवेशर ॐ ।।

Guru ki mahima गुरू की महिमा

★★★ गुरू की महिमा★★★


1.गुरू एक तेज है, जिनके आते ही सारे सन्शय के अंधकार खतम हो जाते हैं !
2. गुरू वो मृदंग हे जिसके बजते ही अनाहद नाद सुनने शुरू हो जाते हैं !
3. गुरू वो ज्ञान हे जिसके मिलते ही पांचो शरीर एक हो जाते हैं !
4. गुरू वो दीक्षा हे जो सही मायने मे मिलती हे तो पार हो जाते हैं !
5. गुरू वो नदी है, जो निरंतर हमारे प्राण से बहती हैं !
6. गुरू वो सत चित आनंद हैं, जो हमे हमारी पहचान देता हैं !
7. गुरू वो बासुरी हैं, जिसके बजते ही अंग अंग थीरक ने लगता हैं !
8. गुरू वो अमृत हे जिसे पीके कोई कभी प्यासा नही!
9. गुरू वो मृदन्ग हैं, जिसे बजाते ही सो हम नाद की झलक मिलती हैं !
10. गुरू वो कृपा हि हैं जो सिर्फ कुछ सद शिष्यो को विशेष रूप मे मिलती हे और कुछ पाकर भी समझ नही पाते !
11. गुरू वो खजाना है, जो अनमोल है !
12. गुरू वो समाधि है, जो चिरकाल तक रहती है !
13.गुरू वो प्रसाद है, जिसके भाग्य मे हो उसे कभी कुछ मांगने की ज़रूरत नही !

Haarsingar ke pato se ilaz

पारिजात पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पियो तो बीस बीस साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक हो जाता है-

और ये ही पत्ते को पीस के गरम पानी में डाल के पियो तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दावा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है-

पारिजात बावासीर रोग के निदान के लिए रामबाण औषधी है। इसके एक बीज का सेवन प्रतिदिन किया जाये तो बवासीर रोग ठीक हो जाता है। पारिजात के बीज का लेप बनाकर गुदा पर लगाने से बवासीर के रोगी को राहत मिलती है-

इसके फूल हृदय के लिए भी उत्तम औषधी माने जाते हैं। वर्ष में एक माह पारिजात पर फूल आने पर यदि इन फूलों का या फिर फूलों के रस का सेवन किया जाए तो हृदय रोग से बचा जा सकता है-

इतना ही नहीं पारिजात की पत्तियों को पीस कर शहद में मिलाकर सेवन करने से सूखी खाँसी ठीक हो जाती है-

इसी तरह पारिजात की पत्तियों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा संबंधि रोग ठीक हो जाते हैं। पारिजात की पत्तियों से बने हर्बल तेल का भी त्वचा रोगों में भरपूर इस्तेमाल किया जाता है-

पारिजात की कोंपल को यदि पाँच काली मिर्च के साथ महिलाएँ सेवन करें तो महिलाओं को स्त्री रोग में लाभ मिलता है। वहीं पारिजात के बीज जहाँ बालों के लिए शीरप का काम करते हैं तो इसकी पत्तियों का जूस क्रोनिक बुखार को ठीक कर देता है-

संवत्सर भूल गए apna bharat ka naya saal bhul gaye

🍂हवा लगी पश्चिम की सारे कुप्पा बनकर फूल गए
ईस्वी सन तो याद रहा अपना संवत्सर भूल गए


चारों तरफ नए साल का ऐसा मचा है हो-हल्ला
बेगानी शादी में नाचे ज्यों दीवाना अब्दुल्ला

धरती ठिठुर रही सर्दी से घना कुहासा छाया है
कैसा ये नववर्ष है जिससे सूरज भी शरमाया है

सूनी है पेड़ों की डालें, फूल नहीं हैं उपवन में
पर्वत ढके बर्फ से सारे, रंग कहां है जीवन में

बाट जोह रही सारी प्रकृति आतुरता से फागुन का
जैसे रस्ता देख रही हो सजनी अपने साजन का

अभी ना उल्लासित हो इतने आई अभी बहार नहीं
हम नववर्ष मनाएंगे, न्यू ईयर हमें स्वीकार नहीं

लिए बहारें आँचल में जब चैत्र प्रतिपदा आएगी
फूलों का श्रृंगार करके धरती दुल्हन बन जाएगी

मौसम बड़ा सुहाना होगा दिल सबके खिल जाएँगे
झूमेंगी फसलें खेतों में, हम गीत खुशी के गाएँगे

उठो खुद को पहचानो यूँ कबतक सोते रहोगे तुम
चिन्ह गुलामी के कंधों पर कबतक ढोते रहोगे तुम

अपनी समृद्ध परंपराओं का मिलकर मान बढ़ाएंगे भारतवर्ष के वासी अब अपना नववर्ष मनाएंगे

💐हमारी संस्कृति💐 🌷💐हमारी विरासत💐🌷