Tuesday, January 13, 2015

I am in love You मैं तुम्हें अत्यधिक प्रेम करता हूं

जीवन का लक्षय प्राप्त किये बिना ही जीवन बीत गया। अभी भी समय है, उठो,जागो
भक्त से शिष्य बनने का सद्अवसर है , उठो,जागो सोचो मत।
केवल "पुरूशार्थ करो, केवल "पुरूशार्थ
बिना कुछ किये ही आशीर्वाद मत मांगो। तुम मेरे हो, अतिशय प्रिय हो। मैं तुम्हें अत्याधिक प्रेम करता हूं।

पल प्रतिपल तेरी हर प्रकार से सहायता करने को तत्पर हूं। आज से, अभी से
अब तो मेरे आश्वासन का, मेरी कृपा का एवं इस अनमोल अवसर का सदुपयोग करो। मैं हर प्रकार से तुम्हारे साथ हूँ। सांसारिक सुख के पीछे मत भटकते रहो,उसकी चाह को ही मिटा दो।
अविनाशी सुख, परम शांति अर्थात परमानंद की प्राप्ति ही जीवन का लक्ष्य है। तू एक बूंद पानी, मेरा ही अंश, मुझ अंशी सागर को प्राप्त हो।
यही है मिलन, जीव का अपने घर लौटना। जल्दी करो। मैं दोनो नही, असंख्य हाथ... बांहे फैलाये तेरी प्रतीक्षा कर रहा हूं।
मेरा ह्रदय तेरे लिये व्याकुल है, मिलन के लिये तड़प रहा है। जल्दी लौट आओ।

अगर आप दुनिया की भीड़ से बचना चाहते हो बस एक काम करना, प्रेमके रास्ते पर
चलना शुरू कर देना। यहाँ बहुत कम भीड़ है और इस रास्ते पर चलने के लिए हर कोई तैयार नहीं होता। यद्यपि व्यर्थ के लोगों से बचने के और भी कई तरीके हैं मगर प्रेम पर चलने से व्यर्थ अपने आप छूट जाता है और श्रेष्ठ प्राप्त हो जाता है।
गलत दिशा की ओर हजारों कदम चलने की अपेक्षा लक्ष्य की ओर चार कदम चलना कई
गुना महत्वपूर्ण है। तुम प्रेम को जितना जल्दी हो चुन लो ताकि परम प्रेम भी तुम्हें चुन सके।
प्रेम के मार्ग पर चलना ही सबसे बड़ा साहसिक कार्य है। प्रेम के मार्ग पर चलने ही सृजन
होता है। प्रेम के मार्ग पर चलने से ही आत्मा का कल्याण होता है। हो सकता है
प्रेम से सत्ता ना मिले पर सच्चिनानंद अवश्य मिल जाता है।

1 comment:

Unknown said...

गुरु जी आप मुझे अपना शिस्य बनाए और मुझे आशीर्वाद दे
में हमेसा आपका आभारी रहूँगा,