Saturday, May 14, 2016

Rog Nivaran mantra sadhana कुछ विशेष रोग निवारण मंत्र

कुछ विशेष रोग निवारण मंत्र


यों तो किसी भी समस्या के समाधान हेतु अनेको उपाय हैं। परन्तु मंत्रों के माध्यम से समस्या के निवारण के पीछे धारणा यह है कि मंत्र शक्ति एवं दैवी शक्ति के द्वारा साधक को वह बल प्राप्त होता है जिससे कि किसी भी समस्या का समाधान सहज हो जाता है। उदाहरण के लिए माना जाता है कि सभी रोगों का उदभाव मनुष्य के मन से ही होता है। मन पर पड़े दुष्प्रभावों को यदि मंत्र द्वारा नियंत्रित कर लिया जाए, तो रोग स्थाई रूप से शांत हो जाते हैं। उसी प्रकार मन को सुदृढ़ करके किसी भी समस्या पर आप विजय प्राप्त कर सकते हैं।

ब्लड प्रेशर तो स्थाई रूप से नियंत्रित हो सकता है... आप ख़ुद परख लीजिये न
क्या आप ब्लड प्रेशर के रोगी है, तो आप परेशान न हों, क्योंकि आपके पास स्वयं इसका इलाज है। यदि थोड़ी सी सावधानी बरत लें, तो फिर इसे आप आसानी से नियंत्रित कर सकते हैं। आप दवाओं के साथ यदि इस प्रयोग को भी संपन्न करें, तो फिर यह स्थाई रूप से नियंत्रित हो सकता है। मंत्रों में इतनी क्षमता होती है, कि यदि आप उनका प्रयोग उचित विधि से करें, तो वे पूर्ण फलप्रद होते ही हैं।

आप 'रोग निवारक मधूरूपेन रूद्राक्ष' लेकर उसे किसी ताम्रपात्र में केसर से स्वस्तिक बनाकर स्थापित करें। उसके समक्ष ४० दिन तक नित्य ७५ बार निम्न मंत्र का जाप करें, नित्य मंत्र जप समाप्ति के बाद रूद्राक्ष धारण कर लें -
मंत्र
॥ ॐ क्षं पं क्षं ॐ ॥
प्रयोग समाप्त होने के बाद रूद्राक्ष को नदी में प्रवाहित कर दें।

सबसे खतरनाक बिमारी है डायबिटीज और इसका समाधान यह भी है
डायबिटीज रोग कैसा होता है, यह तो इससे पीड़ित रोगी ही अच्छी तरह समझ सकते हैं। दिखने में तो यह सामान्य है, लेकिन जब यह उग्र रूप धारण कर लेता है, तो व्यक्ति अनेक प्रकार की बिमारियों से घिर जाता है तथा मृत्यु के समान कष्ट पाता है। इसी कारण इसको खतरनाक बिमारी कहा गया है। आप इस रोग का पूर्ण समाधान प्राप्त कर सकते है, यदि आप दवाओं के साथ साथ इस प्रयोग को भी संपन्न कर लें।

रविवार के दिन पूर्व दिशा की ओर मुख कर सफेद आसन पर बैठ जाएं। सर्वप्रथम गुरु पूजन संपन्न करे तथा गुरूजी से पूर्ण स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके पश्चात सफेद रंग के वस्त्र पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर 'अभीप्सा' को स्थापित करे दें, फिर उसके समक्ष १५ दिन तक नित्य मंत्र का ८ बार उच्चारण करें -
मंत्र
॥ ॐ ऐं ऐं सौः क्लीं क्लीं ॐ फट ॥
प्रयोग समाप्ति के बाद 'अभीप्सा' को नदी मैं प्रवाहित कर देन

आपने मस्तिष्क की क्षमता को पूर्ण विकसित करिए

आज का भौतिक युग प्रतियोगिताओं का युग है, जीवन के प्रत्येक क्षण मैं आपको अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कराने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगी परिस्थितियों का सामना करना पङता है जिस व्यक्ति का मस्तिष्क जितना अधिक क्रियाशील, क्षमतावान होता है, वह उतना ही श्रेष्टता अर्जित कर लेता है आप भी आपने मस्तिष्क की क्षमता को पूर्ण विकसित कर सकते हैं इस प्रयोग के माध्यम से -'चैत्यन्य यंत्र' को किसी भी श्रेष्ठ समय मैं धारण कर लें एवं नित्य पराठा काल आपने इष्ट का स्मरण कर निम्न मंत्र का १५ मिनट तक जप करें -
मंत्र
॥ ॐ श्रीं चैतन्यं चैतन्यं सदीर्घ ॐ फट ॥
यंत्र को ४० दिनों तक धारण किए रहे ४० दिन के पश्चात उसे नदी मैं प्रवाहित कर दे।

आपने अनिद्रा के रोग को इस प्रकार से समाप्त करिए

क्या कहा आपने, आप को नींद नहीं आती और और इसके लिए आपको रोज रात को नींद की गोली लेनी आवश्यक हो जाती है और फिर भी आप चाहते हुए चैन की नींद नहीं ले पाते आपको स्वाभाविक नींद लिए हुए कई माह बीत चुके हैं कहीं इस रोग के कारण आपका स्वास्थ्य तो प्रभावित नहीं हो रहा है आपका सौन्दर्य कहीं डालने तो नहीं लगा यह रोग आपके लिए हानिकारक, तो नहीं साबित हो रहा है यदि ऐसा है तो आप शीघ्र ही इससे छुटकारा प्राप्त कर लीजिये

आप किसी भी रात्री को स्नान कर सफेद वस्त्र मैं कुंकुम से द्विदल कमल बनाए, अपना नाम कुंकुम से लिखकर उस पर उस पर 'रोग मुक्ति गुटिका' को स्थापित करें नोऊ दिन तक गुटिका के समक्ष निम्न मंत्र का ग्यारह बार जप एकाग्र चित्त हो कर करें -
मंत्र
॥ ॐ अं अनिद्रा नाशाय अं ॐ फट ॥
जप समाप्ति के बाद शांत मन से लेट जायें और नौ दिन के पश्चात गुटिका को नदी में प्रवाहित करें।
मंत्र-तंत्र-यंत्र विज्ञान, जुलाई २००५

2 comments:

No1Employee said...

Yesh Abipsa hoti kya hai or dikhti kaisi hai, kripya batiein.

No1Employee said...

Mera E-mail hai khanna1amit@gmail.com