Why is enlightenment necessary? Need to understand why you understand ?

आत्मज्ञान क्यों ज़रूरी है? अपनी आत्मा को क्यों समझने अनुभव करने की आवश्यकता है?
एक गर्भवती शेरनी को शिकारी ने गोली मार दी, मरने से पूर्व उसने नन्हें शेर को जन्म दिया, जिसे हिरणों के झुण्ड ने पाला। शेर स्वयं को हिरण समझता और वैसी ही क्रियाएँ करता। एक दिन एक युवा शेर की दहाड़ सुनकर हिरण के बच्चे भागने लगे उन्हें भागता देख शेर का बच्चा भी भागने लगा। युवा शेर को बड़ा आश्चर्य हुआ उसने उस शेर के बच्चे को पकड़कर पूंछा हिरण के बच्चे भागे ये बात तो समझ आई। लेकिन तू मुझसे डरकर क्यूँ भाग रहा है। शेर का बच्चा बोला मैं एक हिरण हूँ और हमें शेर को देखकर प्राणरक्षा के लिए भागना सिखाया गया है।
युवा शेर उस शेर के बच्चे को लेकर जल के समीप पहुंचा और जल में उसका और अपना चेहरा दिखाते हुए बोला देखो तुम बिलकुल मेरी तरह एक शेर हो। और बोला मेरी तरह दहाड़ने की कोशिश करो और फ़िर वो शेर का बच्चा भो दहाड़ा और अपने स्वरूप का भान हुआ। सद्गुरु भी हमारे आत्मदर्पण में हमारे आत्मस्वरूप को दिखाते हैं, शक्तियां जो हमारे भीतर पहले से ही मौजूद हैं बस उनका परिचय करवा देते हैं।
आत्मा तो अभी भी हमारे और आपके अंदर है तभी तो हम लिख पा रहे है और आप ये मैसेज पढ़ पा रहे हैं। वरना बिन आत्मा के हम दोनों को कब का हमारे घरवाले श्मशान में जला चुके होते। बस अंतर यह है क़ि जीवित हम लोग शेर के बच्चे की तरह हैं स्वयं के स्वरूप से अंजान false identity( जो हम नहीं है उस परिचय ) के साथ जी रहे हैं, निज शक्तियों से अंजान हो विभिन्न शारीरिक मानसिक दुःख भोग रहे हैं। स्वयं को जानने के लिए ही परम् पूज्य गुरुदेव ने उपासना-साधना और आराधना का मार्ग बताया है।

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1 Comments

Unknown said…
आत्मा को पहचानो , अच्छाी कहानी है।
मानसशास्त्र वाले अचेतन मन को जानो ये कहते है।
आखिर मन की स्विकार भावना महत्वपूर्ण है।
तो कोनसा रस्ता अधिक ठिक?