Friday, April 8, 2016

Nischit manokamna purti gayatri mantra sadhna

॥ निश्चित कामना पूर्ति प्रयोग ॥
कई बार हमे अपने जीवन मे ऐसे कार्य सम्पन्न करने होते है , जो हमारे जीवन मे आवश्यक होते है , यदि वे कार्य समय पर पूर्ण न हो तो हानि हो सकती है या परेशानियां हो सकती है ।
उदाहरण के लिए इन्टरव्यू मे सफलता शीघ्र नौकरी लगना , व्यपार मेँ उन्नति होना , या कोई ऐसा कार्य जो रुका हुआ हो और पूरा नहीँ हो रहा हो तो ऐसा कार्य की सफलता के लिए यह प्रयोग अपने आप मे चमत्कारी है , इस प्रयोग को सम्पन्न करते ही कार्य सिद्धि हो जाती है , और कुछ ही दिनो मे हमारा मनोवांछित कार्य हो जाता है ।
रात्रि के समय स्नान कर , लाल आसन पर बैठ कर लाल धोती पहन कर लाल हकीक माला से 51 माला मन्त्र जाप अनिवार्य है , यह पूरा मन्त्र जाप एक ही रात्रि मे सम्पन्न हो जाना चाहिए और मन्त्र जाप के बीच मे उठना या अन्य कार्य करना सर्वथा वर्जित है । ऐसा 5 दिन करे मंगलवार से शुरु करे ।
मन्त्र-
तत्सवितुर्वरेण्यं महात्काम्य ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल स्वाहा । धियो योनः प्रचोदयात् पर ज्योतिर्महा ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल परो राजसे सावदो परं ज्योति कोटि - चन्द्रर्कादोन् ज्वल ज्वल स्वाहा । ओमापो ज्योति रसो मृत ब्रह्मा भूर्भुवः स्वरोम् । सर्व तेजो ज्वल ज्वल स्वाहा ।
वास्तव मेँ यह अपने आप मे तेजस्वी और अद्वितीय मन्त्र है और यह प्रयोग चमत्कारिक है और किसी भी प्रकार की कार्य सिद्धि मेँ यह प्रयोग तुरन्त सफलता दायक है ।
Hirendra pratap Singh

Wednesday, January 27, 2016

सिद्ध लक्ष्मी सहस्त्राक्षरी मंत्र साधना। sidh Lakshmi sahastrakshri Mantra sadhna



विनियोगः -- ॐ अस्य श्री सर्व महाविद्या महारात्रि गोपनीय मंत्र रहस्याति रहस्यमयी पराशक्ति श्री मदाधा भगवती सिद्ध लक्ष्मी सहस्त्राक्षरी सहस्त्र रूपिणी महाविद्याया: श्री इन्द्र ऋषि गायत्र्यादि नाना छन्दांसि नवकोटि शक्तिरूपा श्री मदाधा भगवती सिद्ध लक्ष्मी देवता श्री मदाधा भगवती सिद्ध लक्ष्मी प्रसादादखिलेष्टार्थे जपे पाठ विनियोगः


ऋष्यादि न्यास


श्री इन्द्र ऋषिभ्यां शिरसे नमः
गायत्र्यादि नानाछन्देभ्यो नम: मुखे
नव कोटि शक्तिरूपा श्री मदाधा भगवती सिद्ध लक्ष्मी प्रसादाद खिलेष्टार्थे जपे पाठे विनियोगाय नमः सर्वांगे


अंग न्यास


ॐ श्रीं सहस्त्रारे (सहस्त्रार चक्र)
ॐ क्लीं नमो नेत्रयुगले (दोनों नेत्र)
ॐ श्रीं नमः हृदये
ॐ ह्रीं नमः जंघा द्वये (जांघ)
ॐ ह्रीं नमः भाले(ललाट)
ॐ ऐं नमो हस्त युगले(दोनों हाथ)
ॐ क्लीं नमः कटौ(पैर)
ॐ श्रीं नमः पादादि सर्वांगे


लक्ष्मी के चित्र के आगे 21 पाठ करे पुष्य योग में।


महाविद्या मंत्र


ॐ ऐं ह्रीं श्रीं ह्सौ श्रीं ऐं ह्रीं क्लीं सौ: सौ: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं जय जय महालक्ष्मी जगदाधे विजये सुरासुर त्रिभुवन निदाने दयांकुरे सर्व देव तेजो रूपिणी विरंचि संस्थिते विधि वरदे सच्चिदानन्दे विष्णु देहावृते महा मोहिनी नित्य वरदान तत्परे महा सुधाब्धि वासिनि महा तेजो धारिणी सर्वाधारे सर्व कारण कारिणे अचिन्त्य रूपे इन्द्रादि सकल निर्जर सेविते साम गान गायन परिपूर्णोदय कारिणी विजये जयंति अपराजिते सर्व सुन्दरि रक्तांशुके सूर्य कोटि संकाशे चन्द्र कोटि सुशीतले अग्निकोटि दहन शीले यम कोटि वहन शीले  ॐ कार नाद बिन्दु रूपिणी निगमागम भागदायिनी त्रिदश राजदायिनी सर्व स्त्री रत्न स्वरूपिणी दिव्य देहिनी निर्गुणो सगुणे सद् सद् रूपधारिणी सुर वरदे भक्त त्राण तत्परे बहु वरदे सहस्त्राक्षरे अयुताक्षरे सप्त कोटि लक्ष्मी रूपिणी अनेक लक्ष लक्ष स्वरुपे अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड नायिके चतुर्विंशति मुनि जन संस्थिते चतुर्दश भुवन भाव विकारणे गगन वाहिनि नाना मंत्र राज विराजते सकल सुंदरीगण सेविते चरणारविन्दे महात्रिपुर सुन्दरि कामेश दायिते करुणा रस कल्लोलिनि कल्प वृक्षादि स्थिते चिंतामणि द्वय मध्यावस्थिते मणि मन्दिरे निवासिनी विष्णु वक्षस्थल कारिणे अजिते अमिले अनुपम चरिते मुक्ति क्षेत्राधिष्ठायिनी प्रसीद प्रसीद सर्व मनोरथान पूरय पूरय सर्वारिष्ठान छेदय छेदय सर्व ग्रह पीड़ा ज्वराग्र भयं विध्वंसय विध्वंसय सर्व त्रिभुवन जातं वशय वशय मोक्ष मार्गाणि दर्शय दर्शय ज्ञान मार्ग प्रकाशय प्रकाशय अज्ञान तमो नाशय नाशय धन धान्यादि वृद्धिं कुरु कुरु सर्व कल्याणानि कल्पय कल्पय मां रक्ष रक्ष सर्वायद्भयो निस्तारय निस्तारय वज्र शरीर साधय साधय ह्रीं क्लीं सहस्त्राक्षरी सिद्ध लक्ष्मी महा विद्यायै नमः ।।

Bharat ki khushbu

🇮🇳 🇮🇳 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी !
सुन्दरता कश्मिर की तुममे, सिक्किम जैसा शर्माती !!
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खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !
केरल जैसा आंख तुम्हारा, है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!
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महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !
खुशबू हो तुम कर्नाटक कि, बल तो तेरा हरियाना !!
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सिधी-सादी उड़ीसा जैसी, एम.पी जैसा मुस्काना !
दुल्हन तुम राजस्थानी जैसी, त्रिपुरा जैसा इठलाना !!
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झारखन्ड तुम्हारा आभूषण, तो मेघालय तुम्हारी बिन्दीया है !
सीना तो तुम्हारा यू.पी है तो, हिमांचल तुम्हारी निन्दिया है !!
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कानों का कुन्डल छत्तीसगढ़, तो मिज़ोरम तुम्हारा पायल है !
बिहार गले का हार तुम्हारा, तो आसाम तुम्हारा आंचल है !!
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नागालैन्ड- आन्ध्र दो हाथ तुम्हारे, तो ज़ुल्फ़ तुम्हारा अरुणांचल है !
नाम तुम्हारा भारत माता, तो पवित्रता तुम्हारा उत्तरांचल है !!
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सागर है परिधान तुम्हारा, तिल जैसे है दमन-द्वीव !
मोहित हो जाता है सारा जग, रहती हो तुम कितनी सजीव !!
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अन्डमान और निकोबार द्वीप, पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !
झिल-मिल, झिल-मिल से लक्षद्वीप, जो चमक रहे तेरे गालों में !!
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ताज तुम्हारा हिमालय है, तो गंगा पखारती चरण तेरे !
कोटि-कोटि हम भारत वासियों का,
स्वीकारो तुम नमन मेरे !!
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
कुछ ऐसा करूँ आंदोलन कि हर सोये हिन्दू का अभिमान जगा दूँमाँ भारती करना ऐसी कुछ क्रपा कि अपने हर एक हिन्दू भाई को हिन्दुस्तानी बना दूँ।और अपने लहू की हर एक बूँद को हिन्दुत्व के इतिहास की स्याही बना दूँखुद मिट जाऊ हिन्दुत्व की राह पे पर इतना साथ देना इस हिन्दू शेर का कि अपने धर्म के हर एक दुश्मन को हिन्दुत्व की तलवार की भेट चढ़ा दूँ...🚩जय श्री राम 🚩
[1/26, 11:37 AM] ‪+91 84097 40877‬: 💝
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"शरफ़्ररोशी"की"तमन्ना"अब"हमारे"दिल"💝"में"है" "देखना"है"जोर"कितना"बाजुए"कातिल"में" है"
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"ऐ"वतन"मेहबूब"मेरे"तुझपे"दिल" "कुर्बान "है"
"हर"करम"अपना"करेगे"ऐ"वतन"तेरे" "लिए"
※══❖═▩══※══※▩═❖══※
"दिल💝"दिया"है'जान"भी"देगे"ऐ"वतन" "तेरे"लिए"
"हम"जिएंगे"और'मारेगे"ऐ"वतन"तेरे" "लिए"●❗
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 हक मिलता नही लिया जाता है...🇮🇳
आज़ादी मिलती नही छिनी जाती है...🇮🇳
नमन उन देश प्रेमियों को जो देश की आज़ादी की जंग के लिये जाने जाते हैं... 🇮🇳

आज़ादी की कभी शाम ना होने देंगे...🇮🇳
 शहीदों की कुर्बानी बदनामी ना होने देंगे...🇮🇳
बच्ची है जो एक बूंद भी लहू की तब तक भारत माँ का आँचल नीलाम ना होने देंगे !

जय हिंद 🇮🇳
[1/26, 11:37 AM] ‪+91 84097 40877‬: अब तक जिसका खून न खौला,वो खून नहीं वो पानी है जो देश के काम ना आये ,वो बेकार जवानी है...🙏🏻

बोलो भारत माता की जय 👏🏻

जय हिंद 🇮🇳

Wednesday, January 6, 2016

गुरुवार का विशेष उपाय guruvaar ke din upay

गुरुवार का विशेष उपाय: मिलेगा धन,
हो जाएगी शादी
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गुरुवार सप्ताह का सबसे महत्त्वपूर्ण दिन है क्यूंकि . ये दिन
गुरुओं को समर्पित है इसीलिए हम देखते हैं
की इस दिन सिद्धो की समाधि में,
फकीरों की समाधि आधी में
लोगो की भीड़
लगी रहती है.
गुरुवार के दिन हम उन लोगो को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने
अपने जीवन के परमोच्च लक्ष्य को प्राप्त
किया हो. ये दिन हैं किसी विशेष कार्य को प्रारभ
करने का, विद्या आरंभ करने का आदि.
गुरुवार के दिन सावधानी:
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इस दिन दक्षिण
दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए
अन्यथा हानि होने की संभावनाए
होती है. और अगर करना पड़े तो विशेष
सावधानी रखना चाहिए.
चलिए देखते हैं की गुरुवार के दिन कौन से टोटके किये
जा सकते है:
1. अगर पुखराज या सुनेला धारण करना हो तो गुरुवार से
अच्छा कोई दिन नहीं होता है.
2. इस दिन स्वर्ण खरीदने का भी दिन
होता है और इस दिन का ख़रीदा हुआ सोना शुभ
फल देता है.
3. अगर विवाह में विलम्ब हो रहा हो गुरु के कारण तो इस दिन
पिली चीजों का दान करने से विवाह
बाधा दूर होती है.
4. पढाई में समस्या आ रही हो तो इस दिन से गुरु
का मंत्र जप करना फायदेमंद रहता है.
5. गणेशजी के 108 नामो के साथ अगर
गणेशजी को 108 लड्डू अर्पित किया जाए तो कई
व्यक्तिगत और कामकाजी समस्याओ का निवारण
होता है.
6. अगर काम काज में सफलता नहीं मिल
रही है तो गुरुवार को घर से बहार निकलते हुए 1
चुटकी नमक और हल्दी दरवाजे के
दोनों तरफ चेदकते हुए बहार निकले सफलता मिलने के अवसर
बाद जायेंगे.
7. घर में सुख और सम्पन्नता लाने के लिए गुरुवार से दरवाजे के
दोनों और स्वस्तिक बनाना चाहिए और गुड और चने का भोग वह
लगाना चाहिए.
वैदिक ज्योतिष में ऐसा कहा जाता है
की कुंडली में अगर सब ग्रह कमजोर
हो परन्तु सिर्फ गुरु अगर बलवान होतो व्यक्ति एक
सुखी जीवन जीता है.
अतः गुरु के शुभ फल को जरुर प्राप्त करना चाहिए.
गुरु व्यक्ति को मजबूत और गंभीर बनाता है,
शौक़ीन भी बनता है. इसका बल
ज्यादा बड जाए
तो व्यक्ति अभीमानी हो जाता है जिससे
की बहुत
परेशानी हो जाती है.
अतः इसके बल को नियंत्रित करना चाहिए जिससे
की एक सफल जीवन जिया जा सके.
गुरूवार को बृहस्पति देव की पूजा करने से धन,
विद्या, पुत्र तथा मनोवांछित फल
की प्राप्ति होती है। परिवार में सुख
तथा शांति का समावेश होता है। जिन जातकों के विवाह में बाधाएं
उत्पन्न हो रही हों एवं धन
की कमी हो उन्हें गुरूवार का व्रत
करना चाहिए। गुरुवार को बृहस्पति भगवान का व्रत रखने से घर
में हमेशा सुख-संपत्ति की बहार
रहती है।
इस दिन ब्रह्स्पतेश्वर महादेव
जी की पूजा होती है। दिन
में एक समय ही भोजन करें। पीले
वस्त्र धारण करें, पीले पुष्पों को धारण करें। भोजन
भी चने की दाल का होना चाहिए। नमक
नहीं खाना चाहिए। पीले रंग का फूल,
चने की दाल, पीले कपड़े
तथा पीले चन्दन से पूजा करनी चाहिए।
पूजन के बाद कथा सुननी चाहिए। इस व्रत से
ब्रहस्पति जी खुश होते हैं तथा धन और
विद्या का लाभ होता है। यह व्रत महिलाएं आवश्य करें। इस
व्रत मे केले का पूजन होता है।
धन प्राप्ति के लिए
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बृहस्पतिवार को सवा पांच किलो आटा एवं सवा किलो गुड़ लेकर
दोनों को इकट्ठा कर आटा गूंध लें और रोटियां बना लें और सायंकाल
के समय गाय को खिलाएं। तीन गुरुवार तक ऐसा करने
से दरिद्रता दूर होती है और धन
की प्राप्ति होती है।
विवाह में बांधा का उपाय
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विवाह में बाधा पड़ रही हो तो शुक्ल पक्ष के
प्रथम गुरुवार वाले दिन शाम को केले के पेड़ पर पांच तरह
की मिठाई,
दो हरी इलायची एवं शुद्ध
घी के दीपक के साथ जल अर्पित करें।
ऐसा तीन गुरुवार तक करने से शीघ्र लाभ
होगा।

कुंडली में राहू अच्छा नहीं है तो किसी से कोई चीज़ मुफ्त में rahu se problem

यदि आपकी कुंडली में राहू अच्छा नहीं है तो
किसी से कोई चीज़ मुफ्त में न लें क्योंकि हर मुफ्त
की चीज़ पर राहू का अधिकार होता है | लेने वाले
का राहू और खराब हो जाता है और देने वाले के सर
से राहू उतर जाता है |
राहू ग्रह का कुछ पता नहीं कि कब बदल जाए जैसे
कि आप कल कुछ काम करने वाले हैं लेकिन समय आने
पर आपका मन बदल जाए और आप कुछ और करने लगें
तो इस दुविधा में राहू का हाथ होता है |
किसी भी प्रकार की अप्रत्याशित घटना का
दावेदार राहू ही होता है |


दस महाविद्या के मंत्रो और इनके प्रभाव dasmaha vidha mantro ka prabhav

दस महाविद्या के मंत्रो और इनके प्रभाव ।
जय माँ ।
काली :-देवी का
लिका काम रुपणि है इनकी कम से कम 9,11,21 माला का जप काले हकीक की माला से किया जाना चाहिए। इनकी साधना को बीमारी नाश, दुष्ट आत्मा दुष्ट ग्रह से बचने के लिए, अकाल मृत्यु के भय से बचने के लिए, वाक सिद्धि के लिए, कवित्व के लिए किया जाता है। षटकर्म तो हर महाविद्या की देवी कर सकती है। षट कर्म मे मारण मोहन वशीकरण सम्मोहन उच्चाटन विदष्ण आदि आते है।परन्तु बुरे कार्य का अंजाम बुरा ही होता है। बुरे कार्य का परिणाम या तो समाज देता है या प्रकृति या प्रराब्ध या कानून देता ही है। इसलिए अपनी शक्ति से शुभ कार्य करने चाहिए।मंत्र “ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहाः”
तारा :-तारा को तारिणी भी कहा गया है। जिस पर देवी तारा की कृपा हो जाये उसे भला और क्या चाहिए। फिर तो वो साधका एक दूध पीते बच्चे की तरह माँ की गोद मे रहता है। इनकी साधना से वाक सिद्धि तो अतिशीघ्र प्राप्त होती है साथ ही साथ तीब्र बुद्धि रचनात्मकता डाक्टर इनजियर बनाने के लिए, काव्य गुण के लिए, शत्रु को तो जड से खत्म कर देती है। इसके लिए आपको लाल मूगाँ या स्फाटिक या काला हकीक की माला का इस्तेमाल कर सकते है। हमारे हिसाब से कम से कम बारह माला का जप किया जाना चाहिए। कृपा करके इस देवी के मंत्रो मे स्त्रीं बीज का ही प्रयोग करे क्योकि त्रीं एक ऋषि द्वारा शापित है। इस शाप का निदान केवल त्रीं को स्त्रीं बनाने पर स्वयँ हो जाता है।मंत्र “ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट”
त्रिपुर सुंदरी :-इस दुनिया मे ऐसा कोई काम नही है जिसे त्रिपुर सुन्दरी ना कर सके। जिस काम मे देवता का चयन करने मे कोई दिक्कत हो तो देवी त्रिपुर सुन्दरी की उपासना कर सकते है। यह भोग और मोक्ष दोनो ही साथ-साथ प्रदान करती है। ऐसी इस दुनिया मे कोई साधना नही है जो भोग और मोक्ष एक साथ प्रदान करे। इस मंत्र के जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल किया जा सकता है। कम से कम दस माला जप करें।मंत्र – “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमःभुवनेश्वरी :-यह साधना हर प्रकार के सुख मे वृद्धि करने वाली है। देवी भुवनेश्वरी की खास बात यह है कि यह बहुत ही कम समय मे प्रसन्न हो जाती है परंतु एक बार रुठ गई तो मनाना भी थोडा मुश्किल ही होता है। देवी माँ से कभी भी झुठे वचनो नही कहने चाहिए। इनके जप के लिए स्फटिक की माला का प्रयोग करें और कम से कम ग्यारह या इक्कीस माला का मंत्र जप करें।मन्त्र – “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमः”छिन्नमस्ता :-यह विद्या बहुत ही तीव्र है। यह देवी शत्रु का तुरंत नाश करने वाली, वाक देने वाली, रोजगार में सफलता, नौकरी पद्दोंन्ति के लिए, कोर्ट के कैस से मुक्ति दिलाने मे सक्षम है और सरकार को आपके पक्ष मे करने वाली, कुंडिली जागरण मे सहायक, पति-पत्नी को तुरंत वश मे करने वाली चमत्कारी देवी है। इसकी साधना सावधान होकर करनी चाहिए क्योकि तीव्र होने के कारण रिजल्ट जल्दी ही मिल जाता है। इसके लिए आप रुद्राक्ष या काले हकीक की माला से कम से कम ग्यारह माला या बीस माला मंत्र जप करना चाहिए
मंत्र- “श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:”त्रिपुर भैरवी :-
यह देवी प्रेत आत्मा के लिए बहुत ही खतरनाक है, बुरे तंत्रिक प्रयोगो के लिए, सुन्दर पति या पत्नी की प्राप्ति के लिए, प्रेम विवाह, शीघ्र विवाह, प्रेम में सफलता के लिए श्री त्रिपुर भैरवी देवी की साधना करनी चाहिए। इनकी साधना तुरंत प्रभावी है। जिस किसी तांत्रिक समस्या का समाधान नही हो रहा है, यह देवी उस समस्या का यह जड से विनाश करती है। इस देवी का मंत्र जप आप मूंगे की माला से कर सकते है और कम से कम पंद्रह माला मंत्र जप करनी चाहिए।
मंत्र – “ॐ ह्रीं भैरवी कलौं ह्रीं स्वाहा:”
धूमावती :-हर प्रकार की द्ररिद्रता के नाश के लिए, तंत्र – मंत्र के लिए, जादू – टोना, बुरी नजर और भूत – प्रेत आदि समस्त भयों से मुक्ति के लिए, सभी रोगो के लिए, अभय प्रप्ति के लिए, साधना मे रक्षा के लिए, जीवन मे आने वाले हर प्रकार के दुखो को प्रदान करने वाली देवी है इसे अलक्ष्मी भी कहा जाता है तो इसके निवारण के लिए धूमावती देवी की साधना करनी चाहिए मोती की माला या काले हकीक की माल का प्रयोग मंत्र जप में करें और कम से कम नौ माला मंत्र जप करेंमंत्र- “ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा:”
बगलामुखी :-वाक शक्ति से तुरंत परिपूर्ण करने वाली, अपने साधक को खाने कि लिए दोडने वाली, शत्रुनाश, कोर्ट कचहरी में विजय, हर प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता के लिए, सरकारी कृपा के लिए माँ बगलामुखी की साधना करें। इस विद्या का उपयोग केवल तभी किया जाना चाहिए जब कोई रास्ता ना बचा हो। हल्दी की माला से कम से कम 8, 16, 21 माला का जप करें। इस विद्या को ब्रह्मास्त्र भी कहा जाता है और यह भगवान विष्णु की संहारक शक्ति है।मन्त्र – “ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नम:”मातंगी :-यह देवी घर ग्रहस्थी मे आने वाले सभी विघ्नो को हरने वाली है, जिसकी शादी ना हो रही, संतान प्राप्ति, पुत्र प्राप्ति के लिए या किसी भी प्रकार का ग्रहस्थ जीवन की समस्या के दुख हरने के लिए देवी मातंगी की साधना उत्तम है। इनकी कृपा से स्त्रीयो का सहयोग सहज ही मिलने लगता है। चाहे वो स्त्री किसी भी वर्ग की स्त्री क्यो ना हो। इसके लिए आप स्फटिक की माला से मंत्र जप करें और बारह माला कम से कम मंत्र जप करना चहिए।मंत्र – “ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा:”कमला :-यह देवी धूमावती की ठीक विपरीत है। जब देवी कमला की कृपा नही होगी तब देवी धूमावती तो जमी रहेगी। इसलिए दीपावली पर भी इनका पुजन किया जाता है। इस संसार मे जितनी भी सुन्दर लडकीयाँ है, सुन्दर वस्तु, पुष्प आदि है यह सब इनका ही तो सौन्दर्य है। हर प्रकार की साधना मे रिद्धि सिद्धि दिलाने वाली, अखंड धन धान्य प्राप्ति, ऋण का नाश और महालक्ष्मी जी की कृपा के लिए कमल पर विराजमान देवी की साधना करें। इन्ही साधना करके इन्द्र ने स्वर्ग को आज तक समभाले रखा है। इनकी उपासना के लिए कमलगट्टे की माला से कम से कम दस या इक्कीस माला मंत्र जप करना चाहिए।
मंत्र – “ॐ हसौ: जगत प्रसुत्तयै स्वाहा:”कृपया बिना यंत्र, माला और ज्ञान आदि के बिना किसी भी देवी की साधना ' उपासना ना करे
जय महाकाल। फिर आप की इच्छा ।

निराशा एक प्रकार की-नास्तिकता है। nirasha ek prakar ki nastikta hai

निराशा एक प्रकार की-नास्तिकता है।

जो व्यक्ति संध्या के डूबते हुए सूर्य को देखकर दुखी होता है और प्रातःकाल के सुन्दरी अरुणोदय पर विश्वास नहीं करता, वह नास्तिक है। जब रात के बाद दिन आता है, मरण के बाद जीवन होता है, पतझड़ के बाद बसन्त आता है, ग्रीष्म के बाद वर्षा आती है। सुख के बाद दुख आता है, तो क्या कारण है कि हम अपनी कठिनाईयों को स्थायी समझें?

जो माता के क्रोध को स्थायी समझता है और उसके प्रेम पर विश्वास नहीं करता, वह नास्तिक है और उसे अपनी नास्तिकता का दण्ड रोग, शक्ति विपत्ति, जलन, असफलता और अल्पायु के रूप में भोगना पड़ता है।

लोग समझते हैं कि कष्टों के कारण निराशा आती है, परन्तु यह भ्रम है। वास्तव में निराशा के कारण कष्ट आते हैं। जब विश्व में चारों ओर प्रसन्नता, आनन्द, प्रफुल्लता, आनन्द और उत्साह का समुद्र लहलहा रहा है, तो मनुष्य क्यों अपना सिर धुने और पछताये?

मधु-मक्खी के छत्ते में से लोग शहद निकाल ले जाते हैं, फिर भी वह निराश नहीं होती। दूसरे ही क्षण वह पुनः शहद इकट्ठा करने का कार्य आरम्भ कर देती है। क्या हम इन मक्खियों से कुछ नहीं सीख सकते? धन चला गया, प्रियजन मर गये, रोगी हो गये, भारी काम सामने आ पड़ा, अभाव पड़ गये, तो हम रोये क्यों? कठिनाइयों का उपचार करने में क्यों न लग जावें।