Saturday, October 30, 2021

सितोपलादि चूर्ण के फायदे / Benefits Of Sitopaladi Churna

सितोपलादि चूर्ण के फायदे / Benefits Of Sitopaladi Churna


सितोपलादि चूर्ण क्षय (TB), खांसी, जीर्णज्वर (पुराना बुखार), धातुगत ज्वर, मंदाग्नि (Indigestion), अरुचि (Anorexia), प्रमेह, छातीमे जलन, पित्तविकार, खांसीमे कफके साथ खून आना, बालकोकी निर्बलता, रात्रीमे बुखार आना, नेत्रो (आंखो)मे उष्णता (गरमी) तथा गलेमे जलन आदि विकारोको दूर करता है। सगर्भा स्त्रियोको 3-4 मास तक सितोपलादि चूर्ण का सेवन करानेसे गर्भ पुष्ट और तेजस्वी बनता है।

राज्यक्षमा (TB) की प्रथम अवस्थामे श्वास प्रणालिका और फुफ्फुसों के भीतर रहे हुए वायुकोषोमे क्षय किटाणुओके विषप्रकोपसे शुष्कता (सूखापन) आजाती है। उस अवस्थामे यदि बुखारको शमन करने के लिये क्वीनाइन आदि उग्र औषधियोका, या त्रिक्टु, चित्रकमूल आदि अग्निप्रदीपन औषधियोका सेवन प्रधानरूप से या विशेषरूप से किया जाय, तो फुफ्फुस संस्थानमे शुष्कताकी वृद्धि होती है। फिर शुष्क कास (सुकी खांसी) अति बढ़ जाती है और किसी-किसी रोगी को रक्त मिश्रित थूक आता रहता है। दिनमे शांति नहीं मिलती और रात्रीको पूरी निंद्रा भी नहीं मिलती। व्याकुलता बनी रहती है। अग्निमांद्य, शारीरिक निर्बलता, मलावरोध (कब्ज), मूत्रमे पीलापन, शुष्क कासका वेग चलने पर बार-बार पसीना आते रहना, नेत्रमे जलन होते रहना आदि लक्षण प्रतीत होते है। एसी अवस्थामे अभ्रक आदि उत्तेजक औषधिसे लाभ नहीं मिलता, किन्तु कष्ट और भी बढ़ जाता है। शामक औषधिके सेवन की ही आवश्यकता रहती है। अतः यह सितोपलादि चूर्ण अमृतके सद्रश उपकार दर्शाता है। मात्रा 2-2 ग्राम गौधृत (गायका घी) और शहदके साथ मिलाकर दिनमे 4 समय देते रहना चाहिये। मुक्तापिष्टि या प्रवालपिष्टि साथमे मिला दी जाय तो लाभ सत्वर मिलता है।


सूचना: याद रखे घी और शहद कभी समान-मात्रामे न ले। समान-मात्रामे लेनेसे विष के समान बन जाता है। या तो शहदको घीसे कम ले या घीको शहदसे कम ले।


ज्वर जीर्ण होनेपर शरीर निर्बल बन जाता है, फिर थोड़ा परिश्रम भी सहन नहीं होता; आहार विहारमे थोड़ा अंतर होनेपर भी ज्वर बढ़ जाता है। शरीरमे मंद-मंद ज्वर बना रहता है या रात्रीको ज्वर आ जाता है और सुखी खांसी भी चलती रहती है। उन रोगियोको प्रवालपिष्टि और सितोपलादि चूर्ण शहद मिलाकर दिनमे 3 समय देते रहनेसे थोड़े ही दिनोमे खांसी शांत हो जाती है, ज्वर विषका पचन हो जाता है और रस, रक्त आदि धातुए पुष्ट बनकर ज्वरका निवारण हो जाता है।


माता निर्बल होनेपर संतान निर्बल रह जाती है। उनकी हड्डीयां बहुत कमजोर होती है। ऐसे शिशुओको प्रवाल और सितोपलादि चूर्णका मिश्रण 1 से 2 रत्ती (125 से 250 mg) दिनमे 2 समय लंबे समय तक देते रहनेसे बालक पुष्ट बन जाता है। यह उपचार प्रथम वर्षमे ही कर लिया जाय तो लाभ अधिक मिलता है।


कितनेही मनुस्योंकी निर्बलतासे उनकी संतान निर्बल होती है। ऐसी संतानकी माताओको सगर्भावस्थामे अभ्रक-प्रवालसह सितोपलादिका सेवन 5-7 मास तक कराया जाय, तो संतान बलवान, तेजस्वी और बुद्धिमान बनती है। इससे गर्भिणी और गर्भ दोनों पुष्ट बन जाते है, शरीरमे स्फूर्ति रहती है और मन भी प्रसन्न रहता है।


कोई रोगकी वजहसे अथवा अधिक गरम-गरम मसाला, अधिक गरम चाय आदि अथवा आमाशय पित्त (Gastric Juice)की वृद्धि करने वाले लवण भास्कर आदि चूर्णोका सेवन होनेपर आमाशयस्थ पित्तकी वृद्धि हो जाती है या पित्त तीव्र बन जाता है अर्थात लवणाम्ल (Acid Hydrochloric)की मात्र बढ़ जाती है। जिससे छाती और गलेमे जलन, मुहमे छाले, खट्टी-खट्टी डकारे आते रहना आदि लक्षण प्रतीत होते है, आहारका योग्य पचन नहीं होता और अरुचि भी बनी रहती है। इन रोगियोको प्रवाल भस्म या वराटिका भस्म और सितोपलादि चूर्णका सेवन करानेसे थोड़े ही दिनोंमे अम्लपित्तके लक्षण और अरुचि दूर होकर अग्नि प्रदीप्त हो जाती है।


आमाशय (stomach) पित्त (Gastric Juice) तीव्र बननेके कारण पचन क्रिया मंद हो जाती है। इसका उपचार शीघ्र न किया जाय तो किसी किसिको विदग्धाजीर्ण (अजीर्णका एक प्रकार है) हो जाता है। पेसाबका वर्ण अति पीला भासता है। सर्वांगमे दाह (पूरे शरीरमे जलन), तृषा (प्यास), मूत्रके परिमाणमे कमी, मूत्रस्त्राव अधिक बार होना, देह (शरीर) शुष्क (सूखा) हो जाना, चक्कर आते रहना आदि लक्षण उपस्थि होते है। इस अवस्थामे मुख्य औषधि चन्द्रकला रसके साथ साथ आमाशय पित्तकी शुद्धि करनेके लिये सितोपलादि चूर्णका सेवन कराया जाय तो जल्दी लाभ पहुंचता है।


जीर्णज्वर (पुराना बुखार) या प्रकुपित हुआ ज्वर दिर्धकाल पर्यन्त रह जानेपर शरीर अशक्त बन जाता है और मस्तिष्कमे उष्णता आजाती है। जिससे सहनशीलता कम हो जाती है, थोड़ीसी प्रतिकूलता होने या विचार विरुद्ध होनेपर अति क्रोध आ जाता है। यकृत (Liver) निर्बल हो जाता है। मलावरोध (Constipation) रहता है और मलमे दुर्गंध आती है, एवं पांडुता (शरीरमे पीलापन), ह्रदयमे धड़कन और अति निर्बलता आदि लक्षण उपस्थित होते है। ऐसे रोगियोको सितोपलादि चूर्ण खमीरेगावजवाके साथ कुच्छ दिनों तक देते रहनेपर सब लक्षणोसह पित्तप्रकोप दूर होकर शरीर बलवान बन जाता है।


मात्रा: 2 से 4 ग्राम दिनमे 2 बार घी और शहदके साथ। कफ प्रधान रोगोमे घीसे शहद दूना (Double) ले। वात और पित्त प्रधान रोगोमे घीमे शहद आधा मिलावे। घी पहले मिलावे फिर शहद मिलावे। कफ सरलतासे निकलता हो ऐसी खांसीमे केवल शहदके साथ।

सितोपलादि चूर्ण बनाने की विधि (Sitopaladi Churna Ingredients): मिश्री 16 तोले (1 तोला = 11.66 ग्राम), वंशलोचन 8 तोले, पीपल 4 तोले, छोटी इलायची के बीज 2 तोले और दालचीनी 1 तोला लें। सबको कूटकर बारीक चूर्ण बनावें।

Friday, July 16, 2021

time dilation theory for in bharat event history पौराणिक विज्ञान

time dilation theory for in bharat event history 

In physics and relativity, time dilation is the difference in the elapsed time as measured by two clocks.
रात्रि के अंतिम प्रहर में एक बुझी हुई चिता की भस्म पर अघोरी ने जैसे ही आसन लगाया, एक प्रेत ने उसकी गर्दन जकड़ ली और बोला- मैं जीवन भर विज्ञान का छात्र रहा और जीवन के उत्तरार्ध में तुम्हारे पुराणों की विचित्र कथाएं पढ़कर भ्रमित होता रहा। यदि तुम मुझे पौराणिक कथाओं की सार्थकता नहीं समझा सके तो मैं तुम्हे भी इसी भस्म में मिला दूंगा।
अघोरी बोला- एक कथा सुनो, रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था। वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे। थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए। राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की।
गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ?
राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं? 
ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तबतक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर २७ चतुर्युग बीत चुके हैं और २८ वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी।
इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो- आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है- मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की यदि 10 वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये तो वापस आनेपर उसकी आयु ६६ वर्ष की होगी पर धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे। यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गैमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी- 
There was a young girl named Miss Bright,
Who could travel much faster than light
She departed one day in an Einstein way
And came back previous night
प्रेत यह सुनकर चकित था, बोला- यह कथा नहीं है, यह तो पौराणिक विज्ञान है, हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है। तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे।
अघोरी मुस्कुराता रहा और प्रेत वायु में विलीन हो गया।
हम विश्व की सबसे उन्नत संस्कृति हैं यह विश्वास मत खोना।🚩

Monday, May 3, 2021

Chant the mantra of Matangi Mata

 मातंगी मतंग शिव का नाम है। शिव की यह शक्ति असुरों को मोहित करने वाली और साधकों को अभिष्ट फल देने वाली है। गृहस्थ जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए लोग इनकी पूजा करते हैं। अक्षय तृतीया अर्थात वैशाख शुक्ल की तृतीया को इनकी जयंती आती है।

यह श्याम वर्ण और चन्द्रमा को मस्तक पर धारण करती हैं। यह पूर्णतया वाग्देवी की ही पूर्ति हैं। चार भुजाएं चार वेद हैं। मां मातंगी वैदिकों की सरस्वती हैं।


पलास और मल्लिका पुष्पों से युक्त बेलपत्रों की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आकर्षण और स्तम्भन शक्ति का विकास होता है। ऐसा व्यक्ति जो मातंगी महाविद्या की सिद्धि प्राप्त करेगा, वह अपने क्रीड़ा कौशल से या कला संगीत से दुनिया को अपने वश में कर लेता है। वशीकरण में भी यह महाविद्या कारगर होती है।


गृहस्थ सुख, शत्रुओं का नाश, विलास, अपार सम्पदा, वाक सिद्धि। कुंडली जागरण, आपार सिद्धियां, काल ज्ञान, इष्ट दर्शन आदि के लिए मातंगी देवी की साधना की जाती है।


मातंगी माता का मंत्र स्फटिक की माला से बारह माला ‘ ॐ ह्रीं ऐं भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा ‘ मंत्र का जाप करें।



Matangi is the name of Matang Shiva. This power of Shiva is enchanting asuras and giving blessings to seekers. People worship them to make home life better. Akshaya Tritiya means Vaishak Shukla's Tritiya on his birth anniversary.


It bears the black color and the moon on the forehead. This is completely the fulfillment of Vagdevi. The four arms are the four Vedas. Mother Matangi is the Saraswati of the Vedic people.




Worshiping belapatras with palas and mallika flowers develops attraction and pillar power within the person. Such a person who attains the accomplishment of Mathangi Mahavidya, he can subdue the world by his sportsmanship or art music. This Mahavidya is also effective in captivating.




Household happiness, destruction of enemies, luxury, immense wealth, speech accomplishment. Matangi Devi is practiced for awakening horoscopes, abhi siddhis, Kaal Gyan, favored darshan etc.




Chant the mantra of Matangi Mata with the garland of rhinestones, twelve chants of “Hari Ain Bhagwati Matangeshwari Shree Swaha”.

Wednesday, May 20, 2020

lamp should be invoked with the lamp for the fulfillment of wishes

मनोकामना पूर्ति के लिए देवी-देवताओं का कौन से दीपक से करे आह्वाहन  : 

1. आर्थिक लाभ के लिए नियम पूर्वक घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।

2. शत्रु पीड़ा से राहत के लिए भैरवजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिये।

3.भगवान सूर्य की पूजा में घी का दीपक जलाना चाहिए।

4.शनि के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

5.पति की दीर्घायु के लिए गिलोय के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

6.राहु तथा केतु के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

7.किसी भी देवी या देवता की पूजा में गाय का शुद्ध घी तथा एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से जलाना चाहिए।

8.भगवती जगदंबा व दुर्गा देवी की आराधना के समय एवं माता सरस्वती की आराधना के समय तथा शिक्षा-प्राप्ति के लिए दो मुखों वाला दीपक जलाना चाहिए।

9.भगवान गणेश की कृपा-प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।

10.भैरव साधना के लिए सरसों के तेल का चैमुखी दीपक जलाना चाहिए।

11. मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।

12.भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए गाय के शुद्ध घी या पीली सरसों के तेल का पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।

13.भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए आठ तथा बारह मुखी दीपक पीली सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

14.भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए।

15.लक्ष्मी जी की प्रसन्नता केलिए घी का सात मुखी दीपक जलाना चाहिए।

16.भगवान विष्णु की दशावतार आराधना के समय दस मुखी दीपक जलाना चाहिए।

17.इष्ट-सिद्धि तथा ज्ञान-प्राप्ति के लिए गहरा तथा गोल दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।

18.शत्रुनाश तथा आपत्ति निवारण के लिए मध्य में से ऊपर उठा हुआ दीपक प्रयोग में लेना चाहिए।

19.लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए दीपक सामान्य गहरा होना चाहिए।

20.हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए तिकोने दीपक का प्रयोग करना चाहिए और उसमें चमेली के तेल का प्रयोग करना चाहिए।

मंत्र:-
।। ऊँ नमः शिवाय।।  

🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
🕉    🚩ऊँ गं गणपतये नमः🚩    🕉
🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉

गुरूवाणी
    'चलो मेरे साथ बढ़ाते कदम '
                           'अमृत प्रवाह हो हर कदम '
                           🚩
                          🔔
                   जय निखिलं​
          जय निखिलं​ जय निखिलं​
   जय निखिलं  ​जय निखिलं​ जय निखिलं​
   जय निखिलं जय निखिलं  जय निखिलं​
        ऊँ जय निखिलं​ जय निखिलं ऊँ​
        ऊँ जय निखिलं​ जय निखिलं​ ऊँ
        ऊँ जय निखिलं​ जय निखिलं​ ऊँ
   जय निखिलं  ​जय निखिलं​ जय निखिलं​
   जय निखिलं  ​जय निखिलं​ जय निखिलं​
   जय निखिलं  ​जय निखिलं​ जय निखिलं​
   जय निखिलं  ​जय निखिलं​ जय निखिलं​

सदगुरुदेव वाणी.....
दिखा पराक्रम यह जग तेरे आगे... 
                                नतमस्तक हो जाएगा।
धीर-धर  तू  कर्म  किए  जा 
                             तेरा  वक्त  भी  आएगा।।

किया परिहास सभा ने रघुवर की... 
                                    प्रत्यंचा चढ़ाने पर।
तोड़ दिया शिव धनुष राम ने... 
                               अपना समय आने पर।।
खो ना  मनोबल बढ़ता चल... 
                                शौर्य तेरा दिख जाएगा।
धीर-धर तू कर्म किए जा...
                               तेरा वक्त भी आएगा।।

करते रघुवर सागर से विनती...
                               पथ की थी अभिलाषा।
त्राहि-त्राहि हो उठा सिंधु...
                        जब जागी पौरुष की भाषा।।
दिखा   सामर्थ   तेरा   मार्ग.. 
                                सुसज्जित  हो  जाएगा।
धीर-धर तू कर्म  किए  जा
                                तेरा वक्त भी आएगा।।

हुए    शून्य   अभिमान   में   जो... 
                                 थे  स्वर्ण  नगर  वासी।
खिल   पड़ा   मान   उनका....
                      जो  थे  गुरु  के अभिलाषी।।
तुम भी चलो सन्मार्ग पर....
                    तुम्हारा जीवन भी संवर जाएगा।
धीर-धर  तू  कर्म  किए  जा...
                              तेरा  वक्त  भी आएगा।।

           "प्रसन्नो भव, प्रसन्नो भव"

अपने संकल्पों को बार -बार दोहराओं.......
मुश्किल जरुर है, पर ठहरा नहीं हूं मैं, मंजिल से जरा कह दो,अभी पहुंचा नहीं हूं मैं.....

   वन्दे गुरो !निखिल ! ते चरणारविन्दम्


Which lamp should be invoked with the lamp for the fulfillment of wishes:

1. For economic benefit, lamps of pure ghee should be lighted in the temple of the house.

2. For relief from enemy suffering, a mustard oil lamp should be lit in front of Bhairavji.

3. Ghee lamps should be lit in the worship of the Lord Sun.

4. Mustard oil lamp should be lighted for sunlight.

5. Giloy oil lamp should be lit for the longevity of the father.

6. Flaxseed oil lamp should be lit for Rahu and Ketu.

7. In the worship of any goddess or deity, pure ghee of cow and a flower light or lamp of sesame oil should be lighted.

8. At the time of worship of Bhagwati Jagadamba and Durga Devi and at the time of worship of Mother Saraswati and for education, two lamps should be lit.

9. To get the blessings of Lord Ganesha, a lamp with three lights should be lighted.

10. A chamukhi lamp of mustard oil should be lit for Bhairav ​​sadhana.

11. To win the case, five faces should be lit.

12. For the happiness of Lord Kartikeya, a five-faced lamp of pure cow ghee or yellow mustard oil should be lit.

13. For the happiness of Lord Shiva, eight and twelve face lamps should be lit with yellow mustard oil lamps.

14. Sixteen light lamps should be lit to please Lord Vishnu.

15. Seven Mukhi lamps of Ghee should be lit for the happiness of Lakshmi ji.

16. Ten face lamps should be lit at the time of worship of Lord Vishnu.

17. A deep and round lamp should be used for faith-accomplishment and enlightenment.

18. Lamps raised from the middle should be used to prevent nightmare and objection.

19. To attain Lakshmi, the lamp should be normally dark.

20. For the happiness of Hanumanji, one should use a triangular lamp and jasmine oil should be used in it.

Shani Jayanti

शनि जयन्ती 22 मई 2020, ज्येष्ठ मास अमावस्या शनि साधना और मंत्र जप का विशेष मुहूर्त है।
इस दिन एक छोटी कटोरी में तेल भर दें और उसमें देखते हुए निम्न शनि मंत्र का 30 मिनट तक जप करें -
॥ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः॥
सात दिन तक नित्य यानि 22 मई 2020 से 29 मई 2020 तक नित्य इसी तेल भरी कटोरी को देखते हुए मंत्र जप करें और 30 मई 2020, शनिवार को इसे किसी पीपल के वृक्ष में उपरोक्त मंत्र का जप करते हुए डाल दें।
सद्गुरुदेव से दीक्षा प्राप्त कर शनि मंत्र जप करने से शनि की अनुकूलता अवश्य प्राप्त होती है।

Wednesday, April 1, 2020

Tuesday, March 10, 2020

नवार्ण मंत्र



नवार्ण मंत्र को मंत्रराज कहा गया है और इसके प्रयोग भी अनुभूत होते हैं :-
आज हम नवार्ण मंत्र के कुछ प्रयोग बता रहे हैं अगर किसी भाई को कुछ गलत लगता है तो कृपया सभ्य शब्दों का इस्तेमाल करते हुए हमारी. गलती सुधारने का कष्ट करें
नर्वाण मंत्र :-
।। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।
परेशानियों के अन्त के लिए :-
।। क्लीं ह्रीं ऐं चामुण्डायै विच्चे ।।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए :-
।। ओंम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ।।
शीघ्र विवाह के लिए :-
।। क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे ।।