अद्भुत आरा/Aura साधना
इस अद्भुत साधना से स्वयं की अथवा किसी की भी Aura देख सकते हैं
इस अद्भुत साधना से स्वयं की अथवा किसी की भी Aura देख सकते हैं
आधुनिक वैज्ञानिक तथ्य स्वीकारते है कि जिस प्रकार हम चित्र में भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध और यीशु के चेहरे के चारों आभा मंडल देखते हैं उसी प्रकार हर व्यक्ति का आभा मंडल होता है हर व्यक्ति अपने स्वयं का और अन्य लोगों की आभा को देखने की क्षमता योग, साधना, ध्यान और जैसे विभिन्न तरीकों के माध्यम प्राप्त कर सकता है. वो अपने शरीर के चारों उपस्थित आभा मंडल की वृद्धि भी कर सकते हैं. हमारा यह आभा मंडल समय, सवास्थ्य के साथ बदलता रहता है .
प्राचीन भारतीय साधु और संत जो अध्यात्मवाद और प्राकृतिक विज्ञान के महान ज्ञाता थे. वस्तुतः हमारा शरीर एक नहीं ६ अन्य सूक्ष्म शारीर से मिल कर बना है . इस प्रकार सात निकायों के संयोजन एक पूर्ण मानव शरीर बनाता है. लेकिन दुर्भाग्य से हम केवल बाहरी भौतिक शरीर की उपस्थिति को देखने और महसूस करने में सक्षम हैं.
आइये इन शरीर के बारे में संक्षिप्त रूप में जानते हैं.
1. स्थूल शरीर: यह एक ठोस रूप है और बाहरी भौतिक शरीर है. यह अन्नमय कोष या भी कहा जाता है. सरल शब्दों में यह स्थूल शरीर जानवरों, पक्षियों, और मनुष्य के पास शरीर है.
2. प्राण शारीर: प्राण जीवन का मतलब है और यह स्थूल शरीर से थोरा अधिक महत्वपूर्ण क्यूंकि यह स्थूल शरीर को ऊर्जा और जीवन प्रदान करता है. इसे प्राणमय कोष भी कहा जाता है. यह भौतिक शरीर और अन्य पांच शरीर के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है. एक इस प्राण शरीर की मदद के माध्यम से ही अन्य पांच शरीर को देख सकते हैं.
3. काम शरीर: इसे मनोमय कोष या भावनाओं, विचारों और बुद्धि का भंडार कहा जाता है और साथ इसकी मदद से एक व्यक्ति अपने शरीर जैसा दूसरा बना सकते हैं. इसे पशु शरीर कहा जाता है. इस के माध्यम से मानव जीवन में उत्तेजना , उत्साह का जीवन में अनुभव होता है.
4. सुक्ष्म मन शरीर: यह काम शरीर का एक भाग है इस के माध्यम से मन और बुद्धि और विकसित किया जा सकता है एक व्यक्ति किसी भी विषय की जटिलताओं को समझने की क्षमता विकसित कर सकता हैं.
5. उच्च मन शरीर: यह दिव्य शरीर का पहला भाग है. यह विज्ञानमय कोष भी कहा जाता है. एक इंसान इस के माध्यम से अपने जीवन आध्यात्मिक तरक्की कर सकते हैं, समग्रता को प्राप्त करने और देवतुल्य हो सकता है . लेकिन अगर इसे नियंत्रित नहीं है तो परिणाम काफी विपरीत हो सकते हैं.इस शरीर में प्रवेश करने के लिए बहुत अनुशासन की जरूरत है व्यक्ति इस शरीर की शक्तियों का दुरूपयोग कर सकता है.
6. बुद्धि शरीर: इसे निर्वाण शरीर भी कहा जाता है. निर्वाण का अर्थ है मोक्ष का अर्थ है, इसलिए इस की प्राप्ति पर एक व्यक्ति के स्वयं को स्थूल शरीर से मुक्त करने में सक्षम हो जाता है. यह आनंदमय कोष या दिव्य आनन्द कोष कहा जाता है. और इस शरीर में प्रवेश करने के बाद व्यक्ति अपनी आत्मा का अनुभव कर सकता है.
7. आत्मा शरीर: यह अपने आप में एक पूरी तरह से सूक्ष्म शरीर है. इसकी प्राप्ति पर एक व्यक्ति दिव्यता को उपलब्ध हो जाता है और उसके चेहरे के चारों ओर आभा और भी अधिक उज्ज्वल और अलग हो जाता है, यहाँ तक की आम आदमी भी अनुभव करने में सक्षम हो जाता है.
जब इन का साक्षात्कार इन सभी शरीरो से गुरु की कृपा से हो जाता है तो उसे सिद्धयाँ स्वयं ही मिल जाती हैं .
दिव्य आभा/Aura
आत्म शरीर या आत्मा की चमक कोरोना तरह प्रतीत होता है जैसे सूर्य ग्रहण के दौरान जब सूर्य पूरा धक् जाता है उसके चारों ओर एक diamond रिंग/ एक गोल चमक जैसा दीखता है.
जैसा हमने पहले ही देखा यह आभा न केवल देवी, देवता और महान संतों के आसपास है यह हर इंसान के आसपास मौजूद है. .आम तौर पर यह सामान्य लोंगों में बहुत उज्ज्वल है और स्पष्ट नहीं होई है लेकिन अगर कोई व्यक्ति अपनी स्वयं की अथवा अन्य किसी की Aura को देखने की इच्छा हो तो वह साधना को पूरा करने के द्वारा किसी भी व्यक्ति के चारों ओर और अपने खुद के चेहरे के चारों ओर आभा देख सकते हैं. यह आभा हिन्दी में आभा मंडल या प्रभा मंडल भी कहा जाता है और भगवान महावीर ने इसे Leshya कहा है .
भारतीय ऋषि, मुनियों की तरह पश्चिमी वैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्ति की आभा देखकर कई तथ्यों पता लगाया जा सकता है.
1. Aura के माध्यम से व्यक्ति का भूतकाल अत्यंत स्पष्ट/crystal clear जाना जा सकता है. . इस प्रकार व्यक्ति के चरित्र और जीने का ढंग आसानी से जाना जा सकता है.
2. जिस प्रकार व्यक्ति की आभा को देख कर एक व्यक्ति के अतीत के बारे में पता कर सकते हैं, उसी प्रकार उसके जीवन के इसी तरह भविष्य की घटनाओं को भी पहले से जाना जा सकता है.
3. एक व्यक्ति की आदतें उसकी aura को बदल कर बदली जा सकती हैं. एक व्यक्ति अपनी का किसी दुसरे की आरा को बदल सकता है जिससे एक निर्धन धनवान, एक मुर्ख विद्वान बन सकता है. या एक महान व्यक्ति बन सकता है.
4. आभा में सात रंग हो सकता है. Sthul Sharir की आरा हरी होती है. Prann Sharir की आरा गुलाबी होती है. Kaam Sharir की आरा पीत्वर्निया होती है. Sukshma Sharir की आरा पीले और हरे रंग का मिश्रण होती है., Uchch Man Sharir की चांदी/silver के रंग की होती है. Buddhi Sharir की नीली और Aatma Sharir is सुनहरी /गोल्डेन कोलोर की होती है .
5. एक व्यक्ति की मृत्यु के छह महीने पहले उसकी आभा धुंधली और कालापन लिये हुवे हो जाता है.
6. एक चरित्रहीन व्यक्ति की आभा धुंदली और पीलापन लिये हुवे होती है. चालाक और धोखेबाज व्यक्ति की आभा धुएँ के रंग और हल्का पीलापन होता है.
7. अपनी आभा पर नियंत्रण के माध्यम से एक व्यक्ति कई शारीरिक रूप बना सकता है और वह शारीर प्रकाश की गति से यात्रा कर सकता है और भार हीन होता है. इसके माध्यम से एक व्यक्ति हजारों मील दूर होने वाली घटनाओं को देख सकता हैं, वह भविष्य में भी देख सकता हैं और इस प्रकार आपदाओं या दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है.
8. आभा व्यक्ति विचार के अनुसार बदलती रहती है हमारे भौतिक शरीर या .Sthul Sharir में परिवर्तन जो पहले से ही आंतरिक शरीर या Sukshma Sharir पर काफी समय पहले पर उनके प्रभाव दिख जाता है जिसे किसी भी बड़ा रोग या बीमारी तीन महीनेपहले से ही आभा प्रभावित होता जिससे बीमारी का पूर्वानुमान किया जा सकता है.
9. इस साधना को करने के बाद गर्भस्त शिशु की आरा देख सकते हैं. उस शिशु की आरा को अधिक तेजविता दे सकते हैं. वह बालक भविष्य में एक बुद्धिमान और प्रतिभाशाली व्यक्ति बनने के गुर आ जाते हैं जिससे वह एक वैज्ञानिक, गणितज्ञ, चिकित्सक, या इंजीनियर अर्थात् किसी भी क्षेत्र में प्रवेश करता है वह अद्वितीय होगा.
एक व्यक्ति एक सिध्द और आध्यात्मिक क्षमता इस आरा साधना से विकसित कर सकता है . और इस इया प्रक्रिया द्वारा जन कल्याण लिए हजारों लोगों के आरा बदला सकता है.
इस साधना को आत्मा साधना/aatma sadhna कहते हैं.
इस साधना में १.आत्म महा यंत्र २. चैतन्य माला की आवशयकता होती है
इस साधना को प्रातः काल में करना है . अपने सामने यन्त्र को रख कर बिना पलक
झपकाए अथवा बंद किये एकटक आपको यन्त्र पर दृष्टि जमानी है अथवा ये कह सकते है यन्त्र पर त्राटक करना है. फिर आपको यह मंत्र माला से 21 माला पढ़ना है. प्रति दिन आपको २१ माला करनी है.
ॐ ऐं ब्रह्माण्ड चाक्शुरतेजसे नमः [ Om Ayeim Brahmaand Chakshurtejase namah].
इस साधना को करते समय अपने मन को नकारात्मक विचारों, भय, संदेह, हिचकिचाहट, चिंताओं और कुंठाओं से मुक्त रखें इसके बाद ही साधना शुरू करें . इस यंत्र पर आपको पूर्ण ध्यान देन्द्रित करना है और आपके मन में कोई भी चिंता विचार कुछ भी न रखें.
15 दिनों के अभ्यास के बाद आप किसी भी व्यक्ति के चेहरे पर देखें. उसकी अन्ह्कों में न देखें. उसके चेरी को सर से शुरू कर के गर्दन तक देखें. इस स्थान पर आरा सबसे अधिक होती है. फिर उसके सिर के ऊपर दो से सात इंच देखें आपको इंद्रधनुष की तरह रंग दिखाई देगा.
नियमित रूप से इस यंत्र पर अभ्यास करते रहे और विभिन्न लोगों पर अपनी इस क्षमता की प्रक्टिस करते रहे. जब आप व्यक्ति की आरा देखने में सक्षम हो जाते हैं तो आप उसके भूत और भविष्य भी देख सकते हैं. यन्त्र को विसर्जित नहीं करना है उसपर आपको अभ्यास करना है
शुरू शुरू में आपको आरा बहुत धुंदली दिखेगी लेकिन समय के साथ प्रक्टिस करने से आपकी क्षमता में धीरे धीरे वृद्धि होती जाएगी. इस साधना से व्यक्ति की और और भी प्रकाश युक्त और स्ट्रोंग हो गतो है. इस साधना से व्यक्ति का आध्यामिक विकास होता है और वह कहीं भी होने वाली घटना को देख सकता है.
[तंत्र मंत्र यन्त्र February 1999 ]