Thursday, December 15, 2011

about what Siddhashram Questions and answers BY Dr Narayan Dutt Shrimali ji




Paramhans Swami Nikhileshwaraanand -Dr. Narayan Dutt Shrimali



Devrnjini proven pill सिद्ध देवरंजिनी गुटिका

आज जिस गुटिका के बारे में मैं आपको बताने वाला हूँ.उस गुटिका विवरण साधारणतयः किसी भी रसग्रंथों में या तो नहीं है या फिर उसमे थोडा परिवर्तन कर दिया गया है.इस के कारण भी हम सभी जानते हैं की विषय को गुप्त रखना समय और काल के अनुसार अनिवार्य था.खैर जब हमने इस विषय को जानने के लिए प्रयास रत हैं तो हमें प्रयास करके हमारी परम्परा और उसकी विलक्षणता को भी जरूर जानना चाहिए.

रस सिद्धों के मध्य जिन गुटिका के विषय में गोपनीयता रखी गयी है,उनमे एक महत्त्वपूर्ण नाम देवरंजिनी गुटिका का आता है,इस गुटिका के निर्माण जितना कठिन है उतना ही सरल है इसके प्रभाव की अपने जीवन में प्राप्ति.सौभाग्य ,आरोग्य,तीव्र उन्नति,मानसिक बल,कुंडलिनी जागरण ,कालज्ञान,समाधी लाभ ,धातु परिवर्तन,उच्च आत्माओं से संपर्क,कायाकल्प,दूर दर्शन,वसीकरण,और ऐसी कई अद्भुत शक्तियों के स्वामी बन जाता है इसे प्राप्त करने वाला.क्युंकी इस गुटिका पर दिव्या मंत्रो के प्रवाह,दिव्या वनस्पतियों के संस्कार,स्वर्ण,और रत्नों के चरण देने के बाद इसे सुर्यताप्त से संपुटित कर रसेन्द्र को जब गगन के आवरण पहनाया जाता है तो विलक्षणता तो घटित होती ही है. प्रकार अंतर से पारद जब रसेन्द्र में परिवर्तित होकर जब अपने विराट रूप से एकाकार पता है तभी जाकर इस गुटिका के निर्माण होता है.

इस गुटिका के पूर्ण निर्माण में प्रतिदिन ८ घंटे के हिसाब से १४ दिन लगते हैं(रसेन्द्र बन्ने के बाद).विभिन्न रत्नों के चारण,स्वर्ण भस्म से बंधन , दिव्य वनस्पतियों के संस्कार के साथ होता है पूर्ण अघोर मन्त्रों से रसान्कुश देवी का आवाहन और स्थापन ...... तब जाकर ये गुटिका अद्भुत प्रभावयुक्त होती है और होता है इसका निर्माण भी .
मैंने इस गुटिका को एक रस सिद्ध के पास गुवाहाटी में देखा था वही पर उन्होंने इसके चमत्कारों को न सिर्फ दिखाया था बल्कि इसके निर्माण के वे रहस्य भी उन्होंने बताये थे जो की किसी ग्रन्थ में कम से कम मैंने तो आज तक नहीं पढ़े हैं.

यदि पूज्यपाद सदगुरुदेव की कृपा रही तो अवश्य ही इस विषय के वे गुप्त सूत्र जो अभी तक सिर्फ सिद्धों के मध्य ही रहे थे ,वे हम सभी साधकों के मध्य पुनः प्रयोग करने के लिए प्रचलित होंगे।

Jay Guru DEV

Lets go through again about this irresistable divine majic gutika
Siddh Devranjini Gutika

Today I am going to tell you the description regarding the “Gutika†which is not mentioned in any Ras Granth.And If it is mentioned then definitely with some changes which we cannot recognise.As we know the reasons behind it that it is the dead need of time to keep it very secretful from negativity.Well when we are eager to know more about this subject, so with all efforts we should step forward for knowing our culture and peculiarities of it.

Between all Ras siddhas the details of this Gutika has been kept secret from long time.From that all gutikas one of the important name is “Devranjini Gutikaâ€â€¦ As compared, the difficulties come in the way of making this gutika is that’s easy to relish its achievements and fruits in our day today life…… like good fortume,freedom from disease,frequent unbelievable growth,mental strength,Kundalini wakening,the wheel of time,benefits of profound meditation,Metal transformation,connection with great souls,rejunevation,future predictions,subjugating and master of many other wonderful powers.Well it is because, on this gutika when the divine power of mantra,divine herbs,gold,stones sections are done and afterwards melting it in full sunlight and then placed under the cover of sky then it lacks some of the peculiarities also.In this way when parad finds juicial state in its gigantic form, the Devranjini Gutika has been occured.

In formation of this Gutika daily eight hours for forteen days continously practice is required(only after making of rasendra).By barding of various stones,binding with gold cinder,adorning with divine herbs and with enchantment of aghor mantras finally summoning the Rasankush Goddess establishment takes place……This is how it is formed and reflects with the wonderful effects infront of us.

Hey I have seen this Gutika with one Ras siddha in Guwahati.He not only shown me the wonders of this gutika but also told me the whole process which is not even mentioned in any ras granth till the date I have gone through

If blessings of revered Shree Sadgurudev showers on us in the same way,soon we will be knowing all the hidden secrets which are currently locked only between the ras siddhas........

Prosperity, success, love

एक गाँव में एक किसान परिवार रहा करता था. परिवार में अधेड़
किसान दंपति के अतिरिक्त एक पुत्र एवं पुत्रवधू भी थे। पुत्र निकट के नगर में एक
सेठ का सेवक था।
एक दिन की बात है तीन वृद्ध कहीं से घूमते घामते आए और किसान की
आँगन में लगे कदम के पेड़ के नीचे विश्राम करने लगे। किसान की पत्नी जब बाहर लिकली
तो उसने इन्हे देखा, उसने सोचा की वे भूखे होंगे। उसने उन्हे घर के अंदर आकर भोजन
ग्रहण करने का अनुरोध किया। इसपर उन वृद्धों ने पूछा, क्या गृहस्वामी घर पर हैं?
किसान की पत्नी ने उत्तर दिया, नहीं, वे बाहर गये हुए हैं।
वृद्धों ने कहा कि वे
गृहस्वामी की अनुपस्थिति में घर के अंदर नहीं आएँगे। स्त्री अंदर चली गयी कुछ देर
बाद किसान आया। पत्नी ने सारी बातें बताईं। किसान ने तत्काल उन्हें अंदर बुलाने को
कहा। स्त्री ने बाहर आकर उन्हें निमंत्रित किया। उन्होंने कहा हम तीनों एक साथ
नहीं आएँगे, जाओ अपने पति से सलाह कर बताओ कि हममें से कौन पहले आए”। वो जो दोनों
हैं, एक "समृद्धि" है, और दूसरे का नाम "सफलता"। मेरा नाम "प्रेम" है। पत्नी ने
सारी बातें अपने पति से कही। किसान यह सब सुनकर अत्यधिक प्रसन्न हुआ। उसने कहा, यदि
ऐसी बात है तो पहले "समृद्धि" को बुला लाओ। उसके आने से अपना घर धन धान्य से
परिपूर्ण हो जाएगा। उसकी पत्नी इसपर सहमत नहीं थी। उसने कहा, क्यों ना "सफलता" को
बुलाया जाए ।
उनकी पुत्रवधू एक कोने में खड़े होकर इन बातों को सुन रही थी। वो
बहुत ही समझदार थी उसने कहा, अम्माजी आप “प्रेम” को क्यों नहीं बुलातीं।
किसान
ने कुछ देर सोचकर पत्नी से कहा “चलो बहू क़ी बात मान लेते हैं”।
पत्नी तत्काल
बाहर गयी और उन वृद्धों को संबोधित कर कहा आप तीनों मे जो "प्रेम" हों, वे कृपया
अंदर आ जाए। " प्रेम" खड़ा हुआ और चल पड़ा। बाकी दोनों, “सफलता” और "समृद्धि" भी
पीछे हो लिए। यह देख महिला ने प्रश्न किया अरे ये क्या है, मैने तो केवल "प्रेम" को
ही आमंत्रित किया है। दोनों ने एक साथ उत्तर दिया , यदि आपने "समृद्धि" या "सफलता"
को बुलाया होता तो हम मे से दो बाहर ही रहते। परंतु आपने "प्रेम" को बुलाया इसलिए
हम साथ चल रहे हैं। हम दोनो उसका साथ कभी नहीं छोड़ते।http://www.facebook.com/mantratantrayantravigyan

Wednesday, December 14, 2011

Beware of hypocrisy wool

सद्गुरुदेव ने अपने शिष्य के मार्गदर्शन के लिय सिर्फ त्रिमूर्ति गुरुदेवो को गुरुपद पर आसिन किय है | बाँकी जित्ने भी लोग निखिल नाम लेकर गुरु दीक्षा प्रदान कर्ने कि काम कर रहे है वो सब ढोंग कर रहे है, पाखण्ड कर रहे है | सावधान ऊन पाखण्डीवो से |
गुरु सेवा का मतलव लोगो को भ्रम मे डालकर निखिल नाम से गुरुदिक्षा देना नही | उनका सामर्थ है तो अपने स्वयं ना तप से, स्वयं का नाम से गुरु बने |

त्रिमूर्ति गुरुदेव पर दिव्यपात प्रदान कर सद गुरुदेव ने उन्हें गुरु पद प्रदान किय है |
जो जानकर भी गड्डे मे गिरते है, उनको तो कहना हि क्या |


Sadgurudev Nikhileshworananda's speech before placing Trimurti Gurudev (Shree Nand kishor shrimali, shree kailash chandra shrimali, shree Arbinda shrimali) as Gurudev after him...................... 

Saturday, December 3, 2011

The main door of the house affects memory??

क्या घर का मुख्य द्वार याददाश्त पर असर करता है ????

एक आर्टिकल के अनुसार जब कोई व्यक्ति अपने ज़रूरी काम को याद करते हुए घर के दरवाज़े से बाहर निकलता है तो वो वही बातें भूलता है जो वो घर के दरवाजे की दहलीज से लाँघते हुए याद करते हुए जाता है या घर के अंदर आता है....
आश्चर्य किंतु सत्य.......ऐसा इसलिए होता है क्योंकि घर के मुख्य द्वार हमारे मस्तिष्क के लिए एक सीमा निर्धारण का काम करते हैं....जो भी बातें हम घर की दहलीज को लाँघते समय याद करके प्रवेश करते हैं या बाहर जाते हैं,वो वहीं उस सीमा की परिधि में छूट जाती हैं या रह जाती हैं और हम अक्सर उन्हीं बातों को भूल जाते हैं...
गेब्रीयल रदवांस्की ने यह शोध कुछ लोगों पर करके यह पाया की जिन व्यक्तियों को उन्होने कुछ देर पहले जो काम याद रखने के लिए दिए और उन्हे एक कमरे में ही थोड़ी देर टहलने के बाद पूछा तो उन्हे सब याद था,पर जब उन्ही लोगों को दूसरे काम ठीक घर के दरवाजे पर याद कराके बाहर दूसरे कामों के साथ भेजा और कुछ घंटों के बाद सिर्फ़ याद रखने वाले कामों के बारे में पूछा तो वो काफ़ी कुछ भूल चुके थे....

ऐसा आप लोगों के साथ हुआ है क्या ????? और अगर हुआ है तो क्या आप इसका कारण जान पाए.......

घर का दक्षिण दुयार बहुत एफेक्ट करता है और नगीटिव ऊर्जा जा तांत्रिक शक्ति भी जायदा करके दक्षन दुयार से घर में परवेश करती है !अगर किसी घर का दुयार दक्ष्ण को है तो उसे कील देना चाहिए तभी उस के गलत असर से बचा जा सकता है !

character of Mahabali Charnur Singh

महाबली चरित्रं ---चर्नुर सिंह -
बहुत कम जानते है महाबली चरित्र को मैं आज आप से इस रहस्य मई कहानी को शेयर कर रहा हू !सभी महाबली को सिर्फ राजा कंस का सेनापति और एक पहलवान के नाम से जानते है !यह एक ऐसी शक्ति है जो बहुत ही पोवेर्फुल और शीघ्र फल देने वाली और बलियो में महा बली के नाम से जनि जाती है !जो इंसाफ के देवता के रूप में भी पूजा जाता है और सपूर्ण साधनायो में अगर कोई सख्त साधना है तो वोह महाबली की साधना कहलाती है !आज से काफी समय पहले एक राजा कलैश राज करता था !जिस के राज में चारो और खुशहाली थी !सभी और साधू संतो का सन्मान किया जाता था !मगर एक ही चिंता थी राजा को उस के औलाद नहीं थी !तभी वजीर ने राज ज्योतिषी और साधू संतो की सलाह लेने की सलाह दी !तो राजा संतो की शरण में गया तो उन्हों ने शिव भगती करने को कहा राजा अपना महल छोड़ घोर जंगल में जा कर शिव भगती करने लगा निहचित समय पे शिव जी ने प्रसन हो दर्शन दिए और वर मांगने को कहा तो राजा ने कहा मेरे पास आपका दिया सभ कुश है मगर मेरे औलाद नहीं तो शिव जी ने वरदान दिया तेरे जहाँ ४ पुत्रो का जनम होगा उस में जो सब से छोटा होगा महाबली होगा उसकी शक्ति के आगे कोई नहीं टिक पायेगा और शिव अंतर ध्यान हो गये !समा पा के रानी के जहाँ ४ पुत्रो ने जन्म लिया और चर्नुर सिंह बचपन से ही महाबली थे एक वार माँ ने फल की ईशा की तो वोह पूरा पेड़ ही उखाड़ लाये इस तरह बचपन से ही वोह अपनी मस्ती में रहते लेकिन दुसरे भाई उसकी शक्ति से इर्षा करते थे !और सोचते थे की यह महाबली है इस लिए पिता जी इस को राज दे देंगे इस लिए उन्हों ने एक चाल चली रस्ते में एक हाथी मार कर फेक दिया और चर्नुर को ले के सैर को चले आते वक़्त दुसरे रस्ते से आये जहाँ हाथी फेका था !बड़ा भाई हाथी पे सवार था !और हाथी रास्ता में रुक गया हाथी की वजह से रास्ता बंद था !तो सभी ने घर पहुंचने की चिंता की तो महा बलि ने अपने भाई से कहा अगर आप आज्ञा दे तो इस समयसा का मैं समाधान कर सकता हू तो उस ने कहा जल्दी करो महाबली ने एक हाथ से हाथी को उठा कर उपर को उशाल दिया जो असमान की तरफ चला गया इस पर दुसरे भईओ ने कहा तुम ने मरा हुआ पशु उठा कर गलती की है नीच काम किया है आज से हम तुमे अपने पास नहीं बिठाए गे इस परकार चर्नुर सिंह का वई काट कर दिया गया इस पर मन से दुखी हो वोह जंगल में जा कर तपस्या करने लगे इंसाफ के लिए बहुत कठिन भगती के बाद आकाश बाणी हुई तुम खुद लोगो का इंसाफ करोगे और जंगल में ही उनकी मुलाकात लुना माता से हुयी जिस ने वावा जी से शादी की पेशकश की तो वावा जी ने कहा अगर तुम मेरी भगती में विगन पैदा ना करो तो मैं तयार हू इस तरह माता लुना से शादी हो गई मगर वोह जंगल में जा के अपनी तपस्या में लीन हो जाते जो राजा कंस की हद में पड़ता था !गुप्त चरो से सुचना पा के राजा कंस ने अपनी कई शक्तिया वावा जी पे इस्तेमाल की लेकिन वेअसर रही फिर हार कर कंस ने मित्रता का प्रस्ताव रखा जिसे वाव जी ने स्वीकार कर लिया इस तरह महाबली राजा कंस के सेना पति बन गये ! जब श्री कृष्ण मथुरा आए तो महा ब्ली से मल युद्ध किया 18 दिन युद्ध चला लेकिन कोई भी हार नहीं रहा था !तभी एक दिन कृष्ण जी मटा लुना के पास गए और महा ब्ली को हराने का भेत जानने के लिए तो माता लुना ने कहा उसे कोई नहीं हरा सकता उसकी जड़े पताल में है !और चोटी आकाश में कृष्ण जी समझ गए और आकर युद्ध करने लगे और दीमक पैदा कर दी इस से महा बली ने मुर्गा पैदा कर दिया जो दीमक को खाने लगा तो कृष्ण जी ने बिली पैदा की त जो मुर्गे को मार दे पर महा ब्ली ने कुता पैदा कर दिया !फिर भी हार जीत का फैसला नहीं हो पाया तो आकाश वाणी हुई जो इस वक़्त हार स्वीकार लेगा उसे हारा नहीं समझा जाएगा महा ब्ली ने अपनी हार स्वीकार कर ली और सवाल किया के इस्तरी से भेत लेकर मेरे साथ छल किया गया है !तो भगवान ने वरदान दिया तुझे शृष्टि का 4 हिशा मौत का अधिकार दिया जाता है इस लिए के तुम ने धर्म का साथ दिया है ! महा ब्ली ने औरत जाती को श्राप दिया के आज के बाद तुम कोई भी भेत हिरदे में नहीं रखोगी महा ब्ली हिमाचल या गए और घोर जंगल में तप करने लगे !तभी राजा के घोड़ो के लिए घास लेने आए दो सनिक सेवा दर महा बली का परताप देख कर व्ही रुक गए और इस पर राजा ने उन्हे पकड़ने के लिए सैनिक भेजे पर वावा जी ने उनकी रक्षा की और सारी फोज को हरा दिया तो राजा को शरण में आना पड़ा और दोनों सैनको को वावा जी की सेवा में सोप दिया वावा जी के परथम सेवक बने और वावा जी अंतर ध्यान हो गए और कहा जो भी मेरे दरबार पे आया मैं उसका इंसाफ करुगा आज भी हिमाचल में वावा बालक नाथ जी से ठोरा आगे सुमाइला में महा बली का मंदिर है !वह हजारो लोग जाते है और इंसाफ मांगते है !व्हा कोई भी तंत्र परयोग चाहे कितना भी खतरनाक हो निष्फल हो जाता है !हर गाँव में महाबली के नाम पे थड़े बने है झन चुरी देकर लोग पशुयों और परिवार की सुख मांगते है !उनके नाम से आज भी चमत्कार होते है !मैं खुद साक्षी हु जिस का उलेख मैं समर्पण के अगले लेख में करुगा !महा माया ,काली ,भैरव नागा बली ,हस्त बली और 64 योगनि चंडी आदि शक्ति महा बली बौरा जिस का अग्नि भोजन है , मलंग और बहुत सी शक्तिया महा बली के साथ चलती है ! मदने हाथी की सवारी करते है ! 32 पशु के चरम से उनकी तडागी बनाई गई थी फिर भी गठ नहीं बद्धि थी !तो आप अंदाजा लगा सकते है कितने बली होंगे !सिर्फ महा बली की साधना से बहुत सी शक्तिया स्व सिद्ध हो जाती है !कभी मौका मिले तो एक वार महा बली मंदिर के दर्शन जरूर करना !
जय गुरुदेव !