प्रिय मित्रों
आपको नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक-२ शुभकामनाएं.
यह नव वर्ष आपके जीवन में सुख, शांति, समृद्धि, सुस्वास्थ्य, प्रसन्नता और भी बहुत कुछ लेकर आये जो आपके जीवन को दिव्यता कि और ले चले.
यह समय बहुत ही कीमती है, क्योंकि समय ही जीवन का आधार है. यह समय कुछ कर गुजरने का है; अपने अन्तःकरण कि पुकार सुनिए और वह सब करिए जो आपको मनुष्य कहलाने योग्य बनाता है.जो जीवन का आधार बनाते है ऐसे गुरु ही क्रांति दूत है जिन्होंने अपने जीवन से लोगो को राह दिखलाई कि सच्चा मनुष्य क्या होता है. वह मनुष्य से ऋषि, देवता कैसे बनता है.
यह क्रांति गीत हमारे जीवन को दिशा दे, हम नव वर्ष को अपने जीवन का हर्ष बनाले! यही कामना!
हाथ पर यूँ हाथ रखकर तुम न बैठो , सोच लो यह समय संक्रांति का है !
सावधानी से तुम्हें हर पग बढ़ाना, यह समय हर ओर घोर अशांति का है .
हर तरफ है दृश्य ऐसा, इस समय की धार में बिगड़ा हुआ हर संतुलन है .
सब ढलानों पर फिसलते जा रहे हैं इस तरह निश्चित पराभव है पतन है .
सावधानी से तुम्हें हर पग बढ़ाना, यह समय हर ओर घोर अशांति का है !
हाथ पर यूँ हाथ रखकर तुम न बैठो , सोच लो यह समय संक्रांति का है !!
आत्म बल लेकर अगर तुम बढ़ सकोगे, लक्ष्य पर ही दृष्टि यदि हर पल रहेगी .
तो समझ लो इस भयंकर धार में भी, नाव मनचाही दिशा में ही बहेगी.
आज तो निश्चित अडिग संकल्प ले लो, यह समय बिलकुल न अब दिग्भ्रांति का है !..
हाथ पर यूँ हाथ रखकर तुम न बैठो , सोच लो यह समय संक्रांति का है !!
Dr. Narayan Dutt Shrimali Dr. Narayan Dutt Shrimali (1933-1998) *Paramhansa Nikhileshwaranand ascetically *Academician *Author of more than 300 books Mantra Tantra Yantra Vigyan:#3 PART(NARAYAN / PRACHIN / NIKHIL-MANTRA VIGYAN) Rejuvenating Ancient Indian Spiritual Sciences - Narayan | Nikhil Mantra Vigyan formerly Mantra Tantra Yantra Vigyan is a monthly magazine containing articles on ancient Indian Spiritual Sciences viz.
Tuesday, January 4, 2011
Placed his hands on the hand you do not sit like that, think of the solstice is the time!
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