Tantra Vijay-15 Vishalakshi Akarshan Sadhna(Ultimate Sadhna To Attract Everyone)
सदगुरुदेव के साथ बिताए हुए दिनों की याद में खोया हुआ मोहन मुझ से अपने जीवन के वो पल, वो घटनाए बाँट रहा था जो उसके जीवन की निधि थी. रोमांचित सा हो कर के सुन रहा था मै उसकी दास्तान. तंत्र की विलक्षण साधनाओ की खोज में जब में घूम रहा था उसी समय मुलाकात हुयी थी मोहन से. दिखने में तो ३० साल से ज्यादा उम्र नहीं थी पर ये तो गुरुदेव से प्राप्त कयाकल्प का चमत्कार था , उम्र तो उसकी ५० के करीब थी. न जाने किस प्रेरणा के वशीभूत वो मेरे ही इंतज़ार में था, सर्दियों की राते थी वह. खाली जेब से निकल पड़ा था में हजारो मिल दूर ,किसी अज्ञात संकेत के इशारे पर. अचानक मोहन से हुयी मुलाक़ात शायद उस संकेत का आखरी छोर था. उस झील के किनारे रात में चांदनी भी चारो तरफ बेठ कर सुन रही थी उस रहस्यमय साधक की दास्तान.
“सदगुरुदेव के महाप्रयाण के बाद में हिमालय स्थित भैरव महा पीठ के पुजारी ने कई बार सदगुरुदेव को वहाँ अपने शिष्यों के साथ साधनारत पाया हे. एक दिन जब में बहुत उदास हो गया था तो रो पड़ा गुरुदेव की तस्वीर के सामने की आप क्यों हमें छोड़ के चले गए ...तभी चारो तरफ अष्टगंध की सुगंध फ़ैल गयी, जब नज़र ऊपर उठाई तो सदगुरुदेव सामने खड़े थे , कठोर भावमुद्रा से उन्होंने कहा ‘क्यों रो रहा हे ,मै सदैव उपस्थित हूं ’ और वे एकदम से अद्रश्य हो गए ...
निखिलेश्वरानन्द स्तवन का पाठ करते हुवे कई बार सदगुरुदेव ने मुझे अपने सन्याश स्वरुप में दर्शन दिए हे. इससे बड़ी साधनात्मक उपलब्धि क्या होगी.”
रात बढ़ चुकी थी और ठण्ड भी. बुखार से बुरे हाल थे मेरे फिर भी उसकी बातो में ही खोया हुवा था. उसके चहरे पर गज़ब का आकर्षण था. कुछ ऐसा की देखते ही उसे कोई भी अपने से श्रेष्ठ मानने के लिए बाध्य हो जाए. समझते देर न लगी की कोई तो आकर्षण साधना कर रखी हे उसने.
“यही पास ही में एक मंदिर हे. उसमे देवी की आधे फीट की प्रतिमा हे. एक दम जिवंत, वहाँ पे जो भी साधनाए करे वो सफल होती ही हे. लोगो को तो मालूम भी नहीं हे की वो विशालाक्षी का स्थान हे. देखना चाहोगे ?”
मेने सर हिला के सहमति दर्शायी तो वे एक तरफ चल दिए. में भी पीछे पीछे चल पड़ा. रस्ते में एक सन्याशी के वहाँ कुछ देर रुके जो कर्णपिशाचिनी साधना में सिद्धहस्त थे. वे दोनों कुछ देर बाते कर रहे थे. सन्याशी ने मेरी तरफ देखा भी नहीं इससे में अकड गया. बहार आते ही मोहन मुस्कराहट के साथ आगे बढ़ गए. रस्ते में ही बताया उसने की आकर्षण साधना आज के युग में बहोत ही उपयोगी हे. चाहे वह देश का नेता हो या एक छोटा सा नागरिक. अगर आपका व्यक्तित्व आकर्षक हे तो हर कोई आपकी बात मानने के लिए बाध्य हो जाएगा. ऐसे व्यक्तियो को मान सम्मान प्राप्त होता ही हे और भौतिकता में सहज वह सफल हो सकते हे. आकर्षण के लिए कई साधनाए हे जो की सरल और सहज हे.
मंदिर आ चूका था और उस जिवंत प्रतिमा का दर्शन कर धन्य हो गया में. सुनसान पड़ा वो मंदिर मुश्किल से किसी के ध्यान में आ सकता था. एक हफ्ते तक वो विलक्षण व्यक्ति से जो ज्ञान मिला वो तो शब्दों से परे ही हे. सालो बीत गए आज, फिर मिलना नहीं हो पाया उससे. लेकिन आज भी उसका वो चेहरा नहीं भूल पाया हू ...जो आकर्षण से भरपूर था.
आकर्षण की एक विशेष विशालाक्षि साधना जो की बहोत ही सहज हे.
ये साधना बुधवार से शुरू की जाती हे. इस साधना में रात्रि के ११ बजे बाद रोज २ घंटे मंत्र का उच्चारण किया जाता हे. इसमे जाप संख्या निर्धारित नहीं हे, माला भी आवश्यक नहीं हे. सामने एक दीपक लगा हो और वो लगातार २ घंटे तक चलता रहे. उसकी लौ पर देखते हुए मंत्र जाप हो. ये साधना ८ दिन तक नियमित करे. अगले बुधवार तक एक ही स्थान पर निश्चित समय पर मन्त्रजाप हो. रोज मंत्र जाप से पहले विशालाक्षि देवी को मन ही मन प्रार्थना साधना में सफलता करके ही साधना में प्रवृत हो.
मंत्र : हूं हूं फट फट हूं हूं
दिखने में ये मंत्र भले ही सामान्य लगे पर इसका प्रभाव आपको कुछ ही दिनों में दिखने लगेगा. साधना खतम होते होते चेहरे पर और विशेष कर आँखों में एक विशेष आकर्षण आ जाता हे जिससे सभी प्रकार से सफलता प्राप्त होती हे.
जय गुरुदेव.
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Being lost in the days which he passed with Sadgurudev, Mohan was sharing me those moments, those incidents which were actual wealth for him. I was excited and willingly listening to him. When I was roaming to search rare sadhanas of Tantra, at that time I met Mohan. Looking at him, He seems to be just 30, but it was result of Kayakalp given by Sadgurudev; his actual age was nearly 50. Can’t say by which intuition he was waiting for me, those were winter days. With empty pockets I went thousands miles away, directed by unknown prediction. I guess it was last dot of that unknown sign to meet Mohan. Moonlight spread around us on the bank of pond was even interestingly listing to that mysterious sadhak.
“Priest of Bheirav Mahapeeth situated in Himalayas has seen Sadgurudev with his disciples performing their sadhana, though after sadgurudev passed away from his mortal form. One day when I became very sad, I went in front of sadgurudev’s picture and cried a lot that why you left us all...at that time only aroma of Ashgandh spread, When I looked infront, Sadgurudev were standing there in air, in hard voice he said ‘ Why are you crying, I am here only’ and he became invisible instant...
While reading Nikhileshwaranand Stavan I got his Darshan many time in his sanyash form. What could you say more spiritual attainment then this. “
Night and cold both turned on. I was very weak with fever but at same time was lost in his talk. There was a great attraction in his face. Something which let anyone feel that he is more ahead than us. It took me no time to understand that he did some sadhana on attraction.
“Near only, there is a temple. There is a half feet idol of goddess. Like alive, whatever sadhana if performed there, it does gives results. People do not know that that is a place of devi vishalakshi. Want to see?”
I accepted by nod and he started walking in one direction, I too went on after him. In between we stopped at a sage who was accomplished in Karnpishachini Sadhana. Both of they, talked for a while. Sage didn’t even look at me, so I became irritated. After coming out with smile Mohan started moving. In the way to temple, he told me that Aakarorshan Sadhana is very important in this time for everyone. Whosoever he may is a leader or a common man. If there is an attraction in your personality, everyone would be bind to agree with you. Such people do always get respect in society and he becomes a successful material man. There are so many sadhanas of attraction which are easy and straight.
Temple came and I became glad by receiving blessing. The temple was very difficult to come in note of common public. The knowledge which I got from that mysterious man cannot be described in the words. Many years passed, but it became not possible to meet him again. But today even, I have not forgot his face...full of attraction. There is one easy Vishalakshi sadhana for attraction.
This sadhna could only be started on Wednesday. In this sadhana 2 hours mantra chanting is needed after 11 pm. There is no fix counting if rosaries. A lamp should be light in front; Mantra jaap should be done by looking at the light of lamp. The sadhna should be repeated till 8 days. Till next Wednesday mantra jaap should be on same place and same time. One should pray to Devi Vishalakshi for success in sadhana before starting mantrajaap daily.
Mantra: Hum Hum Phat Phat Hum Hum
Although this mantra seems very common but you can see power in few days. after finishing sadhana one will get attraction on whole face and especially in eyes through which success could be generated very easily in every field.
Jai Gurudev.