होली पर विशिष्ट लघु प्रयोग :
होली की रात्रि (जिस रात्रि होली में अग्नि लगाई जाती )साधकों और तांत्रिकों के लिए तो महत्वपूर्ण होती ही है परंतु आम व्यक्तियों के लिए भी कम महत्वपूर्ण नहीं होती ,क्योंकि इस दिन व्यक्ति अपनी बहुत सी या किसी भी समस्या का निदान साधनाओं या छोटे-छोटे प्रयोगों द्वारा कर सकता है | साधनाएँ बहुत लंबी होती हैं ,हर व्यक्ति के पास इतना समय नहीं होता कि ज़्यादा समय साधनाओं में दे सके.हालाँकि इस दिन की गयी 1 माला का प्रभाव लगभग 100 माला के बराबर होता है,इसलिए साधक और तांत्रिक लोग इस मुहूर्त का बहुत बेसब्री से इंतज़ार करते हैं,जिस से कम श्रम में लंबी साधनाएँ भी सिद्ध कर सकें |यहाँ हम कुछ ऐसे ही लघु प्रयोग देने जा रहे हैं ,जिनके द्वारा सामान्य व्यक्ति भी अपने दैनिक जीवन में आने वाली कई समस्याओं का स्माधान खुद कर सकते हैं,बस ज़रूरत है,श्रद्धा और विश्वास से इन लघु प्रयोगों को करने की |
मूल या बेसिक प्रयोग :
होलिका दहन की रात्रि में ,दहन के समय घर का प्रत्येक सदस्य होलिका को शुद्ध घी भिगोकर 2 लौंग ,1 बताशा और एक पान का पत्ता (डंडी सहित) अर्पित करे ,होली की 11 परिक्रमाएँ करें, 1 सूखा नारियल भी अर्पित करें ,परिक्रमा करते समय नये अनाज (जौ या गेहूँ के दाने)भी बाली सहित होलिका अग्नि को समर्पित करते रहें,कुंकुम,गुलाल और प्रसाद आदि अर्पित करें |
यदि आप घर पर भी होलिका दहन करते हैं तो मुख्य होली में से एक जलती लकड़ी घर पर लाकर नवग्रह की लकड़ियों (जो आजकल पूजा की दुकानों पर भी मिल जाती हैं) एवं गाय के गोबर से बने उपलो (गोबर से कहीं- कहीं बल्ग़ुरियाँ भी लोग बनाकर उपलो की जगह जलाते हैं)से घर पर होली प्रज्ज्वलित करना चाहिए |और ऊपर जो प्रयोग किया है ,उसे मुख्य होली पर ना करके घर पर भी कर सकते हैं,घर का प्रत्येक सदस्य शुद्ध घी में भिगोकर 2 लौंग,1 बताशा ,और पान का एक पत्ता ,और एक सूखा नारियल अर्पित करें, और फिर 11 परिक्रमाएँ होली की घर के सभी सदस्य करें |ये मूल प्रयोग है|
होलिका दहन की रात्रि में ,दहन के समय घर का प्रत्येक सदस्य होलिका को शुद्ध घी भिगोकर 2 लौंग ,1 बताशा और एक पान का पत्ता (डंडी सहित) अर्पित करे ,होली की 11 परिक्रमाएँ करें, 1 सूखा नारियल भी अर्पित करें ,परिक्रमा करते समय नये अनाज (जौ या गेहूँ के दाने)भी बाली सहित होलिका अग्नि को समर्पित करते रहें,कुंकुम,गुलाल और प्रसाद आदि अर्पित करें |
यदि आप घर पर भी होलिका दहन करते हैं तो मुख्य होली में से एक जलती लकड़ी घर पर लाकर नवग्रह की लकड़ियों (जो आजकल पूजा की दुकानों पर भी मिल जाती हैं) एवं गाय के गोबर से बने उपलो (गोबर से कहीं- कहीं बल्ग़ुरियाँ भी लोग बनाकर उपलो की जगह जलाते हैं)से घर पर होली प्रज्ज्वलित करना चाहिए |और ऊपर जो प्रयोग किया है ,उसे मुख्य होली पर ना करके घर पर भी कर सकते हैं,घर का प्रत्येक सदस्य शुद्ध घी में भिगोकर 2 लौंग,1 बताशा ,और पान का एक पत्ता ,और एक सूखा नारियल अर्पित करें, और फिर 11 परिक्रमाएँ होली की घर के सभी सदस्य करें |ये मूल प्रयोग है|
प्रयोग 1.ग्रह दोष निवारण के लिए:
यदि आपको कोई ग्रह पीड़ित कर रहा है तो होलिका दहन के अगले दिन होली की थोड़ी सी राख लाकर(ठंडी होने के बाद)अपने शरीर पर पूरी तरह (तेल की तरह)मल लें,और 1 घंटे बाद गरम पानी से स्नान कर लें,आप ग्रह पीड़ा से तो मुक्त होंगे ही,साथ ही यदि आप पर किसी ने अभिचार-प्रयोग कोई किया है ,तो आप उस से भी मुक्त हो जाएँगे |
ऐसा करना संभव ना हो तो होली के बाद किसी भी सर्वार्ट सिद्धि योग जिस दिन पड़ता हो,उस दिन होली की राख को बहते जल या किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें,आप ग्रह बाधा से मुक्त हो जाएँगे |
ऐसा करना संभव ना हो तो होली के बाद किसी भी सर्वार्ट सिद्धि योग जिस दिन पड़ता हो,उस दिन होली की राख को बहते जल या किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें,आप ग्रह बाधा से मुक्त हो जाएँगे |
प्रयोग 2.शनि दोष समाप्त करने के लिए :
यदि शनि ग्रह के कारण आपको परेशानियाँ आ रही हैं ,या कार्यों में व्यवधान आ रहा है ,तो होली वाले दिन,होलिका दहन के समय काले घोड़े की नाल या शुद्ध लोहे का छल्ला बनवाकर होली की 2 परिक्रमाएँ करने के बाद होलिका अग्नि में डाल दें |दूसरे दिन होली की अग्नि शांत होने उस छल्ले को निकाल कर ले आएँ |उस छल्ले को कच्चे दूध (गाय का हो,तो बेहतर) एवं शुद्ध जल में धोकर शनिवार के दिन सायंकाल या शनि की होरा में दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में शनि देव जी का मंत्र पढ़ते हुए धारण कर लें|आपकी परेशानियाँ और व्यवधान धीरे- धीरे दूर हो जाएँगे |
प्रयोग 3.आर्थिक समस्या से मुक्ति के लिए :
यदि आप किसी तरह की आर्थिक समस्या से ग्रस्त हैं,तो होली की रात्रि में चाँद निकलने के बाद अपने निवास की छत पर आ जाएँ | चंद्र देव का स्मरण कर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप ,अगरबत्ती आदि अर्पित कर कोई भी सफेद रंग का प्रसाद (दूध या मावे से बनी कोई मिठाई) तथा साबूदाने की खीर अर्पित करें ,और अपने निवास स्थान सुख -शांति के साथ-साथ स्थाई आर्थिक समृद्धि के लिए प्रार्थना करें |बाद में प्रसाद को बच्चों में बाँट सकते हैं |कुछ समय बाद आप स्वयं अनुभव करेंगे कि आपकी आर्थिक समस्याएँ कम होकर लाभ की स्थिति बन रही है ,और उत्तरोत्तर यह आपको ये सुख -समृद्धि के द्वार तक ले जाएगी |इस उपाय को प्रत्येक पूर्णिमा को किया जा सकता है |
प्रयोग 4.आर्थिक समस्या का स्थाई समाधान ;
इस उपाय को अगर होली की रात कर लिया जाए तो इसके प्रभाव से आप कभी भी आर्थिक समस्या में नहीं आएँगे |इसके लिए होली की रात्रि में सबसे पहले अपने घर या व्यावसायिक प्रतिष्ठान में शाम को सूर्यास्त होने के पूर्व दिया-बत्ती अवश्य करें |घर या प्रतिष्ठान की सारी लाइट जला दें| घर के पूजा स्थल के सामने खड़े होकर लक्ष्मी जी का कोई भी मंत्र 11 बार मानसिक रूप से जपें |फिर घर या प्रतिष्ठान की कोई भी कील लाकर ,जिस स्थान पर होली जलनी है ,वहाँ की मिट्टी में दबा दें |इस उपाय से आपके घर/प्रतिष्ठान में किसी भी तरह की नकारात्मक शक्ति का प्रवेश नहीं होगा और आप आर्थिक संकट में भी कभी नहीं आएँगे |
विशेष :- यदि ये करना संभव ना हो तो आप इसे इस तरह भी कर सकते हैं कि होली की रात्रि ,होली जलने के बाद आप बनने वाली थोड़ी गर्म राख घर ले आएँ,फिर घर के मुख्य द्वार के अंदर की तरफ ज़मीन पर कील रख कर उसके ऊपर होली की राख डाल दें और ऊपर से किसी चीज़ से ढक दें |दूसरें दिन कील को उपरोक्त विधि के अनुसार प्रयोग करें और राख को जल में प्रवाहित कर दें |इस से भी आपको उपरोक्तानुसार समुचित लाभ प्राप्त होगा |
विशेष :- यदि ये करना संभव ना हो तो आप इसे इस तरह भी कर सकते हैं कि होली की रात्रि ,होली जलने के बाद आप बनने वाली थोड़ी गर्म राख घर ले आएँ,फिर घर के मुख्य द्वार के अंदर की तरफ ज़मीन पर कील रख कर उसके ऊपर होली की राख डाल दें और ऊपर से किसी चीज़ से ढक दें |दूसरें दिन कील को उपरोक्त विधि के अनुसार प्रयोग करें और राख को जल में प्रवाहित कर दें |इस से भी आपको उपरोक्तानुसार समुचित लाभ प्राप्त होगा |
प्रयोग 5.बार- बार आर्थिक हानि रोकने के लिए :
होलिका दहन की शाम को अपने मुख्य द्वार की चौखट पर दो मुखी आटे का दीपक बनाकर ,चौखट पर थोड़ा सा गुलाल छिड़क कर ,दीपक जलाकर उस पर रख दें | दीपक जलाते समय मानसिक रूप से अपनी आर्थिक हानि रोकने की प्रार्थना ईश्वर से करें|दीपक ठंडा हो जाने पर उसे जलती होलिका अग्नि में डाल दें |
प्रयोग 6.तंत्र -बाधा निवारण के लिए :
अगर आपको ऐसा लगता है कि किसी व्यक्ति ने आप पर या परिवार के किसी सदस्य पर कोई बड़ा तंत्र -प्रयोग करवाया है ,तो मूल प्रयोग को करने के साथ थोड़ी मिश्री भी होलिका अग्नि में समर्पित करें | अगले दिन होली की राख लाकर ,चाँदी के ताबीज़ में भर कर लाल या पीले धागे में ,गले में धारण करें /करवाएँ |
प्रयोग 7.रुके /फँसे धन की प्राप्ति के लिए :
यदि आपके धन को कोई व्यक्ति वापिस नहीं कर रहा है ,तो जिस दिन होलिका दहन होना है ,उस दिन होली जलने वाले स्थान पर जाकर ,उस स्थान पर अनार की लकड़ी की कलम से उस व्यक्ति का नाम लिख कर ,होलिका माता से अपने धन की वापसी की प्रार्थना करते हुए उसके नाम पर हरा गुलाल इस प्रकार छिड़क दें ,जिस से पूरा नाम गुलाल से ढक जाए,अर्थात नाम दिखाई ना दे | इस उपाय के बाद कुछ ही समय में वो आपके धन को वापिस कर देगा |
प्रयोग 8.आजीविका/नौकरी प्राप्ति के लिए :
होली की रात्रि में काले तिल के 21 दाने दाहिने हाथ में लेकर होलिका दहन के पूर्व 8 परिक्रमा करें,परिक्रमा करते समय निम्न मंत्र का मानसिक जप करते रहें---
मंत्र :--"ॐ फ्राँ फ़्रीं सः |"
जब परिक्रमा पूर्ण हो जाए ,तो काले तिलों को चाँदी के ताबीज़ में भर कर होली की रात्रि को ही गले में धारण कर लेने से नौकरी में आने वाले व्यवधान दूर होते हैं |इंटरव्यू में भी ये पहन कर जाएँ,सफलता मिलेगी |
मंत्र :--"ॐ फ्राँ फ़्रीं सः |"
जब परिक्रमा पूर्ण हो जाए ,तो काले तिलों को चाँदी के ताबीज़ में भर कर होली की रात्रि को ही गले में धारण कर लेने से नौकरी में आने वाले व्यवधान दूर होते हैं |इंटरव्यू में भी ये पहन कर जाएँ,सफलता मिलेगी |
प्रयोग 9.शत्रु -बाधा निवारण के लिए :
होली की रात्रि में काँसे की थाली में कनेर के 11पुष्प तथा गूगल की 11 गोलियाँ रख कर जलती हुई होली में नीचे दिए मंत्र को पढ़ते हुए जलती होलिका में डाल दें -------
मंत्र :-"ॐ हृीं हुम फट .|"
मंत्र :-"ॐ हृीं हुम फट .|"
प्रयोग 10.शत्रुता दूर करने के लिए :
होलिका दहन की दूसरी रात्रि को 12 बजे के बाद अनार की कलम से होली की राख में शत्रु का नाम लिखें और बाएँ हाथ से मिटा दें पुनः उसी स्थान पर एक उर्ध्व मुखी त्रिकोण बनाकर उसके बीच में "हृीं" लिख कर यंत्र बनाएँ.उसके बाद वहाँ से कुछ राख लेकर वापस आ जाएँ |ये राख शत्रु के सिर पर डालते ही उसकी शत्रुता समाप्त हो जाएगी |
प्रयोग 11.धन- प्राप्ति के लिए :
आर्थिक कष्ट दूर करने के लिए होली वाले दिन कमलगट्टा की माला लेकर होली की परिक्रमा करते हुए निम्न श्री यंत्र के मंत्र को 108 बार जप करें---
मंत्र :- "ॐ श्रीं हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद: प्रसीद: श्रीं हृीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्ये नमः |"
मंत्र जप पूर्ण होने पर माला पहन कर होली के समीप गॉ-घृत का दीपक जलाकर घर लौट आएँ,फिर एक माला नित्य इस मंत्र की करते रहें |जल्दी ही धन-प्राप्ति के योग बनेंगे |
मंत्र :- "ॐ श्रीं हृीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद: प्रसीद: श्रीं हृीं श्रीं ॐ महालक्ष्म्ये नमः |"
मंत्र जप पूर्ण होने पर माला पहन कर होली के समीप गॉ-घृत का दीपक जलाकर घर लौट आएँ,फिर एक माला नित्य इस मंत्र की करते रहें |जल्दी ही धन-प्राप्ति के योग बनेंगे |
प्रयोग 12.स्वास्थ्य लाभ के लिए :
होलिका दहन के समय होली की 11 परिक्रमा करते हुए निम्न मंत्र का जप मन ही मन में करना चाहिए ----
मंत्र :---"देहि सौभाग्यम आरोग्यम ,देहि में पर मम सुखम |
रूपम देहि ,जयम देहि ,यशो देहि ,द्विशो जहि ||"
मंत्र :---"देहि सौभाग्यम आरोग्यम ,देहि में पर मम सुखम |
रूपम देहि ,जयम देहि ,यशो देहि ,द्विशो जहि ||"
होली के बाद नित्य प्रातः इस मंत्र का कम से कम 11 बार अवश्य जप करें |
प्रयोग 13.तंत्र-बाधा (अभिचार-कर्म) निवारक प्रयोग :
होली की रात्रि में या किसी अन्य सिद्ध मुहूर्त में लकड़ी के बाजौट (चौकी) पर लाल वस्त्र बिछाकर ,उस पर तांबे के पात्र में जल भर कर ,पान का एक पत्ता उसमें डाल कर रख दें |तांबे के पात्र को काले तिल की ढेरी पर स्थापित पर,सरसों के तेल का दीपक जला लें |फिर निम्न मंत्र की 21 माला जप कर तांबे के पात्र में रखे जल को अभिमंत्रित कर ,पूरे घर में पान के पत्ते से छिड़काव करें |
जल की कुछ मात्रा घर का प्रत्येक सदस्य ग्रहण करे तो तंत्र-बाधा शांत होती है |
जल की कुछ मात्रा घर का प्रत्येक सदस्य ग्रहण करे तो तंत्र-बाधा शांत होती है |
मंत्र :-"ॐ आं हृीं क्रों ऐन्ग "
काले तिलों को शनिवार के दिन बहते जल में विसर्जित कर दें |
काले तिलों को शनिवार के दिन बहते जल में विसर्जित कर दें |
प्रयोग 14.धन-सन्चय करने के लिए :
धन-सन्चय के लिए होली के दिन कौड़ी का पूजन का पूजन कर लाल वस्त्र में बाँध कर किसी अलमारी या संदूक में रख दें | इस दिन जो व्यक्ति कौड़ी अपने पास रखता है,उसे वर्ष भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहती है |
जय ...... सदगुरुदेव | by Mukesh Saxena