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Saturday, May 14, 2016

bangalamukh sadhana बगलामुखी जयंती



ॐ नमः शिवाय .... मित्रों !!
माँ बगलामुखी जयंती की आप सभी को शुभकामनायें !
आज का दिन आप सभी के लिए शुभ हो ...
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार वैशाख मास मे शुक्ल पक्ष की अष्टमी को माँ बगलामुखी का अवतरण दिवस कहा जाता है, इसी कारण इस तिथि को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है।
माता बगलामुखी स्वर्ण के सिंहासन पर विराजमान है।
मुकुट पर चन्द्रमा विराजमान एक हाथ मे मुदगर धारण किए हुए तथा
दूसरे हाथ में शत्रु की जिव्हा पकड़े हुए है,
तथा सदैव पीले वस्त्र धारण करती हुई शोभायमान रहती हैं।
" सौवर्णासन संस्थितां त्रिनयनां पीताशंकोल्लासनी
हेमाभांग रूचिं शंशाक मुकुटां संचम्पक स्त्र युग्ताम।
हस्तैर्मुदगर पाशवद्वरसनां सम्विभ्रतीं भूषणै र्व्याप्ताड़ीं
बगलामुखी त्रिजगतां संस्तम्भिनी चिन्तये ! "
सतयुग की कथा के अनुसार ब्रह्मांड मे एक भयंकर तूफान आने पर पूरी सृष्टि नष्ट होने की कगार पर थी,
तब भगवान विष्णु ने सर्वशक्तिमान और देवी बगलामुखी का आह्वान किया। उन्होंने सौराष्ट (काठियावर) के हरिद्रा सरोवर के पास उपासना की।
उनके इस तप से श्रीविध्या का तेज उत्पन्न हुआ।
तप की उस रात्रि क़ो बीर रात्रि के रूप मे जाना जाता है।
उस अर्ध रात्रि को भगवान विष्णु की तपस्या से संतुष्ट होकर माँ बगलामुखी ने सृष्टिविनाशक तूफान क़ो शान्त किया ।
मंगलवार युक्त चतुर्दशी, मकर-कुल नक्षत्रों से युक्त वीर-रात्रि कही जाती है।
इसी अर्द्ध-रात्रि मे श्री बगला का आविर्भाव हुआ था।
मकर कुल नक्षत्र –
भरणी, रोहिणी, पुष्य, मघा, उत्तरा-फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण तथा उत्तर-भाद्रपद नक्षत्र हैं।
यह भी मान्यता है कि प्राचीन काल मे एक मदन नाम के राक्षस ने अत्यंत कठिन तपस्या करके वाक् सिद्धि के वरदान को पाया था।
उसने इस वरदान का गलत प्रयोग करना शुरू कर दिया और निर्दोष लाचार लोगों को परेशान करने लगा।
उसके इस घृणित कार्य से परेशान होकर देवताओं ने माँ बगलामुखी की आराधना की।
माँ ने असुर के हिंसात्मक आचरण को अपने बाएं हाथ से उसकी जिह्वा को पकड़ कर और उसके वाणी को स्थिर करके रोक दिया।
माँ बगलामुखी जैसे ही मारने के लिए दाहिने हाथ में गदा उठाई वैसे ही असुर के मुख से निकला मैं इसी रूप में आपके साथ दर्शाया जाऊं ... तब से देवी इन्हें माँ बगलामुखी के साथ दर्शाया गया है।
दश महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या का नाम से उल्लेखित है।
वैदिक शब्द ‘ वल्गा ’ कहा है, जिसका अर्थ दुल्हन या कृत्या है, जो बाद मे अपभ्रंश होकर ' बगला ' नाम से प्रचारित हो गया ।
बगलामुखी शत्रु-संहारक विशेष है अतः इसके दक्षिणाम्नायी पश्चिमाम्नायी मंत्र अधिक मिलते हैं।
नैऋत्य व पश्चिमाम्नायी दथमंत्र प्रबल संहारक व शत्रु को पीड़ा कारक होते हैं । इसलिये इसका प्रयोग करते समय व्यक्ति घबराते हैं, वास्तव मे इसके प्रयोग में सावधानी बरतनी चाहिये।
ऐसी बात नहीं है कि यह विद्या शत्रु-संहारक ही है, ध्यान योग में इससे विशेष सहयता मिलती है।
यह विद्या प्राण-वायु व मन की चंचलता का स्तंभन कर ऊर्ध्व-गति देती है, इस विद्या के मंत्र के साथ ललितादि विद्याओं के कूट मंत्र मिलाकर भी साधना की जाती है।
बगलामुखी मंत्रों के साथ ललिता, काली व लक्ष्मी मंत्रों से पुटित कर व पदभेद करके प्रयोग मे लाये जा सकते हैं।
इस विद्या के ऊर्ध्व-आम्नाय व उभय आम्नाय मंत्र भी हैं, जिनका ध्यान योग से ही विशेष सम्बन्ध रहता है।
त्रिपुर सुन्दरी के कूट मन्त्रों के मिलाने से यह विद्या बगलासुन्दरी हो जाती है, जो शत्रु-नाश भी करती है तथा वैभव भी देती है।
विष्णु भगवान् श्री कूर्म हैं तथा ये मंगल ग्रह से सम्बन्धित मानी गयी हैं।
इनके शिव को ' एकवक्त्र-महारुद्र तथा मृत्युञ्जय-महादेव ' कहा जाता है, इसीलिए देवी सिद्ध-विद्या कहा जाता है।
बगलामुखी महाविद्या के भैरव भगवान मृत्युञ्जय बतलाए गए हैं, अतः पीतांबरा माँ के आराधन से पूर्व भगवान मृत्युञ्जय की स्तुति भी की जानी चाहिए।
‘ मृत्युञ्जय महादेव त्राहिमाम् शरणागतम्।
जन्ममृत्युञ्जरारोगै: पीड़ितं कर्मबन्धनैः ! "
शत्रु व राजकीय विवाद, मुकदमेबाजी मे यह विद्या शीघ्र-सिद्धि-प्रदा है।
शत्रु के द्वारा कृत्या अभिचार किया गया हो, या
प्रेतादिक उपद्रव हो, तो उक्त विद्या का प्रयोग करना चाहिये।
यदि शत्रु का प्रयोग या प्रेतोपद्रव भारी हो, तो मंत्र क्रम मे निम्न विघ्न बन सकते हैं –
1. जप नियम पूर्वक नहीं हो सकेंगे ।
2. मंत्र जप मे समय अधिक लगेगा, जिह्वा भारी होने लगेगी।
3. मंत्र मे जहाँ “ जिह्वां कीलय ” शब्द आता है, उस समय स्वयं की जिह्वा पर संबोधन भाव आने लगेगा, उससे स्वयं पर ही मंत्र का कुप्रभाव पड़ेगा।
4. ‘ बुद्धिं विनाशय ’ पर परिभाषा का अर्थ मन मे स्वयं पर आने लगेगा।
सावधानियाँ –
* ऐसे समय मे तारा मंत्र पुटित बगलामुखी मंत्र प्रयोग मे लेवें, अथवा कालरात्रि देवी का मंत्र व काली अथवा प्रत्यंगिरा मंत्र पुटित करें,
तथा कवच मंत्रों का स्मरण करें।
सरस्वती विद्या का स्मरण करें अथवा गायत्री मंत्र साथ मे करें।
* “ ॐ ह्ल्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाश ह्ल्रीं ॐ स्वाहा ”
इस मंत्र मे ‘सर्वदुष्टानां’ शब्द से आशय शत्रु को मानते हुए ध्यान-पूर्वक आगे का मंत्र पढ़ें।
8 यही संपूर्ण मंत्र जप समय ‘ सर्वदुष्टानां ’ की जगह काम, क्रोध, लोभादि शत्रु एवं विघ्नों का ध्यान करें तथा ‘ वाचं मुखं …….. जिह्वां कीलय ’ के समय देवी के बाँयें हाथ मे शत्रु की जिह्वा है तथा ‘ बुद्धिं विनाशय ’ के समय देवी शत्रु को पाशबद्ध कर मुद्गर से उसके मस्तिष्क पर प्रहार कर रही है, ऐसी भावना करें।
* बगलामुखी के अन्य उग्र-प्रयोग वडवामुखी, उल्कामुखी, ज्वालामुखी, भानुमुखी, वृहद्-भानुमुखी, जातवेदमुखी इत्यादि तंत्र ग्रथों मे वर्णित है,
समय व परिस्थिति के अनुसार प्रयोग करना चाहिये।
* बगला प्रयोग के साथ भैरव, पक्षिराज, धूमावती विद्या का ज्ञान व प्रयोग करना चाहिये।
* बगलामुखी उपासना पीले वस्त्र पहनकर, पीले आसन पर बैठकर करें।
गंधार्चन मे केसर व हल्दी का प्रयोग करें, स्वयं के पीला तिलक लगायें।
दीप-वर्तिका पीली बनायें,
पीत-पुष्प चढ़ायें, पीला नैवेद्य चढ़ावें,
हल्दी से बनी हुई माला से जप करें, अभाव मे रुद्राक्ष माला से जप करें या सफेद चन्दन की माला को पीली कर लें किन्तु तुलसी की माला पर जप नहीं करें।
महर्षि च्यवन ने इसी विद्या के प्रभाव से इन्द्र के वज्र को स्तम्भित कर दिया था।
आदिगुरु शंकराचार्य ने अपने गुरु श्रीमद्-गोविन्दपाद की समाधि मे विघ्न डालने पर रेवा नदी का स्तम्भन इसी विद्या के प्रभाव से किया था।
महामुनि निम्बार्क ने एक परिव्राजक को नीम के वृक्ष पर सूर्य के दर्शन इसी विद्या के प्रभाव से कराए थे।
इसी विद्या के कारण ब्रह्मा जी सृष्टि की संरचना मे सफल हुए।
श्री बगला शक्ति कोई तामसिक शक्ति नहीं है, बल्कि आभिचारिक कृत्यों से रक्षा ही इसकी प्रधानता है।
इस संसार मे जितने भी प्रकार के दुःख और उत्पात हैं, उनसे रक्षा के लिए इसी शक्ति की उपासना करना श्रेष्ठ होता है।
शत्रु विनाश के लिए जो कृत्या विशेष को भूमि मे गाड़ देते हैं, उन्हें नष्ट करने वाली महा-शक्ति श्रीबगलामुखी ही है।
शत्रुओं को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली तथा समिष्टि रूप मे परमात्मा की संहार शक्ति ही बगला ही है।
यदि एक बार आपने माँ बगलामुखी की साधना पूर्ण कर ली तो इस संसार मे ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है जिसे आप प्राप्त नहीं कर सकते।
! ॐ सुरभ्यै नमः !
Proyog 2
व्यष्ठि रूप में शत्रुओ को नष्ट करने की इच्छा रखने वाली तथा समिष्टि रूप में परमात्मा की संहार शक्ति ही बगला है। पिताम्बराविद्या के नाम विख्यात बगलामुखी की साधना प्रायः शत्रुभय से मुक्ति और वाकसिद्धि के लिये की जाती है।
बगलामुखी साधना : सरल अनुष्ठान विधि
बगलामुखी साधना स्तम्भन की सर्वश्रेष्ट साधना मानी जाती है.यह साधना निम्नलिखित परिस्थितियों में अनुकूलता के लिए की जाती है.:-
शत्रु बाधा बढ़ गयी हो.
कोर्ट में केस चल रहा हो.
चुनाव लड़ रहे हों.
किसी भी क्षेत्र में विजय प्राप्ति के लिए .
सरल अनुष्ठान विधि :-
पीले रंग के वस्त्र पहनकर मंत्र जाप करेंगे .
आसन का रंग पिला होगा.
साधना कक्ष एकांत होना चाहिए , जिसमे पूरी नवरात्री आपके आलावा कोई नहीं जायेगा.
यदि संभव हो तो कमरे को पिला पुतवा लें.
बल्ब पीले रंग का रखें.
ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है,
साधनाकाल में प्रत्येक स्त्री को मातृवत मानकर सम्मान दें
हल्दी या पिली हकिक की माला से जाप होगा, यदि व्यवस्था न हो पाए तो रुद्राक्ष की माला से जाप कर सकते हैं.
उत्तर दिशा की ओर देखते हुए जाप करें.
साधना करने से पहले किसी तांत्रिक गुरु से बगलामुखी दीक्षा ले लेना श्रेष्ट होता है.
पहले दिन जाप से पहले हाथ में पानी लेकर कहे की " मै [अपना नाम लें ] अपनी [इच्छा बोले] की पूर्ति के लिए यह जाप कर रहा हूँ, आप कृपा कर यह इच्छा पूर्ण करें "
पहले गुरु मंत्र की एक माला जाप करें फिर बगला मंत्र का जाप करें.
अंत में पुनः गुरु मंत्र की एक माला जाप करें.
नौ दिन में कम से कम २१ हजार मन्त्र जाप करें. ज्यादा कर सकें तो ज्यादा बेहतर है.
अपने सामने माला या अंगूठी [जो आप हमेशा पहनते हैं ] को रख कर मन्त्र जप करेंगे तो वह मंत्रसिद्ध हो जायेगा और भविष्य मे रक्षाकवच जैसा कार्य करेगा.
ध्यान :-
मध्ये सुधाब्धि मणि मंडप रत्नवेदिम सिम्हासनो परिगताम परिपीत वर्णाम ,पीताम्बराभरण माल्य विभूषिताँगिम देवीम स्मरामि घृत मुद्गर वैरी जिह्वाम ||
मंत्र :-
|| ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखं पदम् स्तम्भय जिह्वाम कीलय बुद्धिम विनाशय ह्लीं फट स्वाहा ||
विशेष :-
बगलामुखी प्रचंड महाविद्या हैं , कमजोर दिल के साधक और महिलाएं व् बच्चे बिना गुरु की अनुमति और सानिध्य के यह साधना न करें.
Proyo3
बगलामुखी mala mantra sidhi Proyog
jo image me hai
इसके प्रयोजन, मंत्र जप, हवन विधि एवं उपयुक्त सामान की जानकारी, सर्वजन हिताय, इस प्रकार है: उद्देश्य: धन लाभ, मनचाहे व्यक्ति से मिलन, इच्छित संतान की प्राप्ति, अनिष्ट ग्रहों की शांति, मुकद्दमे में विजय, आकर्षण, वशीकरण के लिए मंदिर में, अथवा प्राण प्रतिष्ठित बगलामुखी यंत्र के सामने इसके स्तोत्र का पाठ, मंत्र जाप, शीघ्र फल प्रदान करते हंै।

Wednesday, May 9, 2012

Job promotion or advancement in the simple practice to get the legislation


नौकरी मे प्रमोशन या उन्नति पाने हेतु सरल साधना विधान .........


ज्ञान के मार्ग  पर चल   रहा  साधक   सिर्फ  कुछ  बात पर  ध्यान  रखता हैं   की उसे उसके  सदगुरुदेव  द्वारा   क्या  सिखाया   गया हैं  और   ना केबल  शब्दों  से ......बल्किउन्होंने स्वयं अपने  आचरण के  द्वारा  भी ... और दूसरा  तथ्य  की उसे देश  काल और धर्म   के मे  फैले पाखंडो और गलत अवधारणाओ मे  नही फसना हैं बल्कि   उसके  मन  मे    सभी धर्मो के प्रति..उनकी उच्चता  के प्रति ..... आदर   और सम्मान  होना  चाहिये .अगर वह मानता   हैंकि   यह सारा  विश्व  एक   उसी   ब्रह्म शक्ति  से चल रहा हैं.या ब्रह्म  शक्ति मय  हैं , तो फिर  ये  भेदभाव कैसा ..

और साधक  तो  हंस के समान होता हैं केबल मोती चुनता  हैं जो  की सदगुरुदेव  जी ने  ज्ञात या अज्ञात   रूप से उसके  सामने  विखेरे   हैं .  वह किसी भी मार्ग के ...... धर्म  के......  हो सकते  हैं .ज्ञान के  मार्ग मे    भला  कोई अपनी संक्रीनता रख कर आगे बढ़ पाया  हैं .  या तो वह  संक्रीनता  रख ले  या फिर   ज्ञान .....क्योंकि   यह तो कहा नही गया हैं की  केबल ... वह.... वह .... धर्म का ज्ञान  ही ...  सदगुरुदेव का प्रतीक हैं ..यह कह  कर उन  ब्रह्माण्ड पुरुष  को कम करना हो  जायेगा ..वह तो देश  काल  के सीमा  से परे   ब्रम्हांड मय   हैं ब्रह्माण्ड पुरुष  हैं ,

सदगुरुदेव जी ने  स्वयं अपने  देह लीला काल मे   कई बार  इन  मंत्रो को  जो मुस्लिम धर्म  से  जुड़े    हुए रहे हैं उन्हें पत्रिकामे  दिया   और एक शिविर   का आयोजन करने का  भी  दिया   था .और उनके शिष्यों मे  सभी धर्म  के लोग रहे हैं ..यहाँ तक की  अनेको देश के भी  ..उनके ..सदगुरुदेव के  सामने धार्मिक  संक्रीनता  का  स्थान  कभी नही था .
इन  मंत्रो का आधार ऐसी रूहानी ताकते हैं  जो  अग्नि से  उत्पन्न   हुयी हैं , और जो   शुभता युक्त हैं साधक  को  वेसे  ही  आचरण करने  के लिये  कहाँ भी गया हैं  और  साधक करते भी हैं .  और कुछ मंत्र  तो इतने सरल हैं और उनके  विधान भी सरल हैंकि विश्वास ही नही होता  की  ऐसा भी  हो सकता हैं .पर यह सच हैं ..जितनी तीव्रता  से  इन मंत्रो का असर   होता है वह काबिले  तारीफ हैं .

और साधक को तो हर पल अपने ज्ञान की वृद्धि करते  रहना  चाहिये ही ,
हमने इसी कारण  अनेको साधनाए   तंत्र कौमुदी  मे  दी  हैं और हमें  खुशी हैं की  अनेक लोगों ने  उसे किया भी हैं  और लाभान्वित भी हुए हैं ...
आज एक ऐसा  ही  मंत्र   जो की अनेको विवानो से  प्रशंशित रहा हैं ...आपके सामने हैं .

किसी भी नौकरी   मे  प्रमोशन पाने   के लिए  इसका  प्रयोग किया जा सकता  हैं .

विधान सरल हैं   या कहें की लगभग हैं ही  नही बस इतना की   इस मंत्रका  १००  बार जप करना   हैं .और कुछ नही .

मंत्र :
“अल्लाह  मेरे  दम विच

मुहमम्द  सल्लाह  मेरे दम विच

अल्लाह  करम  करेगा

एक घडी  दे  दम विच 

कोइ नियम नही हैं , बस  जब तक कार्य समपन्न न हो जाए   करते जाएँ  ..पर इतना   तो  ध्यान  रखें  की जब भी इन  मंत्रो  का उपयोग करना हो साधक  शारीरिक दृष्टी से  शुद्ध   हो .इस बात  का अर्थ समझे .मतलब स्नान करके  स्वच्छ  जगह  पर  ही करें ....

क्योंकि  इन्  मंत्रो के पीछे   पीर फ़कीर की दुआ   होतीहैं  तो स्वाभाविक हैं की इस बात का   हम भी ध्यान मे   रखे .ऐसा नही  की बाथ  रूम  या अन्य  रात्रि काल मे किसी  क्रिया विशेष के  बाद  अशुद्ध   हालत मे  भी जप करने लग  गए ..क्योंकि अगर आपको   सफलता पाना  हैं तो  भले  ही  प्रक्रिया  सरल  हो.... शुद्धता  तो मागेगी  ही न .****NPRU****