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Friday, February 17, 2012

TOTKA VIGYAN

चाहे कोई प्रयोग कितना भी छोटा या बड़ा हो पर यदि वह आपके जीवन को आरामदायक बनाने में सहयोगी सा होता हैं तो उसे निश्चय ही जीवन में स्थान देना चाहिए . इसी तरह के कुछ प्रयोग आपके लिए ...
1. यदि हर बुधवार , एक पीला केला गाय को खिलाया जाये तो यह धन दायक होता हैं , आवश्यक यह हैं की इस कार्य का प्रारंभ , शुक्ल पक्ष से ही किया जाना चाहिए.
2. यदि धतूरे की जड़ को अपने कमर में बाँध लिया जाये तो यह जो व्यक्ति विशेष स्वपन दोष से पीड़ित हैं उनके लिए लाभदायक होगा.
3. सूर्योदय के पहले किसी भी चोराहे पर जाकर थोडा सा गुड चवा कर थूक दे फिर बिना किसी से बात करे बिना , नहीं पीछे देखे ओरअपने घर आ जाये , आपकी सिरदर्द की बीमारी में यह लाभदायक होगा .
4. अपने व्यापारिक स्थल को यदि वह उन्नति नहीं दे रहा हैं तो एक नीबू लेकर उसे अपने प्रतिष्ठान के चारों ओर घुमाएँ तथा बहार लाकर चार भाग में काट दे ओर फ़ेंक दे. आपकी उन्नति के लिए यही भी लाभदायक होगा.
5. किसी भी शुक्रवार को यदि तेल में थोडा सा गाय का गोबर मिला कर मालिश अपने शरीर की जाये फिर स्नान कर लिया जाये , तो यह व्यक्ति के विभिन्न दोषों को दूर करने में सहयोगी होता हैं .
6. सुबह उठ कर यदि थोडा सा आटा यदि चीटीयों के सामने डाल दे तो यह भी एक पूरे दिन का रक्षाकारक प्रयोग होता हैं .
7. यदि रवि पुष्प के दिन अपामार्ग के पौधे को विधि विधान से उखाड़ लाये ओर फिर तीन माला नवार्ण मंत्र जप करें, इसे पूजा स्थान या अपने व्यापारिक स्थान पर रखे आपके यहाँ धनागम में वृद्धि होगी .
8. परिवार में दोषों को समाप्त करने के लिए कुछ मीठा या मिठाई ओर उसके ऊपर थोडा सा मीठा पानी भी पीपल के वृक्ष की जड़ में अर्पित करे .
9. रविवार के दिन पीपल का वृक्ष नाछुये .
10. यदि व्यक्ति दोपहर के बाद यही पीपल के वृक्ष को स्पर्श करे तो व्यक्ति की अनेको बीमारी स्वतः ही नष्ट होती जाती हैं .
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Every prayog however big or small, if change person life for better than one must apply that, like that ,here some small prayog that will ease your life if applied with faith .
1. 1.each Wednesday , offer a yellow banana to cow this will increase you wealth and that should be start from moon waxing period.
2. Tie black dhaootura root around your waist gives to relief in night fall problem.
3. Before sun rise go to any square and through a little gud after chewing little first ,, and turn back without taking to any one, help to reduces headache.
4. To gain open closed business , taken one nibuu circled all the side of your business promises and after that cut in four piece and through that out.
5. On Friday if any one have massage with oil and little bit cow doung and than have a bath with water all his dosha will be removed.
6. While in the morning when you awake offer some aata( WHEAT FLOUR ) to ant (chiti), this will protect you all round.
7. On ravi pushy day take our chirchitta (apamarg) with full process and chant three round of navarn mantra and place that in your pooja room or your shop , finance incoming will increase.
8. To reduce tension offer some sweet or sweet water/ besan laddu to pepal tree after that add water on that this will very effective totaka.
9. Never touch pepal on Sunday ,
10. One touch pepal tree’s roots every after noon , his incurable illness get vanishes.

Saturday, July 2, 2011

Is dedicated to you

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त्वदीयं वस्तु गोविन्द

परमहंस स्वामी सच्चिदानंद जी से दीक्षा के कई वर्षो बाद जब निखिलश्वेरानंद के सेवा ,एक निष्ठा एवं पूर्ण शिष्यत्व से स्वामी जी प्रभावित हुए तो अक दिन पूछा-निखिल |मैं तुम्हारी सेवा से अत्यंत प्रसन्न हूँ ,तुम जो कुछ भी चाहो मांग सकते हो ,असंभव मांग भी पूरी करूंगा ,मांगो ?निखिलश्वेरानंद एक क्षण तक गुरु चरणों को निहारते रहे ,बोले -"त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पयेत " जब 'मेरा ' कहने लायक मेरे पास कुछ है ही नहीं ,तो मैं क्या मांगू ,किसके लिए मांगू ,मेरा मन ,प्राण ,रोम -प्रतिरोम तो आपका है ,आपका ही तो आपको समर्पित है ,मेरा अस्तित्व ही कहाँ है ?| उत्तर सुनकर कठोर चट्टान सदृश गुरु की आँखे डबडबा गयी और शिष्य को आपने हाथो से उठा कर सीने से चिपका दिया ,एकाकार कर दिया ,पूर्णत्व दे दिया |




शिष्य की व्यक्तिगत कोई इच्छा या आकांक्षा नहीं होती, जब वह मुक्त गुरु के सामने होता हैं, तब सरल बालक की तरह ही होता हैं, गुरु के सामने तो शिष्य कच्ची मिटटी के लौन्दे की तरह होता हैं, उस समय उसका स्वयं का कोई आकर नहीं होता, ऐसी स्थिति होने पर ही वह सही अर्थों में शिष्य बनने का अधिकारी हो सकता हैं. इसीलिए शिष्य को चाहिए की वह जब भी गुरु के सामने उपस्थित हो, तब वह सारी उपाधियों और विशेषताओं को परे रखकर उपस्थित हो, ऐसा होने पर ही परस्पर पूर्ण तादात्म्य सम्भव हैं.शिष्य का अर्थ निकटता होता हैं, और वह जितना ही गुरु के निकट रहता हैं, उतना ही प्राप्त कर सकता हैं, आप अपने शरीर से गुरु के चरणों में उपस्थित रह सकते हैं. यदि सम्भव हो तो साल में तिन या चार बार स्वयं उनके चरणों में जाकर बैठे, क्योंकि गुरु परिवार का ही एक अंश होता हैं, परिवार का मुखिया होता हैं, अतः समय-समय पर उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करना, उससे कुछ प्राप्त करना, शिष्य का पहला धर्म हैं, यदि आप गुरु के पास जायेंगे ही नहीं, तो उनसे कुछ प्राप्त ही किस प्रकार से कर सकेंगे? गुरु से बराबर सम्बन्ध बनाये रखना और गुरु के साथ अपने को एकाकार कर लेना ही शिष्यता हैं.
गुरु आज्ञा ही सर्वोपरि हैं, जब आप शिष्य हैं तो यह आपका धर्म हैं, कि आप गुरु की आज्ञा का पालन करें गुरु की आज्ञा में कोई ना कोई विशेषता अवश्य छिपी रहती हैं. जितनी क्षमता और शक्ति के द्वारा. जितना ही जल्दी सम्भव हो सकें, गुरु की आज्ञा का पालन करना शिष्यता का धर्म मन गया हैं.The Hunger Games
सस्नेह तुम्हारा
नारायण दत्त श्रीमाली.