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Friday, January 6, 2012

Legislative practice simple Trantra


  सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला

मित्रो , बृहद साधना का अपना एक महत्त्व हैं , पर यह भी सच हैं जहाँ पर सुई का काम हैं वहाँ पर तलवार या तोप की क्या जरुरत, ब्लॉग में आपको अनेक लेख बृहद साधना विधान के बारे में मिलते रहते हैं , पर जीवन की आप धापी में कभी कभी समय चाह कर भी नहीं मिलता तो ऐसे समय ...क्या किया जाए , और कभी कभी मन की अवस्था के कारण चाह कर भी उच्च प्रयोग की समय अवधि के कारण उनमे बैठा नहीं जा पाता हैं.

• तो किसी के घर में कोई अलग से कमरा ही नहीं हैं .

• तो किसी के घर वाले ही सहयोग नहीं कर रहे हैं तो वाह चाह कर भी नहीं कर पा रहा हैं .

• तो कोई साधना काल के दौरान करने वाली आवश्यक शारीरिक सुचिता नहीं कर पा रहा हैं

• तो किसी के आस पास कोई ऐसी पवित्रतम जगह नहीं हैं की वह वहां पर जा कर अपनी साधना कर पाए

• तो कोई अपनी उम्रगत समस्या चाहे छोटी या बड़ी के कारण भी नहीं कर पा रहा हैं

• तो कोई इससे से परेशां हैं की उसे साधना की सही प्रक्रिया कैसे की जाये यह मालूम नहीं हैं तो कहीं कुछ उल्टा न हो जाये

• तो कोई आर्थिक समस्या के कारण मन मार कर रह जाता हैं .

इस तरह और भी जीवन की समस्याए तो अपनी जगह हैं .

तो अब से इस लेख माला के अंतर्गत बहुत ही छोटे छोटे प्रयोग हम यहाँ पर ब्लॉग की ओर से देने जा रहे हैं जो की face book पर ही उपलब्ध होंगे . और आप इन छोटे छोटे प्रयोगों को अपने जीवन में जगह देकर कर लाभान्वित हो सकते हैं .

यह प्रयोग बहुत की कम सामग्री या लगभग नहीं पर ही आधारित होंगे और निश्चय ही इसमें कुछ स्त्रोत ... कुछ सरल साबर विधान .... और कुछ महत्वपूर्ण अत्यधिक सरल प्रयोग ..... आपके सामने इस श्रंखला में होंगे , और यदि इन से किसी को भी लाभ पहुँचता हैं तो हमारा प्रयास की हम सफल मानेगे

.और लाभ तो पहुंचेगा ही .

                           
                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-१

आज एक ऐसा ही प्रयोग

किसी भी शुभ दिन से /ग्रहण से / सदगुरुदेव जी का यथाशक्ति पूजन कर हर रोज़ 108 बार इस मंत्र का जप करे , और ऐसा आपको 40 दिन तक करना हैं , मतलब इसे यदि दैनिक पूजन में शामिल कर ले तो कहीं ज्यादा अच्छा होगा उतने दिन तक... और इस 40 दिन की अवधि के बाद यदि आप चाहे तो म...ात्र 11 / 21 बार जप करते जाये . आप पर सदगुरुदेव और भगवती लक्ष्मी की कृपा हमेशा रहेगी और जीवन की नुन्यताये स्वतः समाप्त होगी , क्योंकि कहा गया हैं

लक्ष्मी की स्तुति में कहते हैं " सब कुछ संभव हो जाता मन नहीं घबराता "

1. समय कोई भी या प्रातकाल ज्यादा अच्छा होगा
2. आसन कोई भी रंग का हो या फिर पीला रंग यही बात वस्त्रो की हैं .
3. जप माला यदि कमल गट्टे की हो तो और भी अच्छा होगा
4. और कोई शरीरिक शुचिता के कठोर नियम नहीं हैं ,जैसा संभव हो पाए .

बस अपना रोज़ का मंत्र जप जब समाप्त हो तो सदगुरुदेव जी के श्री चरणों में जप समर्पण करना न भूले ...और इसके पहले एक माला गुरु मंत्र करना तो आपको याद हैं ही .

मंत्र
राम राम क्या करे ,चीनी मेरा नाम ,
सर्व नगरी में बस करूँ मोहू सारा गाँव |
राजा की बकरी करूँ ,नगरी करूँ बिलाई
नीचा में ऊँचा करूँ सिद्ध गोरखनाथ की दुहाई ||

Raam raam kya Karen , chini mera naam ,
Sarv nagri me bs karun ,mohu sara gaon |
Raajaa ki bakri karun , nagri karun bilayi ,
Nichha me unchha karun , siddh gorakhnath ki duhayi ||

आपके जीवन में यह सरल प्रयोग धनागम लाये और प्रसन्नता भी ..... यही उन श्री चरणों में हमारी पूरी टीम की आप सभी के लिए प्रार्थना हैं
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                                 सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-2

आज एक ऐसा ही प्रयोग

सारा विश्व ही दो सामान भागो में बटा हुआ मालूम होता हैं , या यु कहे की हर चीज के दो पक्ष हैं सुख हैं तो दुःख भी हैं , हानि हैं तो लाभ भी हैं , आप किसी एक पक्ष को लेंगे या चुनेगे तो दूसरा मुस्कुराता हुआ आपकी प्रतीक्षा करेगा ही . संपत्ति तो सभी चाहेंगे पर ...विपत्ति को कौन ...

आपके जीवन से विपत्ति तत्व को निकलने के लिए यह एक सरल प्रयोग जो अपने देश के अनेको तंत्र आचार्यो के द्वारा परीक्षित और प्रशंसित हैं
.
आप बाजार से एक पूरा नारियल ले आये मतलब उसके ऊपर पूरी जटा हो (छिला हुआ न हो ) , फिर किसी भी पूजा के सामान की दूकान से लाल रंग का धागा जिसे मौली भी कहा जा ता हैं उसे ले ले . और इस धागे को अपनी शारीर की लम्बाई जितना काट ले. मतलब धागे की लम्बाई और आपके शरीर की लम्बाई एक बराबर हो और इस कटे हुए पूजा के धागे को उस लाये गए नारियल पर अच्छी तरह से लपेट दे .

(गठान बांधने की जरुरत नहीं हैं )

फिर किसी भी बहते पानी के स्त्रोत मतलब साफ़ पानी वाले नदी में इसको प्रवाहित कर दे . और जब यह वह रहा हो तो मन ही मन आप यह सोचे की इसके साथ आपकी समस्याए परेशानी विपत्ति भी आपके पास से इस नारियल की तरह आपसे दूर जा रही हैं .
बस एक बात ध्यान में रखना हैं की इस प्रयोग को करने के लिए रविवार का दिन ही उपयोग करना हैं , मतलब सारा कार्य नारियल खरीदने से लेकर .जो भी.. सब रविवार को करना हैं और इ स प्रयोग को आपको पांच रविवार लगातार करना हैं ,

और मैं आपसे यह निवेदन करना चाहूँगा की इस प्रयोग को करने के पहले यदि सदगुरुदेव का पूजन और उनसे अपने लिए प्रार्थना कर ले और प्रयोग के संपन्न होने पर मतलब हर रविवार को भी तो .... परिणाम आप ही महसूस करेंगे .

आपके जीवन से दुर्भाग्य की ……विपत्ति की छाया हटे यही हमारी पूरी TEAM की आपके लिए शुभ कामना हैं.


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                                 सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-3

आज एक ऐसा ही प्रयोग

मित्रो शारीरिक स्वास्थ्य बनाये रखने में दांतों का अपना ही एक महत्त्व हैं , और आधिन्काश वर्ग दांतों के दर्द की समस्या से जुझता रहता भी हैं. इस दर्द से बचने के लिए लोग कितनी दवाइयां लेते रहते हैं ,
...
साबर प्रयोग में एक प्रयोग बहुत ही सरल पर अत्याधिक प्रभावशाली हैं , बस प्रातः काल जब भी आप मंजन कर रहे हो तब मुंह में पानी भरकर इस मंत्र को सात बार मन ही मन जप ले और कुल्ला कर दे, और यह प्रक्रिया सात बार करना हैं , यदि आप प्रतिदिन यह करते गए तो आप पाएंगे की भविष्य में भी कभी आपको दांतों के दर्द से सामना नहीं करना पड़ेगा , यह बहुत ही अनुभूत प्रयोग हैं .

मंत्र :
काहे रिसियाए हम तो हैं अकेला
तुम हो बत्तीस बार हमजोला
हम लाये तुम बैठे खाओ
अन्तकाल में संग ही जाओ ||

Kaahe risiyaaye ham to hain akela
Tum ho battis baar hamjola
Ham laye tum baithhe khao
Ant kaal me sang hi jao ||

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                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-4

आज एक ऐसा ही प्रयोग
हर साधक , हर व्यक्ति अपने कामो में पूर्णता चाहता ही हैं , और उसके लिए वह प्रयत्न भी करता हैं पर एक से एक समस्याए उसके सामने आती जाती हैं .एक से बचे भी तो दूसरी सामने आकर खड़ी होती हैं ही .. व्यक्ति तोकभी अपनी गलती के लिए परेशां होता ह...ैं तो कभी कभी अकारण कोई सामने वाला उसके लिए परेशानी उत्पन्न करता जाता हैं .
तो आप किसी भी रविवार को एक भोज पत्र ले आये और आपको स्याही के लिए लाल चन्दन का प्रयोग करना हैं, और इस यन्त्र का निर्माण कर ले किसी भी लकड़ी से या अपने हाथो से अंकन कर ले . फिर जब कोई भी यन्त्र बनाया जाता हैं तो आप जानते हैंकि उसकी धुप दीप अगरबत्ती से पूजा तो एक आवश्यक अंग हैं ही फिर इसके बाद इस बने हुए यन्त्र को किसी भी ताबीज़ में भरकर , लाल धागे से ही बांधे.. हाँ यह आवश्यक हैं कि पुरुष वर्ग इसे सीधे हाथ में और महिला वर्ग इसे उलटे हाथ में बांधे..
और आप पाएंगे की आपके कार्यो में जो अनावश्यक रूकावट आ रही हैं वह स्वत ही दूर होती जाएगी .....
 

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                             सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-5

आज एक ऐसा ही प्रयोग

चिंता चिता के समान हैं , पर इस युग में बिना चिंता के जीवन कैसे संभव हैं . एक चीनी दार्शनिक से उसके पास आये एक आगंतुक ने कहा की “मुझे कोई ऐसा रास्ता बताये की जिससे मुझे फिर कभी चिंता कभी न हो” .
...
उसने कहा मुझसे क्यों पूंछते हो .. मैं तो जीवित हु …..पूंछना हैं तो जाकर कब्रिस्तान में जा कर मुर्दों से पूंछो .. ये रहस्य उन्हें ही मालूम हैं क्योंकि उन्हें अब कोई चिंता हैं नहीं .

मानव जीवन होगा तो चिंता तो होगी ही न. पर एक बात थोडा सोचने की हैं की बिना चिंता के हम करेंगे क्या , यह तो हमारी एक भाग हो गयी हैं.. पर एक सीमा से ज्यादा चिंता का होना भी ठींक नहीं हैं . मित्रो यह तो हुयी एक दर्शन की बात ......

पर हमें तो सदगुरुदेव जी ने साधक बनाया हैं हमारी कल्पना भी उन्होंने ऐसे ही की हैं और कल्पना क्या ….हमें उन्होंने अपने स्व रक्त से साधक बनाने के लिए ही सींचा हैं सदगुरुदेव जी ने हमें साधना रूपी अस्त्र दिया हैं ,,जिसके माध्यम से हम ... इस चिंता रूपी शत्रु को समाप्त कर सकते हैं..

जो भी साधनाए दी जाती हैं या दी जा रही हैं या तंत्र कौमुदी में आयी हैं .. आ रही हैं वह सब इस लिए ही तो हैं की हम साधना के माध्यम से चिंता मुक्त हो कर उस उच्चस्तरीय ज्ञान को आत्मसात करने के लिए आगे बढ़ सके ....

पर समयाभाव के कारण परेशां हमारे अपने भाई बहिनों के लिए .... यह एक सरल सा मन्त्र जो आपके श्रद्धा बिस्वास की डोर की सहायता से आपके लिए राहत प्रदान कर देगा ..कोई भी नियम नहीं हैं बस यह की आप इसे चलते फिरते कभी भी जप कर सकते हैं और यदि मन हो तो इसका रोज़ १०८ बार जप आपको निश्चय ही अनुकूलता देगा ही .

ॐ वं वं वं नमो रुद्रेभ्यो क्षरंक्षरांक्षरी स्वाहा ||
Om vam vam vam namo rudrebhyo kshramkshraamkshari swaha ||
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                            सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-6

आज एक ऐसा ही प्रयोग

ऐसा कौन नहीं हैं जीवन में अपनी मनोकामना की पूर्ति सुनकर प्रसन्न न हो जाता हो ,
...
एक लोक कथा हैं ...एक बार एक व्यक्ति को चांस मिला स्वर्ग जाने का और सीधे भगवान् से ही मिलने का ...... वहां जब वह पहुंचा तो उसने देखा...पहले कमरे में ढेरो सामान तरह तरह के खिलोने और पता नहीं क्या क्या .रखा हैं . .. उसने अपने मार्ग दर्शक से पूंछा की इसकी यहाँ क्या जरुरत हैं , उसने कहा लोग जब धरती पर इच्छा मागते हैं तो यहाँ पर वह चीज बना कर भेजने केलिए तैयारी होती हैं .और तब तक वह व्यक्ति इतना भी वेट नहीं कर पाता और दूसरी इच्छा मागने लगता हैं तो ..इसी कारण यह सब यहाँ इकठ्ठा हो गया .
(पोस्टल service पर कमेन्ट न करे ).

मित्रो सदगुरुदेव कहते हैं कि इच्छा तो होनी ही चाहिए ,, और आज हम आपको एक ऐसा सरल सा प्रयोग इस स्तम्भ अंतर्गत रख रहे हैं जो की आपकी इच्छा पूर्ति में सहायक होगा .

बस जप संख्या कम से कम १० माला हैं और कोई भी नियम नहीं चलते फिरते जैसा बने इस मंत्र को करते जाए , निश्चय ही आपकी मनो कामना पूर्ति में बहुत सहायता मिलेगी .

मन्त्र : ॐ हर त्रिपुर हर भवानी बाला राजा प्रजा मोहिनी मम चिंतित फलं देहि देहि भुवनेश्वरी स्वाहा ||
Mantra : om har tripur har bhavani bala raja praja mohini chintit falam dehi dehi bhuvneshri swaha ||
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                              सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-7

आज एक ऐसा ही प्रयोग

मित्रो , अब कौन होगा जिसे या तो शारीरिक समस्या न हो ,,और मानलो कि किसी को नहीं हैं तो मानसिक तो हो गी ही , और हम में से आधिकाश को तो यु कहूँ दोनों थोड़ी थोड़ी सी रहती ही हैं , और

ऊपर से अगर किसी को यह शक हैं की उस पर कोई प्रयोग कराया गया हैं तो बस समझ लीजिये की सब हो गया ,आप कि सारी दलीले एक तरफ .....आप कितना भी समझाओ उसे....... वह नहीं मानने वाला ...कुछ केस में तो यह सही भी होता हैं पर अब हर बात को तांत्रिक प्रयोग मान लिया जाए यह भी तो ठीक नहीं हैं न ...

साधक को जब तक किसी योग्य व्यक्ति से इस बात की सत्यता का पता नहीं चल जाए यु ही भय बीत नहीं होना चाहिए .
.
और मन लीजिये कोई समस्या आ जाती हैं तो सबसे पहले कौन से देव याद आते हैं भारतीय लोगों को...... आप सही हैं भगवान् हनुमान ..
भला “को नहीं जानत जग में कपि सकंट मोचन नाम तिहारो ....”

जब भी ऐसी कोई समस्या हो आप किसी भी पात्र में जल ले ले और निम्न मंत्र से उसे अभिमंत्रित कर ले मतलब इसके दो तरीके हैं एक तो मंत्र जप करते समय अपने सीधे हाथ की एक अंगुली इस जल से स्पर्श कराये रखे या जितना आप को मंत्र जप करना हैं उतना कर ले और फिर पूरे श्रद्धा विस्वास से इस जल में एक फूंक मार दे ..

यह मन में भावना रखते हुए की इस मंत्र की परम शक्ति अब जल में निहित हैं .. और यह सब मानने की बात नहीं हैं अनेको वैज्ञानिक परीक्षणों से यह सिद्ध भी हुआ हैं की निश्चय ही कुछ तो परिवर्तन उच्च उर्जा का जल में समावेश होता ही हैं .

मंत्र :
ॐ नमो हनुमते पवन पुत्राय ,वैश्वानर मुखाय पाप दृष्टी ,घोर दृष्टी , हनुमदाज्ञा स्फुरेत स्वाहा ||

Om namo hanumte pavan putray vaishwanar mukhaay pap dristi ,ghor dristi hanumdaagya sphuret swaha ||

(कम से कम १०८ बार मंत्र जप तो करे ही )

और इस अभिमंत्रित जल को जो भी पीड़ित हैं उ स पर छिडके .. उसे भगवान् हुनमान की कृपा से निश्चय ही लाभ होना शुरू हो जायेगा

और जो भी भाई बहिन यदि इसे रोज करना चाहे उनके जीवन कि अनेको कठिनाई तो स्वत ही दूर होती जाएगी .. तो आवश्यक सावधानी जो की हनुमान साधना में होती हैं वह करते हुए कर सकते हैं .. हाँ महिला वर्ग को भी कोई रोक नहीं हैं वे भी निसंकोच कर सकती हैं . यह धारणा मन से हटा दे की उन्हें कोई रोक हैं ....पर उनके लिए जो आवश्यक सावधानी बताई जाती हैं उसका उन्हें भी पालन करना ही चाहिए ...इस बात का विशेष ध्यान रखे .

और मैं एक बार पुनः पूरी विनम्रता के साथ यह कहूँगा कि की , हम साधक के प्राण तो सदगुरुदेव ही हैं और साधना या प्रयोग कभी भी करे उसमे शुरुआत और अंत में सदगुरुदेव का पूजन अवश्य करे अब यह आप पर हैं की आप मानसिक करते हैं या .....परन्तु करना हमें जरुर हैं क्योंकि सफलता और सिद्धि प्रदान करना और साधना या प्रयोग की भूल चुक को क्षमा करते हुए इस पथ पर आगे बढ़ाना केबल और केबल उन्ही के कर कमलो में हैं .

आज का दिन आप सभी के लिए शुभ दायक हो .
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                                सरल तंत्र साधना विधान सिर्फ आपके लिए .....श्रंखला भाग-8

आज एक ऐसा ही प्रयोग

जितने भी शुभ पक्ष हैं उसमे उन्नति हम सभी चाहते हैं ही . पर सबसे कहीं ज्यादा किसी बात की उन्नति का कहीं फर्क पड़ता हैं तो वह हैं हमारी कार्य क्षेत्र का क्योंकि उसका सीधा सा सम्बन्ध हमारी सामाजिक सम्मान से हैं हमारे कार्य कुशलता से हैं और साथ ही साथ धन क...े और आगमन से हैं ..

और व्यक्ति को लगता हैं की उसका इतने दिन तक श्रम करना सार्थक हो गया ,, और आप जानते हैं ही की जब भी कार्य क्षेत्र में पदोन्नति की बात उठती हैं तो व्यक्ति के मन में कैसा कैसा भाव आता हैं, और जिसको मिल जाती हैं उसके चेहरे की रौनक का तो क्या कहना ........

यु तो यह तथ्य भी किसी न किसी तरह भाग्य से ही जुड़ा हैं

हम इस श्रंखला में भाग्य उन्नति , धन आगमन , और रोग से मुक्ति और मानसिक तनाव से छुटकारे के लिए आप को लगतार ऐसे प्रयोग देते जायेंगे जिनको आप बहुत ही आराम से कर सकते हैं ..

और आज हम आपके सामने ,, भगवान् हनुमान जी से सबंधित एक प्रयोग जो की प्रमोशन से पदौन्नति से संबंध का हैं आपके सामने हैं ..... बस हर दिन इस निम्न मन्त्र का १०८ बार उच्चारण होना चाहिए ही ,

ॐ ह्रीं हनु हनुमन्ते रुद्रात्मकायै हूं फट ||
Om hreem hanu hanumante rudraatmkaayai hoom fat ||

मंत्र जप भगवान् हनुमान जी की कोई भी मूर्ति या मंदिर में करे या किसी भी उनके चित्र के सामने करे . शेष सारे नियम जो भी आप पालन कर सकते हैं करे और निश्चय ही प्रमोशन से सबंध में आने वाली बाधाये दूर होगी ... बस आप मन लगाकर करे तो ......

पर प्रयोग क्यों किया जा रहा हैं यह संकल्प तो हर प्रयोग में एक भाग हमेशा रहेगा मतलब अपना संकल्प जरुर ले ..और पूज्य सदगुरुदेव का आशीर्वाद तो एक आवश्यक तथ्य हैं ही , यह तो अति आवश्यक तथ्य , नियम हैं जो हमें सफलता दिलाता हैं ही

Thursday, January 5, 2012

Short sabar Sadhana साबर प्रयोग



क्या खाना जायदा खा लिया ?क्यी वार मजे मजे में क्यी लोग खाना जायदा खा लेते है जिसे पचाने में दिकत होती है जिस वजह से अफ़ारा बद हज़मी आदि हो जाती है !जो की व्यक्ति को परेशान कर देती है साबर तंत्र में एक बहुत ही सरल प्रयोग है !जिस से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है !आप निम्न मंत्र को दिवाली ग्रहण होली नवरात्रि शिवरात्रि आदि किसी भी शुभ दिन 108 वार जप कर सिद्ध कर ले और जब ऐसी समस्या हो तो इसे पढ़ते हुये पेट पर हाथ फेरे जल्द ही इस समस्या से राहत मिल जाएगी पेट पर हाथ फेरते हुये 5 मिनट करना है प्रयोग के वक़्त !

साबर मंत्र -- ॐ अजर हाथ बजर हाथ भसम कर सभ पेट की भात दुहाई शाह आलम की !!







शिघ्र धन प्राप्ति साबर प्रयोग
मँत्र-ॐ तारत्रि नमः ।ऋद्दी व्रद्दी कुरु कुरु स्वाहा।
शुक्रवार रात 12 बजे के बाद लक्ष्मी जी का पँचौपचार पुजन कर 1188 बार जप करेँ।फिर रौज केवल धुप दीप लगाकर 1188 जप करेँ।शिघ्र उन्नति हौगी।

Thursday, December 15, 2011

sadgurudev chalisa.





गुरु वाणी
तुम्हारा जीवन एक सामान्य घटना नहीं है अक सामान्य चिंतन नहीं है ,तुम्हे यह मनुष्य देह अनायास ही प्राप्त नहीं हो गयी है कितने ही संघर्ष कितने ही गुरु के प्रयास इसके पीछे है,अत: इस जीवन को सहज ही मत लेना |इसका मूल्य समझो और मूल उद्देश्य को जानो |

मुझे अत्याधिक वेदना होती है जब तुम एक निद्रा की सी अवस्था में खोये रहते हो ,तुम भ्रम में पड़े रहते हो तथा वे भ्रम तुम्हे मूल लक्ष्य की और बढ़ने से रोकते है ,मानव जीवन पाकर भी आप खोये हुए हो यह आपका दुर्भाग्य ही है |

अगर ऐसा है तो तुम मेरे शिष्य हो ही नहीं सकते क्योंकि अगर आप मेरे शिष्य है तो आपमें यह क्षमता होनी चाहिए कि आप पशुता से उपर उठ कर मनुष्यता तथा मनुष्यता से उपर उठ कर देवता के स्थान पर पहुँच जाए |

शिष्य वही है जो भोतिकता को भोगे परन्तु आपने मूल उद्देश्य से न डगमगाए |उसकी द्रष्टि हमेशा आपने लक्ष्य पर टिकी रहे |मेरे इच्छा है कि तुम्हे उस उच्चतम स्थिति पर स्थापित कर दूं जहा भारत क्या ,पूरे विश्व में तुम्हे चुनोती देने वाला कोई न हो |

मैं तुम्हारी सभी कमियों को ओढने को तैयार हूँ ,मैं तुम्हारे विष रुपी कर्मो को पचाने के लिए तैयार हूँ क्योंकि तुम मेरे प्रिय हो |तुम मेरे आत्म हो ,तुम मेरे अपने हो ,तुम मेरे हृदय की धडकन हो |

दूसरो की तरह तुम केवल धन ,वैभव ,काम ,ऐश्वर्य में फसे हो क्या यह उचित है |मैंने तो हमेशा तुम्हे संपन्न देखना चाहा है पर आत्म उत्थान की बलि देकर सम्पन्नता प्राप्त करना मेरा उद्देश्य नहीं,अगर तुमने सम्पन्नता प्राप्त कर भी ले और तुम्हारी आध्यात्मिक झोली फटी रह जाए तो सब व्यर्थ है |

तुम्हे आध्यात्मिक धरातल पर उच्चता और श्रेष्ठता की स्थिति तक पहुंचाना चाहता हूँ ,मैं चाहता हूँ फिर तुम जैसा कोई दूसरा अन्य न हो ,तुम हो तो केवल तुम हो |

परन्तु यह स्थिति तभी प्राप्त हो सकेगी जब तुम समर्पण कर दोगे ,मुझमे पूर्ण रूप से एकाकार हो सकोगे ,जब तुम्हारे और मेरे बीच थोड़ी भी दूरी नहीं रहेगी ,जब तुम्हारे कण -कण में गुरु का वास होगा ,जब तुम्हारी हर श्वास में उसी का उच्चारण होगा |
और यह स्थिति प्राप्त करने का सरलतम उपाय है गुरु मंत्र |निरंतर गुरु मंत्र जप द्वारा तुम उस स्थिति को प्राप्त कर सकते हो जबकि गुरु और शिष्य में इंच मात्र की भी दूरी नहीं रहती |ऐसा तुम कर पाओ यही मेरे कामना है |

Wednesday, November 2, 2011

BHAGVATI DHOOMAVATI SADHNA - CHARPAT NATH PRANEET

धूमावती एक एसी महाविद्या है जिनके बारे मे साहित्य अत्यधिक कम मात्र मे मिलता है. इस महाविद्या के साधक भी बहोत कम मिलते है. मूल रूप से इनकी साधना शत्रु स्तम्भन और नाशन के लिए की जाती है. लेकिन इस महाविद्या से सबंधित कई ऐसे प्रयोग है जिनके बारे मे व्यक्ति कभी सोच भी नहीं सकता. चरपटभंजन नाम धूमावती के उच्चकोटि के साधको के मध्य प्रचलित रहा है, चरपट भंजन को ही चरपटनाथ या चरपटीनाथ कहा गया है. चरपटनाथ ने अपने जीवन काल मे धूमावती सबंधित साधनाओ का प्रचुर अभ्यास किया था और मांत्रिक धूमावती को सिद्ध करने वाले गिने चुने व्यक्ति मे इनकी गणना होती है, वे कालजयी रहे है और आज भी वे सदेह है. उनके बारे मे ये प्रचलित है की वह किसी भी तत्व मे अपने आप को बदल सकते है चाहे वह स्थूल हो या सूक्ष्म, जैसे मनुष्य पशु पक्षी पानी अग्नि या कुछ भी. ७५०-८०० साल पहले धूमावती साधना के सबंध मे फैली भ्रान्ति को दूर करने के लिए इस महान धूमावती साधक ने कई ग्रंथो की रचना की जिसमे धूमावतीरहस्य, धूमावतीसपर्या, धूमावती पूजा पध्धति जैसे अत्यधिक रोचक ग्रंथ सामिल है. कई गुप्त तांत्रिक मठो मे आज भी यह ग्रन्थ सुरक्षित है. लेकिन यह साधना पद्धतिया लुप्त हो गयी और जन सामान्य के मध्य कभी नहीं आई. धूमावती अलक्ष्मी होते हुए भी लक्ष्मी प्राप्ति से लेके वैभव ऐश्वर्य तथा जीवन के पूर्ण भोग प्राप्त करने के लिए भी धूमावती साधना के कई विधानों का उन्होंने प्रचार किया था. लेकिन ये साधनाओ को गुप्त रखने की पीछे का मूल चिंतन सायद तब की परिस्थिति हो या कुछ और लेकिन इससे जन सामान्य के मध्य साधको का हमेशा ही नुक्सान रहा है. चरपटभंजन ने जो कई गुप्त पध्धातियो का विकास किया था उनमे से एक साधना एसी भी थि जिसको करने से व्यक्ति अपने सामने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे मे कुछ भी जान लेता है. जैसे की चरित्र कैसा है, इस व्यक्ति की प्रकृति क्या है, इसके दिमाग मे इस वक्त कौनसे विचार चल रहे होंगे? इस प्रकार की साधना अत्यधिक दुस्कर है क्यों जीवन के रोज ब रोज के कार्य मे ऐसी साधनाओ से कितना और क्या विकास हो सकता है कैसे फायदा हो सकता है ये तो व्यक्ति खुद ही समज सकता है. मानसिक शक्तियो के विकास की अत्यधिक दुर्लभ साधनाओ मे यह साधना अपना एक विशेष स्थान लिए हुए है. चरपटनाथ द्वारा प्रणित धूमावती प्रयोग आप सब के मध्य रख रहा हू.


इस साधना को करने से पूर्व साधक अपने स्थान का चुनाव करे. साधक के साधना स्थल पर और आसान पर साधक की जब तक साधना चले कोई और व्यक्ति न बैठे. इस साधना मे साधक को ११ माला मंत्र जाप एक महीने (३० दिन) तक करना है. माला काले हकीक की रहे. वस्त्र काले रहे. समय रात्रि काल मे ११ बजे के बाद का हो. धूमावती का यन्त्र चित्र अपने सामने स्थापित करे. तेल का दीपक साधना समय मे जलते रहना चाहिए.


यन्त्र चित्र का पूजन कर के विनियोग करे

विनियोग: अस्य श्री चरपटभंजन प्रणित धूमावती प्रयोगस्य पूर्ण विनियोग अभीष्ट सिद्धियर्थे करिष्यमे पूर्ण सिद्धियर्थे विनियोग नमः

इसके बाद निम्न मंत्र का ११ माला जाप करे

ओम धूमावती करे न काम, तो अन्न हराम, जीवन तारो सुख संवारो, पुरती मम इच्छा, ऋणी दास तमारो ओम छू




मंत्र जाप के बाद साधक धूमावती देवी को ही मंत्र जाप समर्पित कर दे.
ये अत्यधिक दुर्लभ विधान सम्प्पन करने के बाद व्यक्ति यु कहा जाए की अजेय बन जाता है तो भी अतिशियोक्ति नहीं होगी.
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Dhoomavati is one of such mahavidhya about which least literature could be obtained. The sadhak of this mahavidya is also least. Basically her sadhana is done to prevent from enemy or to finish them. But in relation to this mahavidya there are so many such prayoga which are un-imaginable. The name ‘Charpat Bhanjan” has remained famous among highly accomplished sadhak of dhoomavati, charpat bhanjan have also been named charpat nath or charpatinath. Charapat nath have studied deeply majority sadhanas of the dhumavati in his life and among few, he holds a place who accomplished mantrik dhoomavati. He has remained deathless and he is in his actual body today even. It is famous about him that he was able to transform himself in any tangible or intangible element like human, animal, water, fire or anything else. Before 750-800 years this great sadhak of dhoomavati created scriptures to remove misunderstandings related to dhoomavati including few fantastic works like dhoomavatirahashya, dhoomavatisaparya, dhoomavatipoojapadhhati. In many secret tantric places these scriptures are safe currently even but the ritual processes have gone extinct and did not come in front of general people. Though being Alakshmi there were so many processes which were made famous by him to have wealth, to generate prosperity and complete house-holding happiness. But to make these processes secret could be circumstances of that time or may be anything else but it have always been a big loss for material sadhaka. The sadhanas developed by charpat bhanjan includes one of the sadhana through which if done by a person can have a power to understand the personality of the person or to know anything about them like character, nature aur what thoughts are going on currently in that person’s mind. Sadhana like this are really very rare. Because with such sadhana what development and benefit one can generate in day to day life could be understand very simply. This sadhana holds a special place in rare sadhana which are meant for the development of the mind powers. I am sharing that charpatnath pranit dhoomavati prayoga.


Before starting this sadhana, sadhak should select their place for sadhana. There should be no one to sit on the aasan or the place of sadhana till the time sadhana days are going on. In this sadhana shadhak needs to do 11 rosary of mantra daily for one month (30 days). Rosary should be black hakeek. Cloth should be black. Time should be after 11 Pm in night. Establish dhoomavati yantra and picture infront of you. Lamp of the oil should keep on burning during sadhana time. Do viniyoga after yantra and picture poojan.

Viniyog: asy shri charapatbhanjan pranit dhoomavatee prayogasy purn viniyog abhisht siddhiyarthe karishyame purn siddhiyarthe viniyog namah

After this chant 11 rounds of the following mantra.

Om dhoomavatee kare na kaam, to ann haraam, jivan taro sukh sanvaaro, purati mam icchha, runi daas tamaaro om chhoo

After mantra chanting offer the chantings to the goddess dhoomavati.
It is not even more if we say that after completing this rare procedure a sadhak becomes invincible.

Goddess Saraswati Sulemani Sadhana

Goddess Saraswati Sulemani Sadhana

सुलेमानी सरस्वती साधना --
इस साधना के कई लाभ है जहाँ जे साधक को एक नये ज्ञान से जोडती है वही उसे पैसे अदि की कमी नहीं आने देती लोटरी अदि में विजय दिलाती है और उसे आने वाले समय से भी अवगत कराती है यह मेरी स्व की और कई साधको दुयारा परखी हुई है!यह आपके जीवन को एक नई सेध देती है इसे करना भी आसन है और सामग्री की भी सवर साधनायो में इतनी जरूरत नहीं होती बस जरूरत है तो पवित्रता की !
विधि -- सर्व पर्थम इशनान करके सफेद वस्त्र पहने और पशिम दिशा की तरफ मुख करके एक सफेद बस्तर विशा दे और आगे तिल के तेल का दिया लगा दे लोवान का धूफ दे सुघदित इतर छिडक दे और सफेद चमेली के फूल पास रखे ना मिले तो काली मोतिया भी रख सकते है अगर वोह भी ना मिले तो की भी सफेद कली ले ले जो दिए के पास रखे थोरे सत्हब को गोबर से लीप के उस जगा दिया लगा दे अगर स्थान पका हो तो उसे जल जा दूध से धो ले भोग कर लिए सफेद रंग की बर्फी जा पेडे ले सकते है !साधना की दिशा पशिम रहेगी और जप संख्य एक माला !माला सफेद हक़ीक किले सकदे है !जा एक सो एक वार जप कर ले !
जप काल में कई अनुभुतिया हो सकती है अपने मन को सथिर रखे किसी भी परकार की आवाज सुने तो मत बोले जब साधना पूरी हो जाये तो बात करे और अपनी अभिलाषा व्यक्त करे !यह एक तीक्षण साधना है इस लिए शुरू तभी करे अगर पूरी करनी हो!इस साधना में कई पर्ताक्ष अनुभव होते है कई वार सफेद वस्त्रो में कई लोग भी जो इस लाइन को मानते है दिख जाते है !अगर कोई दिक्त य़ा रही हो तो मुझे मेल कर सकते है मुझे आपकी मदद कर के ख़ुशी होगी आप पुरे मन से करे आपके लिए यह साधना नये आयाम पैदा करेगी !

साबर मंत्र ---
बिस्मिला घट में सृस्ती जुबाह पे तालीम ,
सिर पे पंजा पीर उस्ताद का साबित रख यकीन !
मुहम्द दे रसूल अला मरे जिन्दे फकरो को ऐश करन ला !
य़ा करीमा कर्म कर कर्म कर इलाही,
मुहम्द कल की बात बता दे मुहम्द तेरी पातशाही !

इस मन्त्र का जप पुरे मन से करे १०१ वार जा एक माला जप पर्याप्त है !आशा है आपके जीवन में यह साधना जरुर बदलाव लाएगी !
जय गुरुदेव !

aap kali jo sfed rang ke phool hote hai voh le sakte hai pujan ke liye,aur thori jagah ko gye ke gobar se leep kr us mein diya lagan hai.