Prem Anand Ji
प्रिय आलोचक महोदय,
आपने गुरुदेव के बारे में बहुत सुन्दर लिखा है, किस खूबसूरती से तुमने सत्य को असत्य कहने का प्रयास किया है...इससे ये तो पता चल ही गया कि तुम वास्तव में ही उच्चकोटि के धूर्त हो.... मुझे पढकर बहुत आनन्द आया.... तुम्हारी सिद्धि और समझ की भी जानकारी मुझे एक ही पल में मिल गई! क्या आपने जो साधनाए प्रकाशित की है वो सब आपको सिद्द है? यदि हां तो मै आपका शिष्य बनने के लिए तैयार हूँ...मैंने अपने गुरु की दस साल सेवा की है, मै आपकी बीस साल करूँगा...पर जो कुछ भी मुझे मेरे गुरु ने बनाया है और दिखाया है क्या तुम मुझे वो दिखा सकते हो!
अब फेसला मेरे और तुम्हारे बीच में नहीं हजारों लोगो के बीच में होगा, चेलेंज में दम होना चाहिए ...मै जान की बाजी लगाकर खेलूंगा ...मंजूर हो तो जबाब देना...यदि सिद्धाश्रम देखने की इच्छा हो तुम्हे मेरे साथ अपनी जान की बाजी लगानी होगी! सब कुछ त्यागना होगा ...मेरे साथ फकीरी धारण करनी होगी ....और गुरु चरणों में समर्पित होना होगा....मै भी अपना सब कुछ त्याग कर चलूँगा....और कभी ना लोटने के लिए चलूँगा! मै आपसे इतना ही पूछना चाहता हूँ...कि क्या आपको शास्त्र ज्ञान के अलावा भी कुछ है? जैसे आत्मज्ञान...सत्य का ज्ञान या बोध आदि ...
आपके चरणों का तुच्छ सेवक---स्वामी प्रेम आनन्द
प्रिय आलोचक महोदय,
आपने गुरुदेव के बारे में बहुत सुन्दर लिखा है, किस खूबसूरती से तुमने सत्य को असत्य कहने का प्रयास किया है...इससे ये तो पता चल ही गया कि तुम वास्तव में ही उच्चकोटि के धूर्त हो.... मुझे पढकर बहुत आनन्द आया.... तुम्हारी सिद्धि और समझ की भी जानकारी मुझे एक ही पल में मिल गई! क्या आपने जो साधनाए प्रकाशित की है वो सब आपको सिद्द है? यदि हां तो मै आपका शिष्य बनने के लिए तैयार हूँ...मैंने अपने गुरु की दस साल सेवा की है, मै आपकी बीस साल करूँगा...पर जो कुछ भी मुझे मेरे गुरु ने बनाया है और दिखाया है क्या तुम मुझे वो दिखा सकते हो!
अब फेसला मेरे और तुम्हारे बीच में नहीं हजारों लोगो के बीच में होगा, चेलेंज में दम होना चाहिए ...मै जान की बाजी लगाकर खेलूंगा ...मंजूर हो तो जबाब देना...यदि सिद्धाश्रम देखने की इच्छा हो तुम्हे मेरे साथ अपनी जान की बाजी लगानी होगी! सब कुछ त्यागना होगा ...मेरे साथ फकीरी धारण करनी होगी ....और गुरु चरणों में समर्पित होना होगा....मै भी अपना सब कुछ त्याग कर चलूँगा....और कभी ना लोटने के लिए चलूँगा! मै आपसे इतना ही पूछना चाहता हूँ...कि क्या आपको शास्त्र ज्ञान के अलावा भी कुछ है? जैसे आत्मज्ञान...सत्य का ज्ञान या बोध आदि ...
आपके चरणों का तुच्छ सेवक---स्वामी प्रेम आनन्द
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