पूरे देश के लोग मुझे सुनते हैं चाहे किसी भी भाषा को बोलने वाले क्यूँ न हों l सब समझते हैं मेरी बात l तो तुम ये न जानो कि मैं किसी को समझा नहीं सकता l जब मेरे बच्चे निकल पड़ेंगे तो तुम्हारी बुद्धि फेल हो जाएगी l तब समझ ही नहीं आएगा कि क्या सही और क्या गलत l जिसे पीछे लगना है वो मेरे पीछे लग चुका है l मेरा सारा काम हो रहा है l कोई इसे रोक नहीं सकता l l तुम्हारा बना कुछ नहीं, बिगड़ जरुर गया l मैं अपनी संख्या पूरी कर लूँगा l तुम क्या समझते हो मेरे जीवों को तोड़कर अपना बना लोगे l अरे! काल का ग्रास तो तुम्हें बनना ही होगा l अब बहुत हो गया l तुमने जो करना था कर लिया l अब मैं करूँगा l
मेरे अपने बच्चे मेरे साथ हैं और मेरा काम कर रहे हैं l अब ये बोध में आ चुके हैं l इन्हें बच्चा समझने की भूल मत करना l इनके पास वो अपार शक्ति है जो ऊपर से आती है l
मेरे सत्संग वचनों को तुमने बहुत सुना किन्तु गुना नहीं l यदि एक भी वचन ढंग से पकड़ लेते तो आज गिरते नहीं l खुद को बड़ा ऊंचा जीव समझते हो , कुछ दिखाई सुनाई तो देता नहीं l अहंकार में दूसरे की सुनते नहीं l अब तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता l जब घमंड छोड़ोगे तभी कुछ समझ आएगा l जो साधक हैं वो सब जानते हैं l वो तुम्हें भेद बता सकते हैं , मुझसे मिलवा सकते हैं l साधकों की सुनने के लिए दीनता जरूरी है l दीनता होगी तो उनसे पूछ लोगे , नहीं तो घमंड में बैठे रह जाओगे l अब आगे तुम जानो तुम्हारा काम जाने l
मेरे गुरु महराज ने इसी समय के लिए कहा था कि पीछे मुड़कर नहीं देखना l कोई गिर जाएगा तो अब उसे उठाने का वक़्त नहीं है l
सच्ची साधना में लगे रहो l अभी काम आगे बहुत करना है l जो नए लोग आयेंगे उन्हें बताना समझाना है l जो नए हैं वो कर ले जायेंगे ,पुराने अपने को पुराना समझ बैठे ही रहेंगे
अब मेरे पास वक़्त ज्यादा नहीं है l तुम लोगों को लग कर काम करना होगा l मेरी बात को ध्यान से सुनना l संकेत तो मैं बहुतों को देता हूँ पर सब बुद्धि लगाते हैं इसलिए कुछ समझ नहीं पाते l जब समर्पण का भाव होगा तो धीरे धीरे सब समझ आ जायेगा l
मैं कोई शरीर नहीं हूँ , न ही तुम लोग मेरे लिए शरीर हो l तुम तो वो सुरतें हो जिन्हें मैंने कई जन्मों से अपने साथ जोड़ रखा है l तुम्हें शरीर देता रहा ताकि तुम उससे अपना काम कर सको l मेरे लिए मेरा शरीर सिर्फ एक मर्यादा है , तुम्हारे समीप रहने का l मेरे शरीर से प्रेम मत करो, मुझसे करो , वैसे ही जैसे मैं अपनी सुरतों से करता हूँ l तुम सब मेरे बच्चे हो l जब मेरे जीवों को कष्ट होता है तो मुझे दुःख होता है l मैं चाहता हूँ तुम्हारा कष्ट सदा के लिए मिट जाए और तुम अपने धाम चले जाओ l
सतगुरु के मिलने के लिए तड़प जरुरी होती है जिन्हें तड़प होती है वो मुझतक पहुँच ही जाते हैं l मार्ग मैं बना देता हूँ l अब भी संभल जाते हो तो ये मदद कर देंगे l बाद में पछताना पड़ेगा l समय रहते काम कर लो तो अच्छी बात है l तुम्हारा भी काम हो जाएगा और मेरा भी l तुम तो सिर्फ दिखावा करते हो l भाव एक कौड़ी का नहीं और चाहते हो घर बैठे सब मिल जाए l ऐसा नहीं होता l वो तुम्हारी मेहनत लगन और भाव के बदले ही कुछ देता है l मुझे तो अपना काम करना ही है , तुम नहीं कोई और सही पर अब काम रुकने वाला नहीं है l
जिसने जिसने जो भविष्यवाणीयां की वो सब मैंने काट दी l तुम सोचते हो मेरी नक़ल कर कुछ पा लोगे तो वो संभव नहीं l अब मैं ऐसा नहीं होने दूंगा l जब आऊंगा तो विश्व हिलाकर रख दूंगा l तब समझ जाना मेरा काम चरम पर है l मेरे ये बच्चे बहुत शक्तिशाली हैं l जो खून इनकी रगों में दौड़ रहा है वो गरम है l इसी गर्म जोशी में सब काम कर ले जायेंगे l जब तुम पीछे रह जाओगे तब तुम्हें दुःख होगा l याद आएगा कि इसने बताया समझाया था |
श्री सदगुरुजी चरनार्पणमस्तू
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