NARAYAN MANTRA SADHANA VIGYAN, GURUDHAM JODHPUR
"गुरु"
गुरु इस दुनिया का वह तत्व है,जो जीवन को संवारता है...दिशा और दृष्टि देता है
शरीर का निर्माण माँ की कोंख में हो जाता है पर जीवन का निर्माण सदगुरू के चरणों में होता है।
गुरु वह कुंभकार है,जो शिष्य रूपी मिट्टी को मंगल कलश का आकार देता है।
गुरु वह माली है,जो शिष्य रूपी बीज को बरगद में बदल देता है।
गुरु वह महाशिल्पी है,जो शिष्य रूपी पाषाण को तराशकर सुन्दर प्रतिमा का आकार देता है।
गुरु आशाओं का सवेरा है...दुःखो का सूर्यास्त है...ज्ञान की पहली उजली किरण है।
आपके पास Car,A.C.,Banglow,Freeze,T.V., नही होंगे तो चलेगा पर गुरु नही है तो नही चलेगा ।
स्वजन-परिजन यदि रूठ जाए तो टेंशन मत लेना पर यदि गुरु रूठ जाए तो किसी भी कीमत पर राज़ी कर लेना क्योंकि जिससे गुरु रूठ जाते है,उससे प्रभु भी रूठ जाते है।
गुरु कौन है ?
* जिनके पास बैठने से विकार समाप्त हो ।
* जहाँ मन को परम शान्ति मिले ।
* जो चित्त के कालुष्य को दूर कर के पवित्र बना दे।
* जो लोभ,भय और राग-द्वेष से मुक्त हो।
* तनाव,चिन्ता और उद्वेग से मुक्ति पाने का एक मात्र स्थान है - गुरु की चरण
चलते फिरते तीर्थ अगर कोई है तो वह है- गुरु
जिनके जीवन में गुरु नही,उनका जीवन शुरू नही
गुरु अनंत उपकारी है
अनंत ज्ञानी है
सरल स्वभावी ह
ऐसे गुरुदेव के चरणों में शत् शत् नमन..
गुरु इस दुनिया का वह तत्व है,जो जीवन को संवारता है...दिशा और दृष्टि देता है
शरीर का निर्माण माँ की कोंख में हो जाता है पर जीवन का निर्माण सदगुरू के चरणों में होता है।
गुरु वह कुंभकार है,जो शिष्य रूपी मिट्टी को मंगल कलश का आकार देता है।
गुरु वह माली है,जो शिष्य रूपी बीज को बरगद में बदल देता है।
गुरु वह महाशिल्पी है,जो शिष्य रूपी पाषाण को तराशकर सुन्दर प्रतिमा का आकार देता है।
गुरु आशाओं का सवेरा है...दुःखो का सूर्यास्त है...ज्ञान की पहली उजली किरण है।
आपके पास Car,A.C.,Banglow,Freeze,T.V., नही होंगे तो चलेगा पर गुरु नही है तो नही चलेगा ।
स्वजन-परिजन यदि रूठ जाए तो टेंशन मत लेना पर यदि गुरु रूठ जाए तो किसी भी कीमत पर राज़ी कर लेना क्योंकि जिससे गुरु रूठ जाते है,उससे प्रभु भी रूठ जाते है।
गुरु कौन है ?
* जिनके पास बैठने से विकार समाप्त हो ।
* जहाँ मन को परम शान्ति मिले ।
* जो चित्त के कालुष्य को दूर कर के पवित्र बना दे।
* जो लोभ,भय और राग-द्वेष से मुक्त हो।
* तनाव,चिन्ता और उद्वेग से मुक्ति पाने का एक मात्र स्थान है - गुरु की चरण
चलते फिरते तीर्थ अगर कोई है तो वह है- गुरु
जिनके जीवन में गुरु नही,उनका जीवन शुरू नही
गुरु अनंत उपकारी है
अनंत ज्ञानी है
सरल स्वभावी ह
ऐसे गुरुदेव के चरणों में शत् शत् नमन..
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