Tuesday, October 2, 2012

tumhi tum ho bas

SADGURU and MATA JI ki Jay ho...
♥ ♥ ♥
तुम्ही हो, तुम्ही बस 
मेरा जीवन तुम्ही हो 
मेरे प्राणों के दाता , जीने की वजह तुम 
तेरे ममता के सागर से निखरी मैं सवरी 
मेरी राग-राग में तुमको पाने की लगन है

मेरे पल -पल में तुमको मैं महसूस करती
तुम्ही हो, तुम्ही बस
मेरा जीवन तुम्ही हो

ना भूली वो मौसम ना मंज़र ना लम्हे
ना संगी थे कोई ना साथी ना अपने
अकेले खड़ी थी तुम्ही ने संभाला
वो पल जो मिले थे उन्ही से मैं सीखी
यह दुनिया दिखाई मुझे सब सिखाया
वो ममता के सागर से मुझको सवारा

तुम्ही हो, तुम्ही बस
मेरा जीवन तुम्ही हो
♥ ♥ ♥


by 




Baglamukhi: interesting facts


Baglamukhi: interesting facts by Gurudev (Dr. Narayan Dutt Shrimali)


Gurudev's experience when he did Baglamukhi Sadhna during his sanyas days. Further he also reveals some interesting facts about Maa Baglamukhi

Truth behind Maa Saraswati??


Truth behind Maa Saraswati?? by Gurudev (Dr. Narayan Dutt Shrimali)

Gurudev shatters all myths about Maa Saraswati in his pravachan. First time he throws light on who is Maa Saraswati and her significance in our lives 

We can not assess the value of living personalities?

We can not assess the value of living personalities?
WHY? " हम जीवित व्यक्तित्व का मूल्य आंक ही नही सकते |"

यह कैसे विडम्बना है की जब कोई महापुरुष जीवित होता है तब लोग उसे प्रताड़ित करते है ,उसकी आलोचना करते है |श्री कृष्ण को उनके जीवन काल में अपमान का सामना करना पड़ा ,गालिया खानी पड़ी ,एक से बढ़कर एक षड्यंत्र उनके खिलाफ रचे गए | लोगो ने कहा यह ग
्वाला चोर है ,उन पर मणि चोरी का इल्जाम लगा ,उन्हें रणछोड कह कर बुलाया गया |आज उनके जाने के इतने समय बाद हम अहसास करते है की वह एक उच्च कोटि का व्यक्तित्व था ,योगीश्वर था ,गीता जैसे ग्रन्थ का रचियता था | आज उनके जाने के इतने वर्षो बाद हम चाहते है की काश हम उनके पास रह पाते | क्योंकि हम मुर्दा पूजक है ,मुर्दा लोगो के पूजा करते है ,उनका श्राद्ध करते है |जब तक माता-पिता जीवित होते है ,हम उनकी आलोचना करते है ,उनका ख्याल नही रखते | जब वो मर जाते है तो उनका श्राद्ध करते है ,उन्हें खीर बना कर खिलाना चाहते है |

शंकराचार्य ,ईसामसीह ,मुहम्मद साहब ,सुकरात सभी के साथ उनके शिष्यों ने यही तो किया | ईसामसीह को सूली पर टांग दिया गया, सुकरात को जहर पीने के लिए बाध्य किया गया ,शंकराचार्य को उनके ही शिष्य ने कांच घोटकर पिला दिया |क्या हम इतिहास में हुई गलतियों से सीख नही ले सकते ?क्या हम वैसे शिष्य नही बन सकते जैसा गुरुदेव चाहते है ? सदगुरुदेव निखिल हमेशा कहते रहे है की शंकराचार्य के मृत्यु के समय शब्द थे की ," शिष्य बहुत घटिया शब्द है ",मैं शंकराचार्य के इस वाक्य को गलत सिद्ध करना चाहता हूँ | मैं आप लोगो के माध्यम से यह सिद्ध कर देना चाहता हूँ कि शिष्य एक उच्च कोटि का शब्द है , भाव है |

सदगुरुदेव डा. नारायण दत्त श्रीमाली जी से मैंने दीक्षा ली है |तब भी मैंने देखा है कि लोग उनकी आलोचना करते थे ,उन्हें गालिया देते थे ,उनके खिलाफ लोगो को भड़काते थे | आज वही लोग उनकी याद में रोते है और कहते है कि बहुत महान व्यक्तित्व था |आज लोगो का ऐसा व्यवहार त्रिमूर्ति गुरुदेव के प्रति देखने को मिल रहा है | वैसे ही उन्हें भला बुरा कहना ,उनकी आलोचना करना ,लोग आज भी उसी तरह से है कोई बदलाव नही आया यह देख कर बहुत दुःख होता है | 

क्या हम गुरुदेव के सिद्धाश्रम जाने के बाद ही उन्हें समझ पायेंगे ,क्या उनके साक्षात होने का ,उनके चरणों में बैठने का लाभ नही उठा सकते ? जैसे सदगुरुदेव निखिल सिद्धाश्रम चले गए है वैसे ही एक दिन जब गुरुदेव सिद्धाश्रम चले जायेंगे तब शायद हमे अहसास होगा कि हमने क्या खो दिया है | सदगुरुदेव निखिल ने बिलकुल सही कहा है कि " हम जीवित व्यक्तित्व का मूल्य आंक ही नही सकते |"

मेरे बारे में इससे श्रेष्ठ और कुछ नहीं हो सकता हैं कि मैं उस समुद्र की एक बूंद हूँ, जिस समुद्र का नाम "परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद जी महाराज (सदगुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली जी" हैं. कुछ कागज के नोटों को कमाना, कुछ कंकड़-पत्थर को जमा कर

ना उन्होंने अपने शिष्यों को नहीं सिखाया. अपितु उन्होंने अपने शिष्यों को उत्तराधिकार में दिया : "प्रहार करने की कला - ताकि वे इस समाज में व्याप्त ढोंग और पाखण्ड पर प्रहार कर सके....... ..... और दे सके प्रेम, ताकि वे दग्ध हृदयों पर फुहार बनकर बरस सके, जलते हुए दिलों का मरहम बन सके, बिलखते हुए आंसुओं की हंसी बन सकें, छटपटाते हुए प्राणों की संजीवनी बन सकें." गुरुदेव चरणों में बैठने का सौभाग्य प्राप्त हुआ....... जो मेरे जीवन की सर्वश्रेष्ठ और अनमोल निधि हैं.... आज भी उनके चरणों की, उनके सानिध्य की कामना करता हूँ....... ....... .............. क्यूंकि जीवन का सौभाग्य यही हैं की मनुष्य इस जीवन में गुरु को प्राप्त करे.
मेरे प्रिय डॉ नारायण दत्त श्रीमाली....

talks about Sishya Dharm by Dr. Narayan Dutt Shrimali




what is paap by Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali ji

what is paap by Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali ji
what is paap  and how end this Paap karm...

Shiv Poojan and Aarti by Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali ji

Shashtrokt shivling poojan and aarti done by Gurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali ji (Part 1 of 5)