Saturday, July 22, 2017

navarna and navdurga mantra sadhan

navarna and navdurga mantra sadhan  नवार्ण और नवदुर्गा मंत्र साधना.
दुर्गा पूजा शक्ति उपासना का पर्व है। नवरात्र में मनाने का कारण यह है कि इस अवधि में ब्रह्मांड के सारे ग्रह एकत्रित होकर सक्रिय हो जाते हैं, जिसका दुष्प्रभाव प्राणियों पर पड़ता है। ग्रहों के इसी दुष्प्रभाव से बचने के लिए नवरात्रि में दुर्गा की पूजा की जाती है।दुर्गा दुखों का नाश करने वाली देवी है। इसलिए नवरात्रि में जब उनकी पूजा आस्था, श्रद्धा से
की जाती है तो उनकी नवों शक्तियाँ जागृत होकर नवों ग्रहों को नियंत्रित कर देती हैं। फलस्वरूप प्राणियों का कोई अनिष्ट नहीं हो पाता। दुर्गा की इन नवों शक्तियों को जागृत करने के लिए दुर्गा के 'नवार्ण मंत्र' का जाप किया जाता है। नव का अर्थ नौ तथा अर्ण का अर्थ अक्षर होता है।
मां दुर्गा के नवरुपों की उपासना निम्न मंत्रों के द्वारा की जाती है. प्रथम दिन शैलपुत्री की एवं क्रमशः नवें दिन सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है -
1. शैलपुत्री
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥
2. ब्रह्मचारिणी
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू ।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ॥
3. चन्द्रघण्टा
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता ।
प्रसादं तनुते मह्यां चन्द्रघण्टेति विश्रुता ॥
4. कूष्माण्डा
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च ।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥
5. स्कन्दमाता
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ॥
6. कात्यायनी
चन्द्रहासोज्वलकरा शार्दूलवरवाहना ।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी ॥
7. कालरात्रि एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना
खरास्थिता ।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी ॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा ।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी ॥
8. महागौरी
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः ।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा ॥
9. सिद्धिदात्री
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥
कैसे करें मंत्र जाप :-
नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन संकल्प लेकर प्रातःकाल स्नान करके पूर्व या उत्तर दिशा कि और मुख करके दुर्गा कि मूर्ति या चित्र
की पंचोपचार या दक्षोपचार या षोड्षोपचार से पूजा करें।
शुद्ध-पवित्र आसन ग्रहण कर रुद्राक्ष, स्फटिक, तुलसी या चंदन कि माला से मंत्र का जाप १,५,७,११ माला जाप पूर्ण कर अपने कार्य उद्देश्य कि पूर्ति हेतु मां से
प्राथना करें। संपूर्ण नवरात्रि में जाप करने से मनोवांच्छित कामना अवश्य पूरी होती हैं। उपरोक्त मंत्र के विधि-विधान के अनुसार जाप करने से मां कि कृपा से व्यक्ति को पाप और कष्टों से छुटकारा मिलता हैं और मोक्ष प्राप्ति का मोक्ष प्राप्ति का मार्ग सुगम प्रतित होता हैं।
नवार्ण मंत्र महत्व:-
माता भगवती जगत् जननी दुर्गा जी की साधना-उपासना के क्रम में, नवार्ण मंत्र एक ऐसा महत्त्वपूर्ण महामंत्र है | नवार्ण अर्थात नौ अक्षरों का इस नौ अक्षर के महामंत्र में नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति है, जिसके माध्यम से सभी क्षेत्रों में पूर्ण सफलता प्राप्त की जा सकती है और भगवती दुर्गा का पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है यह महामंत्र शक्ति साधना में सर्वोपरि तथा सभी मंत्रों-स्तोत्रों में से एक महत्त्वपूर्ण महामंत्र है। यह माता भगवती
दुर्गा जी के तीनों स्वरूपों माता महासरस्वती, माता महालक्ष्मी व माता महाकाली की एक साथ साधना का पूर्ण प्रभावक बीज मंत्र है और साथ ही माता दुर्गा के नौ रूपों का संयुक्त मंत्र है और इसी महामंत्र से नौ ग्रहों को भी शांत किया जा सकता है |
नवार्ण मंत्र-
|| ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे ||
नौ अक्षर वाले इस अद्भुत नवार्ण मंत्र में देवी दुर्गा की नौ शक्तियां समायी हुई है | जिसका सम्बन्ध नौ ग्रहों से भी है |
ऐं = सरस्वती का बीज मन्त्र है ।
ह्रीं = महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है ।
क्लीं = महाकाली का बीज मन्त्र है ।
इसके साथ नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज ” ऐं “ से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है, जिस में सूर्य ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है |
नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज ” ह्रीं “ से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी
की उपासना की जाती है, जिस में चन्द्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है|
नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज ” क्लीं “ से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना की जाती है, जिस में मंगल ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है|
नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज ” चा “ से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की
उपासना की जाती है, जिस में बुध ग्रह
को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई
है |
नवार्ण मंत्र के पंचम बीज ” मुं “ से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना की जाती है, जिस में बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है|
नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज ” डा “ से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना की जाती है, जिस में शुक्र ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है |
नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज ” यै “ से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की
उपासना की जाती है, जिस में शनि ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है |
नवार्ण मंत्र के अष्टम बीज ” वि “ से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना की जाती है, जिस में राहु ग्रह को नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है
नवार्ण मंत्र के नवम बीज ” चै “ से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना की जाती है, जिस में केतु ग्रह को
नियंत्रित करने की शक्ति समायी हुई है l
नवार्ण मंत्र साधना विधी:-
विनियोग:
ll ॐ अस्य श्रीनवार्णमंत्रस्य
ब्रम्हाविष्णुरुद्राऋषय:गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छंन्दांसी,श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासर
स्वत्यो देवता: , ऐं बीजम , ह्रीं शक्ति: ,क्लीं कीलकम श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासर स्वत्यो प्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ll
विलोम बीज न्यास:-
ॐ च्चै नम: गूदे ।
ॐ विं नम: मुखे ।
ॐ यै नम: वाम नासा पूटे ।
ॐ डां नम: दक्ष नासा पुटे ।
ॐ मुं नम: वाम कर्णे ।
ॐ चां नम: दक्ष कर्णे ।
ॐ क्लीं नम: वाम नेत्रे ।
ॐ ह्रीं नम: दक्ष नेत्रे ।
ॐ ऐं ह्रीं नम: शिखायाम ॥
(विलोम न्यास से सर्व दुखोकी नाश होता
है,संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दहीने
हाथ की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये)
ब्रम्हारूप न्यास:-
ॐ ब्रम्हा सनातन: पादादी नाभि पर्यन्तं मां पातु ॥
ॐ जनार्दन: नाभेर्विशुद्धी पर्यन्तं नित्यं मां पातु ॥
ॐ रुद्र स्त्रीलोचन: विशुद्धेर्वम्हरंध्रातं मां पातु ॥
ॐ हं स: पादद्वयं मे पातु ॥
ॐ वैनतेय: कर इयं मे पातु ॥
ॐ वृषभश्चक्षुषी मे पातु ॥
ॐ गजानन: सर्वाड्गानी मे पातु ॥
ॐ सर्वानंन्द मयोहरी: परपरौ देहभागौ मे पातु ॥
( ब्रम्हारूपन्यास से सभी मनोकामनाये पूर्ण होती है, संबन्धित मंत्र उच्चारण की साथ दोनों हाथो की उँगलियो से संबन्धित स्थान पे स्पर्श कीजिये )
ध्यान मंत्र:-
खड्गमं चक्रगदेशुषुचापपरिघात्र्छुलं भूशुण्डीम शिर: शड्ख संदधतीं करैस्त्रीनयना
सर्वाड्ग भूषावृताम ।
नीलाश्मद्दुतीमास्यपाददशकां सेवे महाकालीकां यामस्तौत्स्वपिते हरौ कमलजो हन्तुं मधु कैटभम ॥
माला पूजन:-
जाप आरंभ करनेसे पूर्व ही इस मंत्र से माला का पुजा कीजिये,इस विधि से आपकी माला भी चैतन्य हो जाती है.
“ऐं ह्रीं अक्षमालिकायै नंम:’’
ॐ मां माले महामाये सर्वशक्तिस्वरूपिनी ।
चतुर्वर्गस्त्वयि न्यस्तस्तस्मान्मे सिद्धिदा भव ॥
ॐ अविघ्नं कुरु माले त्वं गृहनामी दक्षिणे
करे । जपकाले च सिद्ध्यर्थ प्रसीद मम सिद्धये ॥
ॐ अक्षमालाधिपतये सुसिद्धिं देही देही सर्वमन्त्रार्थसाधिनी साधय साधय सर्वसिद्धिं परिकल्पय परिकल्पय मे स्वाहा।
अब आप माला से नवार्ण मंत्र का जाप करे-
नवार्ण मंत्र :-
ll ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ll
( Aing hreeng kleeng chamundayei vicche )
नवार्ण मंत्र की सिद्धि 9 दिनो मे 1,25,000 मंत्र जाप से होती है,परंतु आप येसे नहीं कर सकते है तो रोज 1,3,5,11,21,31….इत्यादि माला मंत्र जाप भी कर सकते है,इस विधि से सारी इच्छाये पूर्ण होती है,सब दुख समाप्त जाते है  और धन की प्राप्ति या वसूली भी सहज ही हो जाती है।
हमे शास्त्र के हिसाब से यह सोलह प्रकार
के न्यास देखने मिलती है जैसे ऋष्यादी,कर ,हृदयादी ,अक्षर ,दिड्ग,सारस्वत,प्रथम मातृका ,द्वितीय मातृका,तृतीय मातृका ,षडदेवी ,ब्रम्हरूप,बीज मंत्र ,विलोम बीज ,षड,सप्तशती ,शक्ति जाग्रण न्यास और
बाकी के 8 न्यास गुप्त न्यास नाम से
जाने जाते है,इन सारे न्यासो का अपना एक अलग ही महत्व होता है,उदाहरण के लिये शक्ति जाग्रण न्यास से माँ सुष्म रूप से साधकोके सामने शीघ्र ही आ जाती है और मंत्र जाप की प्रभाव से प्रत्यक्ष होती है और जब माँ चाहे किसिभी रूप मे क्यू न आये हमारी कल्याण तो निचित ही कर देती है।
आप नवरात्री एवं अन्य दिनो मे इस मंत्र के जाप जो कर सकते है I




Friday, April 21, 2017

Para Vidya / Surya Vigyan (परा विद्या) by Dr Narayan Dutt Shrimali ji



Para Vidya / Surya Vigyan (परा विद्या) by Dr Narayan Dutt Shrimali ji

Gurudev Dr Narayan Dutt Shrimali explains about Para Vidya or Surya Vigyan, he explains the secret of his ability to chant whichever Shloka or Mantra he wants, from Lakhs of Shlokas of Vedas, Puranas, Upanishads etc. He also gives the Praan Vikhandan Mantra (प्राण विखंडन मंत्र) whose chanting gives immediate results & dares all present to test the powerful mantra. Jai Sadgurudev Bhagwan Nikhileshwaranand ji Maharaj ki 🙏
Visit website www.drnarayanduttshrimali.com for old books and magazines written by pujya Gurudev Dr Narayan Dutt Shrimali ji.


नवग्रह शांति मंत्र Navgrah Shanti Prayog (पाप ग्रह मुक्ति) by Dr Narayan Dutt Shrimali ji



नवग्रह शांति मंत्र Navgrah Shanti Prayog (पाप ग्रह मुक्ति) by Dr Narayan Dutt Shrimali ji




Happy Birthday Param Pujya Sadgurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali ji 21 april

Happy Birthday Param Pujya Sadgurudev Dr. Narayan Dutt Shrimali ji 21 april





Mahakaal Mahima by Gurudev (Dr. Narayan Dutt Shrimali)

In this pravachan Gurudev (Dr. Narayan Dutt Shrimali) talks about how we can take control devtas by mantras and further he also gives mahakaal vivechan and the importance of 'Kaal' (samay) in our lives 

Finally at the end gurudev declares that if he equal to Krishna and Buddha 




Thursday, March 16, 2017

sadhana for dukaan kee bikree adhik ho

दूकान की बिक्री अधिक हो-
१॰ “श्री शुक्ले महा-शुक्ले कमल-दल निवासे
श्री महालक्ष्मी नमो नमः।
लक्ष्मी माई, सत्त की सवाई। आओ,
चेतो, करो भलाई। ना करो, तो सात समुद्रों की
दुहाई। ऋद्धि-सिद्धि खावोगी, तो नौ नाथ
चौरासी सिद्धों की दुहाई।”
विधि- घर से नहा-धोकर दुकान पर जाकर अगर-
बत्ती जलाकर उसी से
लक्ष्मी जी के चित्र की
आरती करके, गद्दी पर बैठकर, १
माला उक्त मन्त्र की जपकर दुकान का लेन-देन
प्रारम्भ करें। आशातीत लाभ होगा।
२॰ “भँवरवीर, तू चेला मेरा। खोल दुकान कहा कर
मेरा।
उठे जो डण्डी बिके जो माल, भँवरवीर
सोखे नहिं जाए।।”
विधि- १॰ किसीशुभ रविवार से उक्त मन्त्र
की १० माला प्रतिदिन के नियम से दस दिनों में १००
माला जप कर लें। केवल रविवार के ही दिन इस
मन्त्र का प्रयोग किया जाता है। प्रातः स्नान करके दुकान पर
जाएँ। एक हाथ में थोड़े-से काले उड़द ले लें। फिर ११ बार
मन्त्र पढ़कर, उन पर फूँक मारकर दुकान में चारों ओर बिखेर
दें। सोमवार को प्रातः उन उड़दों को समेट कर किसी
चौराहे पर, बिना किसी के टोके, डाल आएँ। इस
प्रकार चार रविवार तक लगातार, बिना नागा किए, यह प्रयोग
करें।
२॰ इसके साथ यन्त्र का भी निर्माण किया जाता
है। इसे लाल स्याही अथवा लाल चन्दन से
लिखना है। बीच में सम्बन्धित व्यक्ति का नाम
लिखें। तिल्ली के तेल में बत्ती बनाकर
दीपक जलाए। १०८ बार मन्त्र जपने तक यह
दीपक जलता रहे। रविवार के दिन काले उड़द के
दानों पर सिन्दूर लगाकर उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित करे। फिर
उन्हें दूकान में बिखेर दें।

Why is enlightenment necessary? Need to understand why you understand ?

आत्मज्ञान क्यों ज़रूरी है? अपनी आत्मा को क्यों समझने अनुभव करने की आवश्यकता है?
एक गर्भवती शेरनी को शिकारी ने गोली मार दी, मरने से पूर्व उसने नन्हें शेर को जन्म दिया, जिसे हिरणों के झुण्ड ने पाला। शेर स्वयं को हिरण समझता और वैसी ही क्रियाएँ करता। एक दिन एक युवा शेर की दहाड़ सुनकर हिरण के बच्चे भागने लगे उन्हें भागता देख शेर का बच्चा भी भागने लगा। युवा शेर को बड़ा आश्चर्य हुआ उसने उस शेर के बच्चे को पकड़कर पूंछा हिरण के बच्चे भागे ये बात तो समझ आई। लेकिन तू मुझसे डरकर क्यूँ भाग रहा है। शेर का बच्चा बोला मैं एक हिरण हूँ और हमें शेर को देखकर प्राणरक्षा के लिए भागना सिखाया गया है।
युवा शेर उस शेर के बच्चे को लेकर जल के समीप पहुंचा और जल में उसका और अपना चेहरा दिखाते हुए बोला देखो तुम बिलकुल मेरी तरह एक शेर हो। और बोला मेरी तरह दहाड़ने की कोशिश करो और फ़िर वो शेर का बच्चा भो दहाड़ा और अपने स्वरूप का भान हुआ। सद्गुरु भी हमारे आत्मदर्पण में हमारे आत्मस्वरूप को दिखाते हैं, शक्तियां जो हमारे भीतर पहले से ही मौजूद हैं बस उनका परिचय करवा देते हैं।
आत्मा तो अभी भी हमारे और आपके अंदर है तभी तो हम लिख पा रहे है और आप ये मैसेज पढ़ पा रहे हैं। वरना बिन आत्मा के हम दोनों को कब का हमारे घरवाले श्मशान में जला चुके होते। बस अंतर यह है क़ि जीवित हम लोग शेर के बच्चे की तरह हैं स्वयं के स्वरूप से अंजान false identity( जो हम नहीं है उस परिचय ) के साथ जी रहे हैं, निज शक्तियों से अंजान हो विभिन्न शारीरिक मानसिक दुःख भोग रहे हैं। स्वयं को जानने के लिए ही परम् पूज्य गुरुदेव ने उपासना-साधना और आराधना का मार्ग बताया है।